रांचीः झारखंड सरकार के लिए कृषि कर गले की हड्डी बनने जा रही है. यही वजह है कि बजट सत्र के दौरान विधेयक पास होने के बाबजूद अब तक अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है. इन सबके बीच इसको लेकर राज्य सरकार और झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स आमने सामने है.
झारखंड में कृषि कर के विरोध में व्यापारियों ने सरकार को दो टूक लहजे में कहा है कि अगर इसे वापस नहीं लिया गया तो राज्य में 16 मई से खाद्यान्न की सप्लाई चेन बाधित कर दिया जाएगा. व्यवसायियों ने सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि व्यवसायियों को हो रहे परेशानी को सुनने वाला कोई नहीं है ऐसे में बाध्य होकर वो खाद्यान्नों का आवक बंद करने जा रहे हैं जिससे आम लोगों की परेशानी बढेंगी.
चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव राहुल मारु ने कहा है कि सरकार अगर इस कर को वापस नहीं लेगी तो 16 मई से खाद्यान्न का उठाव पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि व्यवसायियों ने कई बार मुख्यमंत्री से मिलकर इस बारे में वार्ता करने की कोशिश की मगर इसको लेकर कोई पहल नहीं की गई.
मार्केटिंग बोर्ड और बाजार समितियों में बदलाव की तैयारीः राज्य सरकार के अनुसार बदहाल पड़े कृषि विपणन पर्षद को इसके माध्यम से सुधारा जा सकेगा. कृषि विपणन पर्षद से लेकर बाजार समिति तक में बड़े पैमाने पर बदलाव होंगे. अब तक बाजार समिति के अध्यक्ष एसडीओ होते हैं, सरकार अध्यक्ष के पद को मनोनयन के द्वारा भरने की तैयारी कर रही है. स्वाभाविक रुप से मनोनयन के आधार पर बाजार समिति का अध्यक्ष पद पर राजनीतिक व्यक्ति भी आसीन होंगे. इसके तहत राज्य के सभी 28 बाजार समितियों को पुर्नगठित किया जाएगा.
इसके अलावा राज्य सरकार एक बार फिर बाजार समितियों को टैक्स कलेक्शन का अधिकार देने की तैयारी में है. अगर ऐसा होता है तो 27 अप्रैल 2015 से पूर्व की तरह बाजार समिति को 2% तक टैक्स वसूलने का अधिकार होगा. बाजार समिति द्वारा संकलित राजस्व में से 20 फीसदी राशि मार्केटिंग बोर्ड को मिलेगा जिससे आर्थिक कमी मार्केटिंग बोर्ड की दूर होगी. इसके जरिए मार्केटिंग बोर्ड को सुव्यवस्थित कर बाजार समितियों पर नियंत्रण इसके माध्यम से रखा जाएगा.
क्या कहते हैं कृषि मंत्रीः कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने बताया कि पिछली सरकार के द्वारा टैक्स हटाने पर कृषि बाजार समितियों की स्थिति खराब हो गयी थी. लेकिन इस मॉडल एक्ट के आने पर सभी को सुविधा होगी. इससे पार्दशिता आएगी साथ ही इसकी निगरानी भी होती रहेगी. उन्होंने कुछ राज्यों का हवाला देते हुए बताया कि पंजाब समेत 13 राज्यों में ये कर लागू है. जबकि झारखंड में सिर्फ 2 प्रतिशत लगाया है. उन्होंने कहा कि राज्य हित और किसानों के हित में काम हो रहा है. चैंबर के विरोध को लेकर कहा कि उन्हें समझाने का प्रयास किया जाएगा.
कृषि बाजार समिति कर को लेकर राजनीति तेजः व्यवसायियों की धमकी के मद्देनजर सरकार जहां चिंतित है वहीं इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है. प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी सरकार के खिलाफ चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ उतर आई है. वहीं कांग्रेस बीच का रास्ता निकालने में जुटी है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह की मानें तो चैंबर ऑफ कॉमर्स की चेतावनी को गंभीरता से सरकार को लेना चाहिए नहीं तो राज्य में एक अलग संकट पैदा हो जाएगा. वहीं कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा है कि सरकार इसको लेकर गंभीर है और राजनीति के बजाए समस्या का समाधान के लिए सरकार और व्यवसायी दोनों को पहल करनी चाहिए.
किसानों और व्यापारियों के बीच समन्वय बनाने के लिए कृषि विपणन पर्षद की स्थापना की गई है. लेकिन जिस तरह से विधेयक आने के बाद से ही विरोध के स्वर तेज होने होने लगे हैं. ऐसे में सरकार भलें ही किसानों के हित में कृषि कर की बात कहकर इसे लागू करना चाह रही हो मगर यह राह आसान होता नहीं दिख रहा है.