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BJP के लोकसभा चुनाव प्रभारी को नहीं मिली विधानसभा की कमान, कहीं चमकी बुखार का असर तो नहीं!

झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी तैयारियों में जुटी है. इसी के तहत पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव का प्रभार सौंपा है. वहीं, लोकसभा चुनाव प्रभारी रहे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को बिहार में फैले चमकी बुखार की वजह से पार्टी का कमान नहीं दिया गया.

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Published : Aug 12, 2019, 3:13 PM IST

फाइल फोटो

रांचीः झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है. इसे लेकर सत्ताधारी बीजेपी ने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी बनाया है. इनमें से एक बीजेपी के पुराने सिपाही ओम प्रकाश माथुर हैं, जबकि दूसरे बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव हैं.

देखें पूरी खबर

दरअसल पार्टी के अंदरखाने इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे विधानसभा चुनाव में भी बने रहेंगे. जबकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के नेतृत्व में राज्य में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 14 में से 12 सीटें 'रीटेन' की. इतना ही नहीं उनमें से एक सीट पर विपक्षी दल छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाली अन्नपूर्णा देवी ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की.

वहीं, पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले रांची के मौजूदा सांसद संजय सेठ ने भी कांग्रेस के कद्दावर नेता सुबोध कांत सहाय को लंबे मार्जिन से हराया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनावों के प्रभारी को लेकर भी पांडे नाम की चर्चा जोरों पर थी. लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए चमकी बुखार कांड की वजह से उन्हें झारखंड में विधानसभा चुनाव की कमान नहीं दी गई. पांडे को दिसंबर 2018 में झारखंड में लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था. उसके 5 महीने के अंदर ही चुनाव संपन्न भी हुए.

बड़ा कद है माथुर और नंदकिशोर यादव का

हालांकि पार्टी सूत्र यह भी दावा करते हैं कि ओम प्रकाश माथुर और नंदकिशोर यादव दोनों का राजनीतिक कद मंगल पांडे की तुलना में काफी बड़ा है. माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 1972 से जुड़े रहे हैं और उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वहीं, नंदकिशोर यादव अपने विधानसभा सीट से छठी बार विधायक चुने गए हैं और बीजेपी के पुराने सिपाही हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड में बीजेपी का सदस्यता अभियान, भीड़ बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चे लेकर पहुंचे बीजेपी नेता

क्या कहते हैं बीजेपी के नेता
इस बाबत बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल ने कहा कि पार्टी का अपना एक स्ट्रक्चर होता है. उसी के हिसाब से प्रभारी तय किए जाते हैं. यह जरूरी नहीं कि लोकसभा चुनाव के प्रभारी को विधानसभा चुनाव की भी जिम्मेदारी दी जाए. उन्होंने कहा कि झारखंड में पार्टी के सह प्रभारी रामविचार नेताम हैं और विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है.

रांचीः झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है. इसे लेकर सत्ताधारी बीजेपी ने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी बनाया है. इनमें से एक बीजेपी के पुराने सिपाही ओम प्रकाश माथुर हैं, जबकि दूसरे बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव हैं.

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दरअसल पार्टी के अंदरखाने इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे विधानसभा चुनाव में भी बने रहेंगे. जबकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के नेतृत्व में राज्य में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 14 में से 12 सीटें 'रीटेन' की. इतना ही नहीं उनमें से एक सीट पर विपक्षी दल छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाली अन्नपूर्णा देवी ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की.

वहीं, पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले रांची के मौजूदा सांसद संजय सेठ ने भी कांग्रेस के कद्दावर नेता सुबोध कांत सहाय को लंबे मार्जिन से हराया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनावों के प्रभारी को लेकर भी पांडे नाम की चर्चा जोरों पर थी. लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए चमकी बुखार कांड की वजह से उन्हें झारखंड में विधानसभा चुनाव की कमान नहीं दी गई. पांडे को दिसंबर 2018 में झारखंड में लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था. उसके 5 महीने के अंदर ही चुनाव संपन्न भी हुए.

बड़ा कद है माथुर और नंदकिशोर यादव का

हालांकि पार्टी सूत्र यह भी दावा करते हैं कि ओम प्रकाश माथुर और नंदकिशोर यादव दोनों का राजनीतिक कद मंगल पांडे की तुलना में काफी बड़ा है. माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 1972 से जुड़े रहे हैं और उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वहीं, नंदकिशोर यादव अपने विधानसभा सीट से छठी बार विधायक चुने गए हैं और बीजेपी के पुराने सिपाही हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड में बीजेपी का सदस्यता अभियान, भीड़ बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चे लेकर पहुंचे बीजेपी नेता

क्या कहते हैं बीजेपी के नेता
इस बाबत बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल ने कहा कि पार्टी का अपना एक स्ट्रक्चर होता है. उसी के हिसाब से प्रभारी तय किए जाते हैं. यह जरूरी नहीं कि लोकसभा चुनाव के प्रभारी को विधानसभा चुनाव की भी जिम्मेदारी दी जाए. उन्होंने कहा कि झारखंड में पार्टी के सह प्रभारी रामविचार नेताम हैं और विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है.

Intro:रांची प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी बीजेपी ने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा चुनाव का प्रभारी और सह प्रभारी बनाया है। इनमें से एक बीजेपी के पुराने सिपाही ओम प्रकाश माथुर है जबकि दूसरे बिहार में पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव हैं। दरअसल पार्टी के अंदरखाने इस बात की चर्चा जोरो पर थी कि लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे विधानसभा चुनावों के लिए भी में भी 'कंटिन्यू' कर जाएंगे। जबकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के नेतृत्व में राज्य में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 14 में से 12 सीटें 'रीटेन' की। इतना ही नहीं उनमें से एक सीट पर विपक्षी दल छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाली अन्नपूर्णा देवी ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की।


Body:साथ ही पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले रांची के मौजूदा सांसद संजय सेठ ने भी कांग्रेस के कद्दावर नेता सुबोध कांत सहाय को लंबे मार्जिन से हराया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनावों के प्रभारी को लेकर भी पांडे नाम की चर्चा जोरों पर थी लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए चमकी बुखार कांड की वजह से उन्हें झारखंड में विधानसभा चुनाव की कमान नहीं दी गई। पांडे को दिसंबर 2018 में झारखंड में लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था और उसके 5 महीने के अंदर ही चुनाव संपन्न भी हुए।


Conclusion:बड़ा कद है माथुर और नंदकिशोर यादव का
हालांकि पार्टी सूत्र यह भी दावा करते हैं कि ओम प्रकाश माथुर और नंदकिशोर यादव दोनों का राजनीतिक कद मंगल पांडे की तुलना में काफी बड़ा है। माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 1972 से जुड़े रहे हैं और उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं नंदकिशोर यादव अपने विधानसभा सीट से छठी बार विधायक चुने गए हैं और बीजेपी के पुराने सिपाही हैं।

क्या कहते हैं बीजेपी के नेता
इस बाबत बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल ने कहा कि पार्टी का अपना एक स्ट्रक्चर होता है। उसी के हिसाब से प्रभारी तय किए जाते हैं। यह जरूरी नहीं कि लोकसभा चुनाव के प्रभारी को विधानसभा चुनाव की भी जिम्मेदारी दी जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड में पार्टी के सह प्रभारी रामविचार नेताम है और विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है।
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