रांची: कोरोना महामारी का दंश हर सेक्टर के लोगों को झेलना पड़ रहा है. कोई भी सेक्टर इससे अछूता नहीं रहा है. इससे न्यायिक कार्य भी प्रभावित हुए हैं. न्यायालयों में लंबित केस का निपटारा नहीं होने से केस की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
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सिविल कोर्ट में 66 हजार केस लंबित
कोरोना काल में न्यायिक कार्य वर्चुअल माध्यम से चल रही है. इस दौरान सिर्फ बेल के अलावा अर्जेंट मैटर की ही सुनवाई हो रही है. बाकी आपराधिक मामलों की सुनवाई गवाही के अभाव में नहीं हो पा रही है. इसके कारण लंबित केस की संख्या बढ़ती जा रही है. रांची सिविल कोर्ट में 66 हजार से भी अधिक केस लंबित है. इसमें से 18,915 आपराधिक मामले वर्षों से लंबित हैं. 2020 में 154 और 2021 में 112 से भी अधिक नए मामले न्यायलय में आये हैं. हालांकि, बहुत जरूरी मामलों में गवाहों की गवाही हाई कोर्ट के आदेश पर कराई जा रही है लेकिन इसकी संख्या काफी कम है. वकील फिजिकल कोर्ट शुरू होने की आस लगाए बैठे हैं ताकि मुवक्किलों को न्याय दिला पाएं.
न्याय मिलने में हो रही परेशानी
रांची सिविल कोर्ट में 16 माह से न्यायिक काम वर्चुअल माध्यम से चल रहा है. इस अवधि में सिर्फ एक माह ही एसओपी के तहत फिजिकल कोट चल पाई है. न्यायालय में गवाहों की गवाही नहीं होने की वजह से एक तरफ लोगों को न्याय पाने में परेशानी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ न्यायालय में लंबित मामलों का बोझ भी बढ़ रहा है. लोग न्याय पाने के लिए न्यायालय की निर्धारित तिथि को सुनवाई के लिए पहुंचते हैं लेकिन सुनवाई नहीं होने की वजह से निराश होकर वापस लौट जाते हैं. न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ कम करने के लिए झालसा के निर्देश पर जिला अदालतों में समय-समय पर कई कार्यक्रम आयोजित की जाती है. मासिक लोक अदालत, राष्ट्रीय लोक अदालत और स्पेशल ड्राइव के माध्यम से मामलों का निष्पादन किया जाता है.