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Black Fungus: फेफड़े में ब्लैक फंगस के संक्रमण का पहला मामला, मरीज मेदांता से रिम्स रेफर - ब्लैक फंगस का मरीज मेदांता में भर्ती

झारखंड में फेफड़े में ब्लैक फंगस का पहला मरीज मिला है. आमतौर पर आंख और नाक में होने वाला ब्लैक फंगस का फेफड़े में संक्रमण का पहला मामला राज्य में आया है. मेदांता में इलाजरत मरीज को वहां से रिम्स रेफर कर दिया गया है.

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Published : Aug 7, 2021, 6:09 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 8:31 PM IST

रांची: ब्लैक फंगस का खतरा सिर्फ आंख और नाक में ही नहीं बल्कि अब फेफड़े में भी देखने को मिलने लगा है. शुक्रवार को झारखंड में अब तक का पहला केस रांची के प्रख्यात अस्पताल मेदांता में देखने को मिला है. रांची का एक मरीज पोस्ट कोविड की शिकायत के साथ मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए थे. जांच में मामला सामने आने पर मरीज को रिम्स रेफर कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- कोरोना से नहीं...पोस्ट कोविड बीमारियों से लगता है डर, रिम्स में कोविड का 1 और पोस्ट कोविड के 35 मरीज भर्ती

मेदांता के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर तेजवीर की निगरानी में मरीज का इलाज चल रहा था. मरीज को सांस लेने में परेशानी, मुंह से बलगम के साथ खून निकल रहा था. जिसके बाद तमाम परीक्षण के बाद मरीज के फेफड़े में ब्लैक फंगस के संक्रमण की पुष्टि हुई.

जानकारी देते डॉक्टर
मेदांता के डॉक्टर तेजवीर सिंह ने मरीज की परेशानियों को देखते हुए उसका सीटी स्कैन कराया. जिसमें डॉक्टरों को फंगल इन्फेक्शन का शक हुआ. जिसके बाद डॉक्टरों ने ब्रोंकोस्कॉपी जांच कराई, जिसमें दूरबीन (Camera) के माध्यम से उसके फेफड़े की तस्वीर निकाली गई. तस्वीर में पता चला कि मरीज के फेफड़े का एक पार्ट पूरी तरह से ब्लॉक हो गया है. ब्रोंकोस्कॉपी करने के बाद बायोप्सी टेस्ट भी किया गया, जिसमें यह पता चला कि मरीज के फेफड़े में म्युकरमाइकोसिस का इंफेक्शन है.डॉ. तेजवीर बताते हैं कि म्युकरमाइकोसिस अमूमन नाक और आंख को इनफेक्ट करता है. लेकिन इस मरीज का केस अलग था, क्योंकि उसके आंख और नाक पूरी तरह से सुरक्षित थे, मगर उसके फेफड़े में फंगल बॉल देखे गए, जो कि पहले के सीटी स्कैन में नहीं पाया गया था. बायोप्सी और ब्रोंकोस्कॉपी टेस्ट की पुष्टि के बाद सरकार के गाइडलाइन के अनुसार उसे बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेज दिया गया, जहां मरीज को फिलहाल न्यू ट्रामा सेंटर में इलाज किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- जानिए कितनी खतरनाक है फंगस, क्या है अलग-अलग रंगों का राज?


म्युकरमाइकोसिस को लेकर अब तक लोग इसलिए भयभीत थे कि इस बीमारी में आंख और नाक संक्रमित होता था. लेकिन अब सिर्फ आंख और नाक ही नहीं बल्कि शरीर का अंदरूनी हिस्सा भी संक्रमित हो रहा है जो खतरनाक है. झारखंड में फेफड़े के संक्रमण के बाद चिकित्सकों ने भी लोगों को सचेत रहने की सलाह दी है, लोग लापरवाह ना हों क्योंकि आने वाले समय में कोरोना और म्युकरमाइकोसिस यानी Black Fungus और भी खतरनाक हो सकता है.

रांची: ब्लैक फंगस का खतरा सिर्फ आंख और नाक में ही नहीं बल्कि अब फेफड़े में भी देखने को मिलने लगा है. शुक्रवार को झारखंड में अब तक का पहला केस रांची के प्रख्यात अस्पताल मेदांता में देखने को मिला है. रांची का एक मरीज पोस्ट कोविड की शिकायत के साथ मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए थे. जांच में मामला सामने आने पर मरीज को रिम्स रेफर कर दिया गया.

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मेदांता के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर तेजवीर की निगरानी में मरीज का इलाज चल रहा था. मरीज को सांस लेने में परेशानी, मुंह से बलगम के साथ खून निकल रहा था. जिसके बाद तमाम परीक्षण के बाद मरीज के फेफड़े में ब्लैक फंगस के संक्रमण की पुष्टि हुई.

जानकारी देते डॉक्टर
मेदांता के डॉक्टर तेजवीर सिंह ने मरीज की परेशानियों को देखते हुए उसका सीटी स्कैन कराया. जिसमें डॉक्टरों को फंगल इन्फेक्शन का शक हुआ. जिसके बाद डॉक्टरों ने ब्रोंकोस्कॉपी जांच कराई, जिसमें दूरबीन (Camera) के माध्यम से उसके फेफड़े की तस्वीर निकाली गई. तस्वीर में पता चला कि मरीज के फेफड़े का एक पार्ट पूरी तरह से ब्लॉक हो गया है. ब्रोंकोस्कॉपी करने के बाद बायोप्सी टेस्ट भी किया गया, जिसमें यह पता चला कि मरीज के फेफड़े में म्युकरमाइकोसिस का इंफेक्शन है.डॉ. तेजवीर बताते हैं कि म्युकरमाइकोसिस अमूमन नाक और आंख को इनफेक्ट करता है. लेकिन इस मरीज का केस अलग था, क्योंकि उसके आंख और नाक पूरी तरह से सुरक्षित थे, मगर उसके फेफड़े में फंगल बॉल देखे गए, जो कि पहले के सीटी स्कैन में नहीं पाया गया था. बायोप्सी और ब्रोंकोस्कॉपी टेस्ट की पुष्टि के बाद सरकार के गाइडलाइन के अनुसार उसे बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेज दिया गया, जहां मरीज को फिलहाल न्यू ट्रामा सेंटर में इलाज किया जा रहा है.

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म्युकरमाइकोसिस को लेकर अब तक लोग इसलिए भयभीत थे कि इस बीमारी में आंख और नाक संक्रमित होता था. लेकिन अब सिर्फ आंख और नाक ही नहीं बल्कि शरीर का अंदरूनी हिस्सा भी संक्रमित हो रहा है जो खतरनाक है. झारखंड में फेफड़े के संक्रमण के बाद चिकित्सकों ने भी लोगों को सचेत रहने की सलाह दी है, लोग लापरवाह ना हों क्योंकि आने वाले समय में कोरोना और म्युकरमाइकोसिस यानी Black Fungus और भी खतरनाक हो सकता है.

Last Updated : Aug 7, 2021, 8:31 PM IST
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