रांचीः झारखंड में आम बीमारियों की तरह कैंसर फैल रहा है. यही वजह है कि दिन-प्रतिदिन कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है. कैंसर की रोकथाम को लेकर अक्टूबर माह को कैंसर जागरूकता के रूप में मनाया जा रहा है. इसके बावजूद लोग कैंसर के प्रति जागरूक नहीं हैं. खासकर, झारखंड के ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों को कैंसर के प्रति जागरुक करना अति आवश्यक है.
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कैंसर रोग विशेषज्ञ नम्रता मन सरिया कहती हैं कि अक्टूबर महीने में विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. ब्रेस्ट कैंसर से बचाव और उपाय को लेकर अभियान भी चलाया जाता है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आज भी महिलाएं स्तन कैंसर की बीमारी के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्यों में कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अब भी सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि ग्रामीण महिलाओं को स्तन कैंसर के लक्षण की जानकारी मिल सके.
चिकित्सकों को भी जागरुक करने की जरूरत
झारखंड आईएमए के जिला संयुक्त सचिव डॉ. शंभू प्रसाद ने बताया कि कैंसर होने के कई कारण है. इसमें सबसे बड़ा कारण खाद्य सामग्री में मिलावट और नशीले पदार्थों का सेवन करना है. उन्होंने कहा कि राज्य में सिर्फ आम लोगों को ही नहीं, बल्कि चिकित्सकों को भी कैंसर के प्रति जागरूक होने की जरूरत है. इसकी वजह है कि कई बार चिकित्सकों की अनदेखी की वजह से लोगों का कैंसर फर्स्ट स्टेज में डिटेक्ट नहीं हो पाता है.
सेल्फ एग्जामिनेशन की जानकारी जरूरी
सदर अस्पताल के सर्जन डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसको शुरुआत में ही जानना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में पता चल जाने में इलाज संभव है. उन्होंने कहा कि कैंसर को लेकर वर्तमान में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. झारखंड में सेल्फ एग्जामिनेशन के बारे में लोगों को जानकारी देना बेहद जरूरी है. उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राज्य में कैंसर डेडिकेटेड अस्पतालों की भारी कमी है. जमशेदपुर के अलावा कहीं भी कैंसर डेडिकेटेड अस्पताल नहीं है. रिम्स में कैंसर विभाग है, जहां पर्याप्त सुविधाए नहीं है.