रांची: झारखंड सरकार ने 15 करोड़ रुपए तक की योजनाओं की स्वीकृति का अधिकार मंत्रियों को देने और विभागीय सचिव का अधिकार पांच करोड़ से घटा कर ढाई करोड़ करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय को भारतीय जनता पार्टी ने भ्रष्टाचार करने के लिए लिया गया फैसला करार दिया है. भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा कि झारखंड में जांच एजेंसियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलायी हुई है. ऐसे में अब कई आईएएस और सचिव स्तर के अधिकारी कोई भी गलत काम करने से कतराने लगे हैं. ऐसे में हेमंत सोरेन सरकार ने घपले, घोटाले और वित्तीय गड़बड़ी का एक और रास्ता खोल दिया है.
शिवपूजन पाठक ने कहा कि जब कोई भी सचिव नियम कानून का हवाला देकर किसी योजना को आगे बढ़ाने से रोकेगा, तब मंत्री अपने अधिकार का उपयोग कर 15 करोड़ तक की योजनाओं को पास करा लेंगे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में वित्तीय अनियमितता की स्थिति है. इस सरकार में 20 हजार करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई है.
क्या लिया गया निर्णय: राज्य में अब तक 05 करोड़ तक की योजनाओं को स्वीकृत करने का अधिकार विभागीय सचिव के पास था. अब उसे घटा कर ढाई करोड़ करने की योजना है. वहीं 15 करोड़ तक की योजनाओं की स्वीकृति का अधिकार मंत्रियों के पास रहने का निर्णय लिया गया है. इसे ही भाजपा मुद्दा बना रही है.
कांग्रेस ने भाजपा के आरोप पर दी प्रतिक्रिया: भाजपा के इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि भाजपा को विकास से कोई मतलब नहीं है. जनप्रतिनिधि और मंत्री विधायक जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं. ऐसे में मंत्री को योजनाओं के प्रति ज्यादा अधिकार देना कहीं से गलत नहीं है. राकेश सिन्हा ने कहा कि भ्रष्टाचार पर बोलने का अधिकार भाजपा को नहीं है. राज्य की सरकार पर कोई बयान देने से पहले भाजपा बताएं कि जांच एजेंसियां सिर्फ उन राज्यों में क्यों एक्टिव हैं, जहां विपक्ष की सरकार है.