रांची: महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग का 5742 करोड़ का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. कटौती प्रस्ताव के पक्ष में भाजपा विधायक नीरा यादव ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि जिस विभाग के बजट पर चर्चा हो रही है उस विभाग से जुड़े महिला आयोग और बाल संरक्षण आयोग के महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हुए हैं. महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है. सरकार बने 26 माह बीत चुके हैं. इस दौरान राज्य में महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई है.
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बिरूआ ने कहा कि राज्य सरकार को भी आंध्र प्रदेश की तर्ज पर आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाओं को रिटायरमेंट स्कीम का फायदा देना चाहिए. केरल की तर्ज पर पेंशन देना चाहिए. वहीं भाजपा विधायक केदार हाजरा ने कहा कि राज्य में एसटी-एससी और अल्पसंख्यक की जनसंख्या अनुपात में कुल बजट का सिर्फ 8% रखा गया है, जो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि यहां के कितने स्कूलों में संथाली, हो समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई हो रही है. जनजातीय स्कूलों में आदिवासी शिक्षक नहीं है . पिछले बजट की मात्र 31% राशि ही खर्च की पाई है. यहां दलित और आदिवासी बच्चियों के साथ शोषण हो रहा है.
बजट के पक्ष में कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने स्कूली बच्चियों के लिए सेनेटरी पैड की व्यवस्था करने की बात कही. इस बात पर आपत्ति जताई कि सदन में भी बात बात पर चूड़ी पहन लो, विधवा विलाप जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है, जो एक तरह से महिलाओं का अपमान है. सभी थानों में महिला आरक्षण का प्रावधान सुनिश्चित करना चाहिए.
कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि पिछले 2 सप्ताह से ट्राइबल वेलफेयर कमिश्नर और टीसीडीसी का पद खाली है. उन्होंने कहा कि गैर अनुसूचित जिलों में भी एसटी परिवारों के लिए विशेष योजना बननी चाहिए. सीएनटी-एसपीटी को सुरक्षा कवच कहा जाता है, लेकिन यहां के रैयतों की जमीन को लुटने से बचाने के लिए ठोस कानून बनना चाहिए. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में प्रावधान है कि जिन को टेक होम राशन नहीं दिया जाता है, उन्हें मुआवजा देना है. सरकार बताए कि कितनों को टेक होम राशन मिला है. उन्होंने सरकार के रेडी टो इट फूड देने की योजना पर भी सवाल खड़े किए. इस दौरान झामुमो विधायक सविता महतो ने भी अपनी ओर से सुझाव दिए.
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सरकार का पक्ष रखते हुए विभागीय मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि सभी माननीयों के महत्वपूर्ण सुझावों पर सरकार विचार करेगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि बहुत जल्द महिला आयोग और बाल संरक्षण आयोग के सभी पद भर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जरूरतमंदों की सरकार है. इसी लिहाज से 2022-23 में वृद्धा पेंशन पर विशेष फोकस किया जा रहा है. मंत्री जोबा मांझी ने विपक्ष पर चुटकी भी ली. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य के 6 जिलों में पोषण सखी को रखा था लेकिन अब उनको मानदेय नहीं दिया जा रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने पोषण सखियों के 11 माह के बकाया मानदेय को खुद देने का फैसला लिया है.