रांची: सीएम हेमन्त सोरेन ने सरायकेला-खरसावां जिलान्तर्गत चाण्डिल थाना काण्ड संख्या-47/2019 के अभियुक्त सहायक अभियंता सुरेश राम (Subarnarekha Multipurpose Project), तत्कालीन पुनर्वास पदाधिकारी, पुनर्वास कार्यालय संख्या- 02 स्वर्ण रेखा परियोजना चांडिल, वर्तमान में सहायक अभियंता विशेष प्रमंडल, गुमला के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति दिया है. इस मामले में सहायक अभियंता के अतिरिक्त प्राथमिकी युदपति गोप, तत्कालिन उप मुखिया, मैसेड़ा, थाना-ईचागढ़ एवं अप्राथमिकी अभियुक्त विरेन प्रमाणिक, तत्कालीन मापक मैसाड़ा पंचायत, पुर्नवास कार्यालय संख सुबर्णरेखा परियोजना चांडिल, तत्कालीन पुनर्वास पदाधिकारी सुरेश राम, पुनर्वास कार्यालय संख्या-02, सुबर्णरेखा परियोजना चांडिल एवं सारती गोप के विरूद्ध सत्य पाया गया है. सीएम के द्वारा अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद इस मामले में जांच तेज होगी.
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जानिए क्या है मामला: वर्ष 2013-2015 की अवधि में यदुपति गोप, तत्कालीन उप मुखिया, ग्राम-मैसेड़ा, प्रखण्ड-ईचागढ़, जिला-सरायकेला-खरसावां द्वारा सुबर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना (Swarnrekha Multipurpose Project) में विस्थापितों को सरकार द्वारा दी जानेवाली पुनर्वास अनुदान की राशि के भुगतान में साजिश के तहत फर्जीवाडा, जालसाजी एवं सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ करते हुए सरकारी राशि का गबन करने का आरोप है. इस मामले में प्राथमिकी अभियुक्त सुरेश राम पर सरकारी पद का दुरूपयोग, अपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी एवं प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए सुनियोजित ढंग से वित्तीय अनियमितता करते हुए सरकारी राशि गबन करने का आरोप है.
सुबर्णरेखा परियोजना के पुनर्वास पदाधिकारी-दो की ओर से की गई जांच में स्पष्ट किया गया था कि धोखाधड़ी किस तरह की गई. यह जांच हेमंत गोप की ओर से की गई शिकायत पर हुई. जांच रिपोर्ट के अनुसार विकास पुस्तिका व मास्टर कार्ड में निरंजन गोप की पत्नी के रूप में किसी नाम की प्रविष्टि नहीं थी. सारती गोप का नाम इसमें जोड़ दिया गया. सारती गोप का नाम भी पार्वती गोप का नाम काटने के बाद ओवरराइटिंग कर जोड़ा गया. इसमें मुखिया के हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए. इतना ही नहीं कार्डधारी निरंजन गोप की मृत्यु तिथि 14 दिसंबर 1989 दर्ज की गई जबकि शिकायतकर्ता ने उनकी मृत्यु 12 अगस्त 1997 को होने का प्रमाण उपलब्ध कराया. संशोधित विकास पुस्तिका में लिखे गए सारती गोप का नाम यदुपति गोप की हैंडराइटिंग में होने की पुष्टि हुई. अनुदान भुगतान प्रपत्र भी यदुपति गोप की हैंडराइटिंग में भरा गया और सारती गोप के नाम से बचत खाते से चार लाख रुपये की निकासी कर ली गई. उसी दिन यदुपति के खाते में चार लाख जमा किए गए.