रांचीः जिला पुलिस ने कडरू हज हाउस के पास चल रहे महिलाओं के धरना कार्यक्रम में पत्थर फेंकने के मामले में नामजद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मंगलवार को जेल भेज दिया. सीएए और एनआरसी के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं पर पत्थरबाजी की वजह से राजधानी रांची में तनाव उत्पन्न हो गया था, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
परिजनों ने जताया विरोध
जेल जाने वालों में विधाता शर्मा और संतोष कुमार मंडल शामिल है. दोनों रांची के अशोक नगर इलाके के रहने वाले हैं. दोनों की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को आरोपी विधाता के परिजन और मोहल्ले वासी अरगोड़ा थाना पहुंचे. परिजनों ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया. परिजनों के अनुसार पुलिस पहले पूरे मामले की जांच करे, अगर उनके बच्चे दोषी हैं तभी उन्हें जेल भेजे लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई जांच ना करते हुए सीधे उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
गौरतलब है कि रविवार की रात करीब 1 बजे बाइक सवार दो लोगों ने कडरू हज हाउस के पास चल रहे महिलाओं के धरना में पत्थर फेंका और नारेबाजी करते हुए फरार हो गए. इस घटना में हाशिम नामक व्यक्ति को सिर पर पत्थर से चोट लगी थी. मामले में हाशिम ने विधाता शर्मा और संतोष मंडल के खिलाफ अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. मामले को गंभीरता से लेते हुए अगोड़ा पुलिस ने सोमवार की देर रात ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया था.
जान बचाकर भाग रहे थे, पत्थरबाजी नहीं की थी
विधाता शर्मा के पिता अजय कुमार शर्मा बीमार हालत में भी अरगोड़ा थाना पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि उनके बेटे को इस मामले में जबरन फंसाया जा रहा है. उनकी बेटी की शादी है, रविवार की रात विधाता अपने एक दोस्त के साथ शादी का कार्ड बांट कर लौट रहा था. इस दौरान कुछ लोग मारो-मारो कहते हुए शोर मचा रहे थे. यह सुनकर विधाता अपने दोस्त के साथ वहां से भागने लगा, लेकिन मारो-मारो करने वाले लोग यह सोचे कि भागने वाले दोनों युवकों ने हंगामा किया है. सीसीटीवी में उनके बेटे को भागते हुए दिखाया गया है, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में कहीं भी यह नहीं दिखा है कि पत्थर उनके बेटे ने चलाया है.
पुलिस चुप, कोई बयान नहीं
वहीं विधाता शर्मा और संतोष मंडल की गिरफ्तारी के बाद रांची के पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है. विधाता शर्मा और संतोष मंडल को बेहद गुपचुप तरीके से थाने से निकाल कर जेल भेज दिया गया. रांची पुलिस का कोई भी अधिकारी इस मामले में किसी भी तरह का बयान देने से बचता नजर आया.