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भतीजी की जान बचाने के लिए गुहार लगा रहा चाचा, राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के पास नहीं है दवा, जानिए क्या है पूरा मामला - आर्थराइटिस की दवा

रिम्स में जटिल बीमारियों की दवा बमुश्किल ही उपलब्ध हो पाती है. मरीज रिम्स के चक्कर काटते रहते हैं. दवा के नाम पर उन्हें आश्वासन तो मिलता है, लेकिन दवा नहीं मिलती. कुछ ऐसा ही हो रहा है बोकारो की लक्ष्मी के साथ.

Bokaro patient Lakshmi not getting medicine from RIMS
Bokaro patient Lakshmi not getting medicine from RIMS
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 29, 2023, 3:10 PM IST

Updated : Dec 29, 2023, 3:29 PM IST

रिम्स में दवा के लिए चक्कर लगाते मरीज के परिजन

रांची: रिम्स और सरकारी अस्पतालों में असाध्य बीमारियों के लिए महंगी दवा नहीं मिल रही है. आर्थराइटिस बीमारी की शिकार 13 वर्षीय लक्ष्मी कुमारी पिछले कई महीनों से दवा के लिए तरस रही है, लेकिन सरकारी व्यवस्था के तहत उसे दवा नहीं मिल रही है. बोकारो के जरीडीह की रहने वाली लक्ष्मी कुमारी के परिजन परमेश्वर महतो बताते हैं कि टोसिलिजुमैब (tocilizumab) नाम की दवा उनकी बच्ची के लिए बहुत जरूरी है लेकिन झारखंड में यह दवा उपलब्ध नहीं है.

उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची को एक विचित्र बीमारी है. जिसमें उसका शरीर टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है और उस बीमारी का नाम आर्थराइटिस है, यदि महीने में दो बार यह इंजेक्शन उसे नहीं दी जाती है तो उसका शरीर पूरी तरह से टेढ़ा हो जाता है और वह कोई भी काम नहीं कर पाती है. दिल्ली के एम्स में उसका इलाज चल रहा था, जहां पर डॉक्टरों ने टोसिलिजुमैब नाम की दवा को प्रेफर किया है. डॉक्टर के अनुसार इस इंजेक्शन के 24 फाइल लगाने हैं. जिसकी कीमत करीब आठ लाख है.

एम्स के डॉक्टरों की तरफ से जब यह दवा लिखी गई तो वहां के डॉक्टरों ने बताया कि आयुष्मान भारत के तहत सरकारी संस्थानों से यह दवा उपलब्ध करा दी जाएगी. जब दवा के प्रिस्क्रिप्शन को लेकर वो झारखंड पहुंचे तो यहां पर रिम्स की तरफ से पांच इंजेक्शन उपलब्ध भी कराए गए, लेकिन अचानक इंजेक्शन समाप्त हो गया और अब उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल रहा है. लक्ष्मी कुमारी के परिजन परमेश्वर महतो ने बताया कि अब वो जब भी इस इंजेक्शन को लेने के लिए रिम्स पहुंच रहे हैं तो यहां के अधिकारी एक दूसरे पर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और टेंडर नहीं होने का हवाला देते हुए समय मांग रहे हैं.

वहीं ईटीवी भारत की टीम ने जब दवा उपलब्ध नहीं होने की बात रिम्स के स्टोर कीपर डॉक्टर राकेश कुमार से की तो उन्होंने बताया कि इस दवा को टेंडर के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है. रिम्स प्रबंधन की तरफ से टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई लेकिन सिंगल टेंडरर के आने की वजह से इस टेंडर को पास नहीं किया जा सका. इसीलिए इस तरह की दवा रिम्स के स्टोर में फिलहाल मौजूद नहीं है.

वहीं मरीज के परिजन परमेश्वर महतो की परेशानी और अन्य महंगी दवाओं की कमी को देखते ईटीवी भारत की टीम ने जब रांची के सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे महंगे दवाओं की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. उन्होंने कहा जहां तक लक्ष्मी कुमारी को दवा उपलब्ध कराने की बात है उन्हें दवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अन्य बीमारियों की महंगी दवाओं के भी खरीदने को लेकर जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि हीमोफिलिया, कैंसर जैसी बीमारियों के लिए कई ऐसी दवा है जो लोगों को खुद खरीदना संभव नहीं है. इसलिए सरकारी विभाग की तरफ से ऐसी दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

गौरतलब है कि परमेश्वर महतो जैसे कई ऐसे मरीज के परिजन हैं जो सरकारी स्तर पर मिलने वाली दवाओं और सुविधाओं के नहीं होने की वजह से दर दर भटकने को मजबूर हैं. जरूरत है सरकारी पेपर और टेंडर पास होने जैसी प्रक्रियाओं को समय पर पूरा करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ठोस कदम उठाए ताकि मरीजों को महंगी दवाइयां सरकारी संस्थानों में मिल सके.

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रांची: रिम्स और सरकारी अस्पतालों में असाध्य बीमारियों के लिए महंगी दवा नहीं मिल रही है. आर्थराइटिस बीमारी की शिकार 13 वर्षीय लक्ष्मी कुमारी पिछले कई महीनों से दवा के लिए तरस रही है, लेकिन सरकारी व्यवस्था के तहत उसे दवा नहीं मिल रही है. बोकारो के जरीडीह की रहने वाली लक्ष्मी कुमारी के परिजन परमेश्वर महतो बताते हैं कि टोसिलिजुमैब (tocilizumab) नाम की दवा उनकी बच्ची के लिए बहुत जरूरी है लेकिन झारखंड में यह दवा उपलब्ध नहीं है.

उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची को एक विचित्र बीमारी है. जिसमें उसका शरीर टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है और उस बीमारी का नाम आर्थराइटिस है, यदि महीने में दो बार यह इंजेक्शन उसे नहीं दी जाती है तो उसका शरीर पूरी तरह से टेढ़ा हो जाता है और वह कोई भी काम नहीं कर पाती है. दिल्ली के एम्स में उसका इलाज चल रहा था, जहां पर डॉक्टरों ने टोसिलिजुमैब नाम की दवा को प्रेफर किया है. डॉक्टर के अनुसार इस इंजेक्शन के 24 फाइल लगाने हैं. जिसकी कीमत करीब आठ लाख है.

एम्स के डॉक्टरों की तरफ से जब यह दवा लिखी गई तो वहां के डॉक्टरों ने बताया कि आयुष्मान भारत के तहत सरकारी संस्थानों से यह दवा उपलब्ध करा दी जाएगी. जब दवा के प्रिस्क्रिप्शन को लेकर वो झारखंड पहुंचे तो यहां पर रिम्स की तरफ से पांच इंजेक्शन उपलब्ध भी कराए गए, लेकिन अचानक इंजेक्शन समाप्त हो गया और अब उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल रहा है. लक्ष्मी कुमारी के परिजन परमेश्वर महतो ने बताया कि अब वो जब भी इस इंजेक्शन को लेने के लिए रिम्स पहुंच रहे हैं तो यहां के अधिकारी एक दूसरे पर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और टेंडर नहीं होने का हवाला देते हुए समय मांग रहे हैं.

वहीं ईटीवी भारत की टीम ने जब दवा उपलब्ध नहीं होने की बात रिम्स के स्टोर कीपर डॉक्टर राकेश कुमार से की तो उन्होंने बताया कि इस दवा को टेंडर के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है. रिम्स प्रबंधन की तरफ से टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई लेकिन सिंगल टेंडरर के आने की वजह से इस टेंडर को पास नहीं किया जा सका. इसीलिए इस तरह की दवा रिम्स के स्टोर में फिलहाल मौजूद नहीं है.

वहीं मरीज के परिजन परमेश्वर महतो की परेशानी और अन्य महंगी दवाओं की कमी को देखते ईटीवी भारत की टीम ने जब रांची के सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे महंगे दवाओं की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. उन्होंने कहा जहां तक लक्ष्मी कुमारी को दवा उपलब्ध कराने की बात है उन्हें दवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अन्य बीमारियों की महंगी दवाओं के भी खरीदने को लेकर जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि हीमोफिलिया, कैंसर जैसी बीमारियों के लिए कई ऐसी दवा है जो लोगों को खुद खरीदना संभव नहीं है. इसलिए सरकारी विभाग की तरफ से ऐसी दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

गौरतलब है कि परमेश्वर महतो जैसे कई ऐसे मरीज के परिजन हैं जो सरकारी स्तर पर मिलने वाली दवाओं और सुविधाओं के नहीं होने की वजह से दर दर भटकने को मजबूर हैं. जरूरत है सरकारी पेपर और टेंडर पास होने जैसी प्रक्रियाओं को समय पर पूरा करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ठोस कदम उठाए ताकि मरीजों को महंगी दवाइयां सरकारी संस्थानों में मिल सके.

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Last Updated : Dec 29, 2023, 3:29 PM IST
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