रांचीः रिम्स में बने कंबल बैंक की दोबारा शुरुआत हो गई (Blanket Bank Of RIMS). लेकिन रिम्स आए परिजनों को अभी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कंबल लेने कंबल बैंक रिम्स पहुंचे लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. इसके बावजूद उन्हें कंबल नहीं मिलता.
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बता दें कि रिम्स में 2019 में तत्कालीन निदेशक डॉ. डीके सिंह के कार्यकाल में यहां कंबल बैंक की शुरुआत हुई थी. लेकिन बाद में यह सुविधा बंद हो गई. अब दोबारा इसकी शुरुआत हुई है तो हालात का जायजा लेने यहां पहुंची ईटीवी भारत की टीम को कंबल बैंक में कंबल लेने पहुंचे तीमारदार ने बताया कि कई बार कंबल लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है उसके बावजूद भी कंबल नहीं मिलता है.
स्टाफ ने बताया कि कई बार मरीजों की संख्या बढ़ जाने के कारण, उनके परिजन कंबल बैंक से कंबल लेने आते हैं तो उन्हें नहीं मिल पाता है. ऐसे में स्वभाविक है कि कई परिजनों को वापस लौटना पड़ता है. बता दें कि वर्ष 2019 में जब इसकी शुरुआत तत्कालीन निदेशक डॉ. डीके सिंह ने की थी तो उस वक्त इसको लेकर कई सख्त नियम भी बनाए गए थे. जिससे गरीब मरीजों को लाभ मिले और कंबल की सुविधा का दुरूपयोग भी न हो.
इसको लेकर जब रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजीव रंजन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से जब इसकी शुरुआत की गई थी तो उसके बाद 2 साल तक कंबल बैंक को संचालित करने में कई तरह की परेशानी आई थी, जिसमें एक कोरोना भी बहुत बड़ा कारण था. लेकिन इस वर्ष से इसको लेकर फिर से सख्त नियम बनाए गए हैं और कंबल बैंक को लेकर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है ताकि यदि किसी को कंबल ना मिले तो संबंधित व्यक्ति तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर कंबल प्राप्त कर ले.
महत्वपूर्ण निर्देश दिए गएः रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि मरीज के साथ आने वाले परिजनों का ख्याल रखते हुए कंबल बैंक की शुरुआत की गई है और इस वर्ष से कंबल बैंक को सही तरीके से संचालित करने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को कई महत्वपूर्ण दिशा निर्देश भी दिए गए हैं.
वहीं कई मरीजों ने ऑफ कैमरा बताया कि कंबल नहीं मिलने के कारण उन्हें बाहर से कंबल खरीदना पड़ता है जिसके लिए उन्हें मोटी रकम भी चुकानी पड़ती है. कई बार कंबल बैंक पहुंचने के बाद उन्हें इसलिए वापस लौटा दिया जाता है क्योंकि कंबल बैंक में कंबल की संख्या काफी कम है.