रांची: झारखंड विधानसभा की दो सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव को लेकर मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिला. सुबह से ही दुमका और बेरमो में मतदाता पोलिंग स्टेशन की ओर आने लगे. जैसे-जैसे धूप खिली मतदान केद्रों पर कतारें भी लंबी होने लगीं. दुमका सीट पर 65 प्रतिशत से अधिक वोटिंग हुई जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां पर 55 प्रतिशत ही वोटिंग हुई थी. दुमका विधानसभा उपचुनाव में कुल 65.27% लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें मसलिया प्रखंड में 72%, दुमका ग्रामीण क्षेत्र में 65% और नगर परिषद क्षेत्र में 48% मतदान हुआ. जिला कोरोना संक्रमण के हालात के मद्देनजर इस 65.27 के आंकड़े को बेहतर माना जा रहा है. वहीं बेरमो में भी 60 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने इस उपचुनाव में अपने मतों का इस्तेमाल किया, जबकि 2019 में 61 फीसदी वोटिंग हुई थी. कोविड के इस दौर में मतदाताओं के उत्साह को देखकर चुनाव आयोग भी काफी खुश है क्योंकि सफलतापूर्वक चुनाव कराना आयोग के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण था.
दुमका सीट पर हेमंत सोरेन के खाली करने कारण चुनाव हो रहा है और वहां से हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन जेएमएम के उम्मीदवार हैं. जबकि बेरमो सीट निवर्तमान विधायक राजेंद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई है. यहां पर राजेंद्र सिंह के बेटे कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. महागठबंधन के दोनों प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं.
इधर विधानसभा चुनाव 2019 के मुकाबले एनडीए मजबूत दिख रहा है, क्योंकि इस बार आजसू भी उसमें शामिल है और जेवीएम का बीजेपी में विलय हो चुका है. दुमका और बेरमो दोनों सीटों पर झारखंड बीजेपी के आला नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी ने दुमका से लुइस मरांडी को और बेरमो से योगेश्वर महतो बाटुल को एक बार फिर से मैदान में उतारा है. इनका कहना है कि उन्हें एक फिर जनता का आशीर्वाद मिलेगा.
क्या महागठबंधन दोनों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रख पाएगा है या फिर बीजेपी पर जनता फिर से भरोसा जताएगी है, इसके लिए 10 नवंबर का इंतजार करना होगा. बहरहाल लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है, उन्होंने अपना फैसला इवीएम में कैद कर दिया है.