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जाली नोट के कॉरिडोर के रूप में हो रहा है झारखंड का इस्तेमाल, पुलिस की उड़ी नींद

झारखंड में इन दिनों जाली नोट का कारोबार जोरों पर है. इससे निपटने के लिए झारखंड पुलिस लगातार अपराधियों पर शिकंजा कसने पर जोर दे रही है.

झारखंड में चल रहा है नकली नोटों का कारोबार
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Published : Sep 14, 2019, 9:15 PM IST

रांची: राज्य में इन दिनों नकली नोटों का कारोबार जोरों पर है. आए दिन यहां नकली नोटों से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं. जाली नोट के तस्कर झारखंड को कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं. बांग्लादेश से नजदीक झारखंड के पाकुड़ और साहिबगंज जैसे जिलों को तो नकली नोट के सौदागर अपना ठिकाना बना रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

नोटबंदी के बाद जाली नोट के कारोबारियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया था लेकिन अब एक बार फिर से यह कारोबारी एक्टिव हो चुके हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि इसकी खबर सरकार-प्रशासन को नहीं है. इसकी भनक लगते ही झारखंड पुलिस भी सक्रिय हो गई है. झारखंड पुलिस की विशेष शाखा ने नकली नोट के कारोबारियो के खिलाफ नकेल कसने की तैयारी कर ली है. इसके लिए विशेष शाखा ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी और रेल एसपी से राज्य गठन से अबतक जाली नोट से संबंधित मामलों की पूरी जानकारी मांगी है.

क्यों हो रही नकेल कसने की तैयारी
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2017- 18 और 2018 - 19 में नकली नोटों की संख्या का आंकड़ा जारी किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद भी साल दर साल नकली नोटों की संख्या में इजाफा हो रहा है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में 10 ,20 50 रुपए के नकली नोट भी मार्केट में पहुंचा दिए गये हैं. आंकड़ों में यह भी जिक्र है कि सबसे अधिक 100 रुपये के जाली नोट मार्केट में खपाये गए हैं. इसके अलावा 200, 500 और दो हजार के जाली नोटों को भी झारखंड में खपाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- सावधान! रांची के बाजार में आ चुका है जाली नोट, अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार

झारखंड में नकली नोट का बांग्लादेशी कनेक्शन
नकली नोटों की तस्करी के लिए झारखंड एक आसान रास्ता माना जाता है. दरअसल, झारखंड में नकली नोट की तस्करी के लिए तस्कर पाकिस्तान के रास्ते बांग्लादेश पहुंचते हैं. बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और स्थानीय गिरोह के माध्यम से पाकुड़ और साहिबगंज के रास्ते नकली नोट झारखंड लाए जाते हैं.

विशेष शाखा की लिस्ट में हैं कई तस्कर
झारखंड में सक्रिय पश्चिम बंगाल के मालदा निवाली साधन मंडल के अलावा शेख मुजीबुल, बरूण शाहा, अरूण शाहा, निखिल मंडल, विशाल मंडल की गिनती राज्य के बड़े जाली नोट तस्करों में होती है. 28 अगस्त 2018 को पश्चिम बंगाल के शमशेरगंज में साहिबगंज निवासी मीरजान और बांग्लादेशी नागरिक रहीम को गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने इस मामले में साहिबगंज में कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.

साहिबगंज में बना एटीएस का कैंप
साहिबगंज- पाकुड़ में जाली नोट के तस्करों की सक्रियता के साथ साथ आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन, बंग्लादेश, अंसार उल बांगला की गतिविधियां रही हैं।. बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता देखते हुए साहिबगंज में एटीएस का कैंप कार्यालय बड़हरा में खोला गया है. एटीएस के अलावे एनआईए ने भी साहिबगंज, पाकुड़ के आधा दर्जन संदिग्धों की लिस्ट पुलिस मुख्यालय को दी है. इस आधार पर संदिग्धों की मॉनिटरिंग चल रही है.

यह भी पढ़ें- सुप्रियो भट्टाचार्य ने रघुवर सरकार पर लगाया आरोप, कहा- नए ट्रैफिक नियम पर सरकार कर रही है राजनीति

साहिबगंज- पाकुड़ में एनआरसी का सरकार ने भेजा है प्रस्ताव
झारखंड के दो जिलों साहिबगंज- पाकुड़ में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने गृह विभाग को भेजा है. राज्य सरकार ने एसपी स्तर के अधिकारी धनंजय सिंह को असम भेजा था, ताकि वहां चल रही प्रक्रिया से अवगत हो सकें. दोनों जिलों में बढ़ रही बांग्लादेशी आबादी को रोकने और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एनआरसी पर बल दिया था. हालांकि अब तक इसकी शुरूआत नहीं हो पायी है. कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी एनआरसी को लेकर अपना बयान देते हुए कहा था कि यह झारखंड के लिए बेहद जरूरी है.

नोटबंदी के बाद दोबारा एक्टिव हुए कारोबारी
नोटबंदी के बाद पस्त हुए जालीनोट के कारोबारी अब बंगलादेश में छपे दो हजार रूपये के जालीनोट को देश के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड में खपाने में जुट गये हैं. जाली नोट के कारोबारियों का कोरिडोर पश्चिम बंगाल का मालदा और मुर्शिदाबाद बना हुआ है क्यांकि ये दोनों जिले न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि झारखंड से भी काफी नजदीक है. नोटबंदी के पहले पाकिस्तान के रास्ते बंगलादेश होते हुए भारत के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जालीनोट पहुंचाने वाले कारोबारी अब बंगलादेश में छपे जालीनोट को झारख्ंड में लाने में जुटे हुए हैं. बता दें कि अब बांग्लादेश में ही नकली नोट छापे जा रहे हैं.

एक सफ्ताह के भीतर रिपोर्ट
आरबीआई की रिपोर्ट के बाद झारखंड पुलिस का खुफिया विभाग बेहद सक्रिय हो चुका है। इसके लिए एक गोपनीय पत्र भी सभी जिलों के एसपी को भेजा गया है. झारखण्ड के सभी जिलों के एसपी को एक सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है. विशेष शाखा के पत्र में जिक्र है कि राज्य और दूसरे राज्यों के वैसे लोगों का पूरा विवरण दें जिन्हें जाली नोट की तस्करी में प्राथमिक या अप्राथमिक आरोपी बनाया गया है. विशेष शाखा ने सभी जिलों से कांड की अद्यतन स्थिति, जब्त सामान का विवरण, जाली नोट बरामदगी की तारीख, घटनास्थल की जानकारी मांगी है. जाली नोट की तस्करी में शामिल लोगों का डाटा तैयार किए जाने के बाद उनके खिलाफ टारगेट बेस्ड अभियान चलाया जाएगा.

रांची: राज्य में इन दिनों नकली नोटों का कारोबार जोरों पर है. आए दिन यहां नकली नोटों से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं. जाली नोट के तस्कर झारखंड को कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं. बांग्लादेश से नजदीक झारखंड के पाकुड़ और साहिबगंज जैसे जिलों को तो नकली नोट के सौदागर अपना ठिकाना बना रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

नोटबंदी के बाद जाली नोट के कारोबारियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया था लेकिन अब एक बार फिर से यह कारोबारी एक्टिव हो चुके हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि इसकी खबर सरकार-प्रशासन को नहीं है. इसकी भनक लगते ही झारखंड पुलिस भी सक्रिय हो गई है. झारखंड पुलिस की विशेष शाखा ने नकली नोट के कारोबारियो के खिलाफ नकेल कसने की तैयारी कर ली है. इसके लिए विशेष शाखा ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी और रेल एसपी से राज्य गठन से अबतक जाली नोट से संबंधित मामलों की पूरी जानकारी मांगी है.

क्यों हो रही नकेल कसने की तैयारी
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2017- 18 और 2018 - 19 में नकली नोटों की संख्या का आंकड़ा जारी किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद भी साल दर साल नकली नोटों की संख्या में इजाफा हो रहा है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में 10 ,20 50 रुपए के नकली नोट भी मार्केट में पहुंचा दिए गये हैं. आंकड़ों में यह भी जिक्र है कि सबसे अधिक 100 रुपये के जाली नोट मार्केट में खपाये गए हैं. इसके अलावा 200, 500 और दो हजार के जाली नोटों को भी झारखंड में खपाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- सावधान! रांची के बाजार में आ चुका है जाली नोट, अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार

झारखंड में नकली नोट का बांग्लादेशी कनेक्शन
नकली नोटों की तस्करी के लिए झारखंड एक आसान रास्ता माना जाता है. दरअसल, झारखंड में नकली नोट की तस्करी के लिए तस्कर पाकिस्तान के रास्ते बांग्लादेश पहुंचते हैं. बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और स्थानीय गिरोह के माध्यम से पाकुड़ और साहिबगंज के रास्ते नकली नोट झारखंड लाए जाते हैं.

विशेष शाखा की लिस्ट में हैं कई तस्कर
झारखंड में सक्रिय पश्चिम बंगाल के मालदा निवाली साधन मंडल के अलावा शेख मुजीबुल, बरूण शाहा, अरूण शाहा, निखिल मंडल, विशाल मंडल की गिनती राज्य के बड़े जाली नोट तस्करों में होती है. 28 अगस्त 2018 को पश्चिम बंगाल के शमशेरगंज में साहिबगंज निवासी मीरजान और बांग्लादेशी नागरिक रहीम को गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने इस मामले में साहिबगंज में कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.

साहिबगंज में बना एटीएस का कैंप
साहिबगंज- पाकुड़ में जाली नोट के तस्करों की सक्रियता के साथ साथ आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन, बंग्लादेश, अंसार उल बांगला की गतिविधियां रही हैं।. बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता देखते हुए साहिबगंज में एटीएस का कैंप कार्यालय बड़हरा में खोला गया है. एटीएस के अलावे एनआईए ने भी साहिबगंज, पाकुड़ के आधा दर्जन संदिग्धों की लिस्ट पुलिस मुख्यालय को दी है. इस आधार पर संदिग्धों की मॉनिटरिंग चल रही है.

यह भी पढ़ें- सुप्रियो भट्टाचार्य ने रघुवर सरकार पर लगाया आरोप, कहा- नए ट्रैफिक नियम पर सरकार कर रही है राजनीति

साहिबगंज- पाकुड़ में एनआरसी का सरकार ने भेजा है प्रस्ताव
झारखंड के दो जिलों साहिबगंज- पाकुड़ में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने गृह विभाग को भेजा है. राज्य सरकार ने एसपी स्तर के अधिकारी धनंजय सिंह को असम भेजा था, ताकि वहां चल रही प्रक्रिया से अवगत हो सकें. दोनों जिलों में बढ़ रही बांग्लादेशी आबादी को रोकने और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एनआरसी पर बल दिया था. हालांकि अब तक इसकी शुरूआत नहीं हो पायी है. कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी एनआरसी को लेकर अपना बयान देते हुए कहा था कि यह झारखंड के लिए बेहद जरूरी है.

नोटबंदी के बाद दोबारा एक्टिव हुए कारोबारी
नोटबंदी के बाद पस्त हुए जालीनोट के कारोबारी अब बंगलादेश में छपे दो हजार रूपये के जालीनोट को देश के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड में खपाने में जुट गये हैं. जाली नोट के कारोबारियों का कोरिडोर पश्चिम बंगाल का मालदा और मुर्शिदाबाद बना हुआ है क्यांकि ये दोनों जिले न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि झारखंड से भी काफी नजदीक है. नोटबंदी के पहले पाकिस्तान के रास्ते बंगलादेश होते हुए भारत के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जालीनोट पहुंचाने वाले कारोबारी अब बंगलादेश में छपे जालीनोट को झारख्ंड में लाने में जुटे हुए हैं. बता दें कि अब बांग्लादेश में ही नकली नोट छापे जा रहे हैं.

एक सफ्ताह के भीतर रिपोर्ट
आरबीआई की रिपोर्ट के बाद झारखंड पुलिस का खुफिया विभाग बेहद सक्रिय हो चुका है। इसके लिए एक गोपनीय पत्र भी सभी जिलों के एसपी को भेजा गया है. झारखण्ड के सभी जिलों के एसपी को एक सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है. विशेष शाखा के पत्र में जिक्र है कि राज्य और दूसरे राज्यों के वैसे लोगों का पूरा विवरण दें जिन्हें जाली नोट की तस्करी में प्राथमिक या अप्राथमिक आरोपी बनाया गया है. विशेष शाखा ने सभी जिलों से कांड की अद्यतन स्थिति, जब्त सामान का विवरण, जाली नोट बरामदगी की तारीख, घटनास्थल की जानकारी मांगी है. जाली नोट की तस्करी में शामिल लोगों का डाटा तैयार किए जाने के बाद उनके खिलाफ टारगेट बेस्ड अभियान चलाया जाएगा.

Intro:जाली नोट के कॉरिडोर के रूप में हो रहा है झारखंड का इस्तेमाल, पुलिस की उड़ी नींद, नकैल कसने की कवायद शुरू

रांची

आपकी जेब में पड़ा दो हजार, पांच सौ या सौ का नोट कहीं नकली तो नहीं. जी हां. आपने थोड़ी सी लापरवाही की नहीं कि आपकी जेब को ठिकाना बना लेगा नकली नोट . इसकी वजह है झारखंड की भौगोलिक स्थिति और यहां के भोले-भाले लोग. जाली नोट के तस्कर झारखंड को कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं. बांग्लादेश से नजदीक झारखंड के पाकुड़ और साहिबगंज जैसे जिलों में नकली नोट के सौदागर अपना ठिकाना बना रहे हैं। नोटबंदी के बाद जाली नोट के कारोबारियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया था लेकिन अब एक बार फिर से यह कारोबारी एक्टिव हो चुके हैं . इसकी भनक लगते ही झारखंड पुलिस सक्रिय हो गई है. झारखंड पुलिस की विशेष शाखा ने  नकली नोट के कारोबारियो के खिलाफ नकेल कसने की तैयारी कर ली है. इसके लिए विशेष शाखा ने झारखंड के  सभी जिलों के एसपी और  रेल एसपी से राज्य गठन से अबतक जाली नोट से संबंधित मामलों की पूरी जानकारी मांगी है।

क्यों हो रही नकेल कसने की तैयारी

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2017- 18 और 2018 - 19 में नकली नोटों की संख्या का आंकड़ा जारी किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद भी साल दर साल नकली नोटों की संख्या में इजाफा हो रहा है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में 10 ,20 50 रुपए के नकली नोट भी मार्केट में पहुंचा दिए गये हैं. आंकड़ों में यह भी जिक्र है कि सबसे अधिक 100 रुपये के जाली नोट मार्केट में खपाये गए हैं. इसके अलावा 200, 500 और दो हजार के जाली नोटों को भी झारखंड में खपाया जा रहा है .

झारखंड में नकली नोट का बांग्लादेशी कनेक्शन


नकली नोटों की तस्करी के लिए झारखंड एक आसान रास्ता माना जाता है. दरअसल, झारखंड में नकली नोट की तस्करी के लिए तस्कर पाकिस्तान के रास्ते बांग्लादेश पहुंचते हैं. बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और स्थानीय गिरोह के द्वारा झारखंड के पाकुड़ और साहिबगंज के रास्ते नकली नोट झारखंड लाए जाते हैं.

विशेष शाखा की लिस्ट में हैं कई तस्कर

 झारखंड में सक्रिय पश्चिम बंगाल के मालदा निवाली साधन मंडल के अलावा शेख मुजीबुल, बरूण शाहा, अरूण शाहा, निखिल मंडल, विशाल मंडल की गिनती राज्य के बड़े जाली नोट तस्करों में होती है. 28 अगस्त 2018 को पश्चिम बंगाल के शमशेरगंज में साहिबगंज निवासी मीरजान और बांग्लादेशी नागरिक रहीम को गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने इस मामले में साहिबगंज में कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.

साहिबगंज में बना एटीएस का कैंप

साहिबगंज- पाकुड़ में जाली नोट के तस्करों की सक्रियता के साथ साथ आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन, बंग्लादेश, अंसार उल बांगला की गतिविधियां रही हैं।. बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता देखते हुए साहिबगंज में एटीएस का कैंप कार्यालय बड़हरा में खोला गया है. एटीएस के अलावे एनआईए ने भी साहिबगंज, पाकुड़ के आधा दर्जन संदिग्धों की लिस्ट पुलिस मुख्यालय को दी है. इस आधार पर संदिग्धों की मॉनिटरिंग चल रही है.

साहिबगंज- पाकुड़ में एनआरसी का सरकार ने भेजा है प्रस्ताव

झारखंड के दो जिलों साहिबगंज- पाकुड़ में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने गृह विभाग को भेजा है। राज्य सरकार ने एसपी स्तर के अधिकारी धनंजय सिंह को असम भेजा था, ताकि वहां चल रही प्रक्रिया से अवगत हो सकें। दोनों जिलों में बढ़ रही बांग्लादेशी आबादी को रोकने और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एनआरसी पर बल दिया था। हालांकि अबतक इसकी शुरूआत नहीं हो पायी है। कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी एनआरसी को लेकर अपना बयान देते हुए कहा था कि यह झारखंड के लिए बेहद जरूरी है।

नोट बंदी के बाद दुबारा एक्टिव हुए कारोबारी

नोटबंदी के बाद पस्त हुए जालीनोट के कारोबारी अब बंगलादेश में छपे दो हजार रूपये के जालीनोट को देश के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड में खपाने में जुट गये है। जालीनोट के कारोबारियो का कोरिडोर पश्चिम बंगाल का मालदा व मुर्शिदाबाद बना हुआ है। क्यांकि ये दोनो जिले न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि झारखंड से भी  काफी नजदीक है।नोटबंदी के पहले  पाकिस्तान के रास्ते बंगलादेश होते हुए भारत के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश झारखंड जालीनोट पहुंचाने वाले कारोबारी अब बंगलादेश में छपे जालीनोट को झारख्ंड में लाने में जुटे हुए है। मिली जानकारी के अनुसार अब बांग्लादेश में ही नकली नोट छापे जा रहे हैं।

एक सफ्ताह के भीतर देना है रिपोर्ट

आरबीआई की रिपोर्ट के बाद झारखंड पुलिस का खुफिया विभाग बेहद सक्रिय हो चुका है। इसके लिए एक गोपनीय पत्र भी सभी जिलों के एसपी को भेजा गया है।झारखण्ड के सभी जिलों के एसपी को एक सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है। विशेष शाखा के पत्र में जिक्र है कि राज्य और दूसरे राज्यों के वैसे लोगों का पूरा विवरण दें जिन्हें जाली नोट की तस्करी में प्राथमिक या अप्राथमिक आरोपी बनाया गया। विशेष शाखा ने सभी जिलों से कांड की अद्यतन स्थिति, जब्त सामान का विवरण, जाली नोट बरामदगी की तारीख, घटनास्थल की जानकारी मांगी है। जाली नोट की तस्करी में शामिल लोगों का डाटा तैयार किए जाने के बाद उनके खिलाफ टारगेट बेस्ड अभियान चलाया जाएगा।

बाइट - एम एल मीणा , एडीजी अभियान
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