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जारी है कालाबाजारी...जरूरी दवाइयों और उपकरणों की हो रही ब्लैक मार्केटिंग, लगातार कार्रवाई कर रहा प्रशासन

कोरोना काल में जरूरी दवाइयों और उपकरणों की लगातार कालाबाजारी हो रही है. इसके रोकथाम के लिए टीम भी गठित की गई है और लगातार कार्रवाई की जा रही है.

Black marketing of essential medicines and equipment
जरूरी दवाइयों और उपकरणों की हो रही ब्लैक मार्केटिंग
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Published : May 20, 2021, 10:53 PM IST

रांची: कोरोना महामारी जैसी आपदा में संक्रमित मरीज के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा और उपकरणों को ऊंची कीमत में बेचकर लोग मुनाफाखोरी में जुटे हैं. कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तारी तक हुई. इसके बावजूद दवा दुकानों में अधिक कीमत पर दवा बेची जाती रही है. कालाबाजारी को रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार छापेमारी कर रहा है. लेकिन आपदा की इस घड़ी में ज्यादा कमाई के लिए कालाबाजारी का सिलसिला जारी है.

जरूरी उपकरणों की धड़ल्ले से हुई कालाबाजारी

कोरोना महामारी जैसी विपत्ति की घड़ी में भी इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, सर्जिकल मास्क, पीपीई किट, स्टीम इनहेलर समेत जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी धड़ल्ले से राजधानी रांची में हुई है. खासकर स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान कालाबाजारी के कई मामले भी सामने आये. हालांकि, जब इसकी शिकायत जिला प्रशासन को मिली है तब-तब कार्रवाई की गई है. इसके तहत रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में एक शख्स राजीव कुमार सिंह को और उसकी जानकारी पर इंजेक्शन मुहैया कराने वाले अरगोड़ा के दवा दुकानदार को भी गिरफ्तार किया गया.

लगातार कार्रवाई कर रहा प्रशासन

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के दौरान कालाबाजारी की रोकथाम के लिए पिछले महीने में जिला प्रशासन सतर्क हुआ और कालाबाजारी की रोकथाम के लिए अभियान भी शुरू किया. इसके तहत 200 रुपये की पीपीटी किट 800 रुपये में बेचे जाने की शिकायत मिलने पर कार्रवाई करते हुए दवा दुकानदार को नोटिस दिया गया. इसके साथ ही 23 अप्रैल को शहर के एक दर्जन दुकानों में जांच अभियान चला गया. जिसमें 7 दुकान में अनियमितता पाई गई. सभी को नोटिस देकर जवाब मांगा गया. वहीं एनएस इंटरप्राइजेज दुकान में 400 रुपये के ऑक्सीमीटर की कीमत 2500 रुपये बताई जा रही थी. इस पर सदर एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता के द्वारा दुकानदार को अरेस्ट करने का निर्देश दिया गया. इसके अलावा जरूरी दवाओं की कालाबाजारी के मामले में जय हिंद ,आजाद, ब्रदर फार्मा, मेडिसिन प्लस दुकानों को नोटिस भेजकर 24 घंटे के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा गया.

इसके साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा 24 अप्रैल को अधिकतम खुदरा मूल्य पर दवाओं की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए दुकानों में मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की गई. साथ ही ऑक्सीजन रिफिलर परिसर में भी मजिस्ट्रेट और पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई ताकि कालाबाजारी पर रोक लग सके. इसके साथ ही दवा दुकानों में जरूरी दवाओं और उपकरणों की प्राइस लिस्ट डिस्प्ले करने का सख्ती से निर्देश भी दिया गया.

मजबूरी में कालाबाजारी का शिकार हो रहे लोग

मई महीने में कोतवाली थाना क्षेत्र के श्रद्धानंद रोड में स्थित मां भवानी ड्रग एजेंसी दवा दुकानदार को पुलिस ने तय कीमत से चार गुना दाम पर ऑक्सीजन फ्लोमीटर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया. जिस फ्लोमीटर की बाजार में कीमत मात्र 1000 से 1200 रुपये थी. उसे 5 हजार रुपये में बेचा जा रहा था. ऐसे में कालाबाजारी की रोकथाम के लिए एसएसपी के द्वारा एक टीम का भी गठन किया गया है जो सादे लिबास में अस्पताल और आसपास की दुकान पर नजर रख रही है. जिला प्रशासन के द्वारा लगातार कालाबाजारी को रोकने के लिए कर्रवाई की जा रही है. लेकिन जब तक आम लोग सूचना नहीं देंगे तब तक सही मायने में कालाबाजारी को रोकने में सफलता नहीं मिल सकती. कोरोना से संक्रमित मरीज के परिजन मजबूरी में भी कालाबाजारी के शिकार हो रहे हैं और ज्यादा कीमत पर दवा लेने के बावजूद जिला प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दे रहे हैं.

रांची: कोरोना महामारी जैसी आपदा में संक्रमित मरीज के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा और उपकरणों को ऊंची कीमत में बेचकर लोग मुनाफाखोरी में जुटे हैं. कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तारी तक हुई. इसके बावजूद दवा दुकानों में अधिक कीमत पर दवा बेची जाती रही है. कालाबाजारी को रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार छापेमारी कर रहा है. लेकिन आपदा की इस घड़ी में ज्यादा कमाई के लिए कालाबाजारी का सिलसिला जारी है.

जरूरी उपकरणों की धड़ल्ले से हुई कालाबाजारी

कोरोना महामारी जैसी विपत्ति की घड़ी में भी इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, सर्जिकल मास्क, पीपीई किट, स्टीम इनहेलर समेत जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी धड़ल्ले से राजधानी रांची में हुई है. खासकर स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान कालाबाजारी के कई मामले भी सामने आये. हालांकि, जब इसकी शिकायत जिला प्रशासन को मिली है तब-तब कार्रवाई की गई है. इसके तहत रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में एक शख्स राजीव कुमार सिंह को और उसकी जानकारी पर इंजेक्शन मुहैया कराने वाले अरगोड़ा के दवा दुकानदार को भी गिरफ्तार किया गया.

लगातार कार्रवाई कर रहा प्रशासन

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के दौरान कालाबाजारी की रोकथाम के लिए पिछले महीने में जिला प्रशासन सतर्क हुआ और कालाबाजारी की रोकथाम के लिए अभियान भी शुरू किया. इसके तहत 200 रुपये की पीपीटी किट 800 रुपये में बेचे जाने की शिकायत मिलने पर कार्रवाई करते हुए दवा दुकानदार को नोटिस दिया गया. इसके साथ ही 23 अप्रैल को शहर के एक दर्जन दुकानों में जांच अभियान चला गया. जिसमें 7 दुकान में अनियमितता पाई गई. सभी को नोटिस देकर जवाब मांगा गया. वहीं एनएस इंटरप्राइजेज दुकान में 400 रुपये के ऑक्सीमीटर की कीमत 2500 रुपये बताई जा रही थी. इस पर सदर एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता के द्वारा दुकानदार को अरेस्ट करने का निर्देश दिया गया. इसके अलावा जरूरी दवाओं की कालाबाजारी के मामले में जय हिंद ,आजाद, ब्रदर फार्मा, मेडिसिन प्लस दुकानों को नोटिस भेजकर 24 घंटे के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा गया.

इसके साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा 24 अप्रैल को अधिकतम खुदरा मूल्य पर दवाओं की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए दुकानों में मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की गई. साथ ही ऑक्सीजन रिफिलर परिसर में भी मजिस्ट्रेट और पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई ताकि कालाबाजारी पर रोक लग सके. इसके साथ ही दवा दुकानों में जरूरी दवाओं और उपकरणों की प्राइस लिस्ट डिस्प्ले करने का सख्ती से निर्देश भी दिया गया.

मजबूरी में कालाबाजारी का शिकार हो रहे लोग

मई महीने में कोतवाली थाना क्षेत्र के श्रद्धानंद रोड में स्थित मां भवानी ड्रग एजेंसी दवा दुकानदार को पुलिस ने तय कीमत से चार गुना दाम पर ऑक्सीजन फ्लोमीटर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया. जिस फ्लोमीटर की बाजार में कीमत मात्र 1000 से 1200 रुपये थी. उसे 5 हजार रुपये में बेचा जा रहा था. ऐसे में कालाबाजारी की रोकथाम के लिए एसएसपी के द्वारा एक टीम का भी गठन किया गया है जो सादे लिबास में अस्पताल और आसपास की दुकान पर नजर रख रही है. जिला प्रशासन के द्वारा लगातार कालाबाजारी को रोकने के लिए कर्रवाई की जा रही है. लेकिन जब तक आम लोग सूचना नहीं देंगे तब तक सही मायने में कालाबाजारी को रोकने में सफलता नहीं मिल सकती. कोरोना से संक्रमित मरीज के परिजन मजबूरी में भी कालाबाजारी के शिकार हो रहे हैं और ज्यादा कीमत पर दवा लेने के बावजूद जिला प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दे रहे हैं.

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