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नियोजन नीति पर कांग्रेस का अल्टीमेटमः भाजपा ने कहा- सत्ता की मलाई के लिए कर रहे ब्लैकमेल

झारखंड गठन के बाद से ही नियोजन नीति का मुद्दा छाया रहा है. 22 साल बाद भी एक सही नियोजन नीति नहीं बन पाई है. हालिया नियोजन नीति रद्द होने के बाद से झारखंड में माहौल गरमाया हुआ है. युवा सड़कों पर हैं. राजनीति भी जमकर हो रही है. सरकार में शामिल कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री से स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की है. जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधा है(BJP targets Congress on planning policy ).

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राजेश ठाकुर और सीपी सिंह
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Published : Jan 3, 2023, 4:27 PM IST

Updated : Jan 3, 2023, 4:38 PM IST

राजेश ठाकुर और सीपी सिंह का बयान

रांचीः हेमंत सरकार में बनी नियोजन नीति रद्द हो जाने के बाद झारखंड के युवा सरकार से खासे नाराज हैं. छात्रों की बढ रही नाराजगी को देखते हुए सरकार में शामिल कांग्रेस ने अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम देकर एक नया दांव खेलने का काम किया है. इधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सरकार से एक महीने के भीतर नियोजन नीति पर स्थिति स्पष्ट करने संबंधी बयान को भाजपा ने सत्ता की मलाई खाने के लिए ब्लैकमेल करना बताया है(BJP targets Congress on planning policy).

ये भी पढ़ेंः झारखंड में नियोजन नीति का झुनझुना, आखिर कब तक गलत नीतियों का शिकार होते रहेंगे युवा

डैमेज कंट्रोल की कोशिश में कांग्रेसः राज्य में नियोजन नीति रद्द होने के बाद छात्र आक्रोशित हैं. इसे लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सरकार से एक महीने के भीतर नियोजन नीति पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है साथ ही अपने सभी मंत्रियों से कैबिनेट की आने वाले दिनों में होने वाली बैठक में सरकार पर नियोजन नीति को लेकर फैसला लेने का दबाव बनाने को कहा है. राजेश ठाकुर के इस बयान के पीछे कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है. कांग्रेस भी यह मान रही है कि नियोजन नीति में खामियां होने की वजह से हाईकोर्ट से लेकर जनता के बीच सरकार की फजीहत हो रही है. इसके डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस ने एक सोची समझी चाल के तहत अपना चेहरा साफ रखने की कोशिश में है. इसी बहाने एक तरफ आंदोलनरत युवाओं की हिमायती होने की कोशिश कांग्रेस द्वारा हो रही है. वहीं इसी बहाने जेएमएम पर दबाव बनाने की कोशिश पार्टी द्वारा की गई है.

कांग्रेसी बहुत बड़े ब्लैकमेलर हैंः कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के इस बयान के बाद राज्य में नियोजन नीति को लेकर सियासत शुरू हो गई है. वरिष्ठ भाजपा नेता और रांची के विधायक सीपी सिंह ने कांग्रेस के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि कांग्रेसी बहुत बड़े ब्लैकमेलर हैं. उनका यह बयान भी कहीं ना कहीं सरकार में शामिल जेएमएम पर दबाव बनाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि जब यह नियोजन नीति 2021 में बन रही थी उस समय यह कांग्रेसी कहां थे और आज युवा जब सड़कों पर हैं तो इन्हें सरकार के अंदर दबाव बनाना सूझ रहा है. दरअसल इसके पीछे की वजह यह है कि इसी बहाने ब्लैकमेल कर सत्ता की मलाई खाने का मौका मिले. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियोजन नीति को असंंवैधानिक तरीके से बनाया गया और तुष्टिकरण के तहत उर्दू को बढ़ाकर हिंदी अंग्रेजी के साथ अन्याय किया गया. उस समय कैबिनेट में बैठे कांग्रेसी मंत्री क्यों चुप बैठे थे और आज उन्हें छात्रों की परेशानी सूझ रही है.

अब तक तीन बार बन चुकी है नियोजन नीतिः झारखंड में स्थानीय नीति और नियोजन नीति को लेकर विवाद होता रहा है. राज्य गठन के बाद से अब तक तीन बार नियोजन नीति बन चुकी है. राज्य बनने के बाद सर्वप्रथम बाबूलाल नेतृत्व में बनी सरकार ने स्थानीय और नियोजन नीति बनाकर राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की कोशिश की. स्थानीय और नियोजन नीति में खामियों की वजह से झारखंड हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया.

फिर 2016 में रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य में बनी सरकार ने नियोजन नीति बनाई. जिसके तहत राज्य के 13 जिलों को अधिसूचित क्षेत्र और 11 जिलों को सामान्य श्रेणी में बांटकर जिलास्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई. यह नियोजन नीति भी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार रद्द कर दी गई. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य में बनी यूपीए की सरकार ने रघुवर दास के समय बने नियोजन नीति को खारिज करते हुए 2021 में एक नई नियोजन नीति बनाने का काम किया. जिसके तहत झारखंड से मैट्रिक-इंटर पास की अनिवार्यता के अलावे हिंदी और अंग्रेजी को किनारे करते हुए प्रत्येक जिले में उर्दू एवं क्षेत्रीय भाषाओं की मान्यता दी गई. जिसके खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. हाईकोर्ट से नियोजन नीति रद्द किये जाने के बाद जेएसएससी की विभिन्न परीक्षा लटक गई है. जिससे छात्र आक्रोशित हैं और आंदोलन पर हैं. बहरहाल एक बार फिर राज्य में नियोजन नीति का मुद्दा गरम है और सरकार बीच का रास्ता निकालने में जुटी है.

राजेश ठाकुर और सीपी सिंह का बयान

रांचीः हेमंत सरकार में बनी नियोजन नीति रद्द हो जाने के बाद झारखंड के युवा सरकार से खासे नाराज हैं. छात्रों की बढ रही नाराजगी को देखते हुए सरकार में शामिल कांग्रेस ने अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम देकर एक नया दांव खेलने का काम किया है. इधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सरकार से एक महीने के भीतर नियोजन नीति पर स्थिति स्पष्ट करने संबंधी बयान को भाजपा ने सत्ता की मलाई खाने के लिए ब्लैकमेल करना बताया है(BJP targets Congress on planning policy).

ये भी पढ़ेंः झारखंड में नियोजन नीति का झुनझुना, आखिर कब तक गलत नीतियों का शिकार होते रहेंगे युवा

डैमेज कंट्रोल की कोशिश में कांग्रेसः राज्य में नियोजन नीति रद्द होने के बाद छात्र आक्रोशित हैं. इसे लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सरकार से एक महीने के भीतर नियोजन नीति पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है साथ ही अपने सभी मंत्रियों से कैबिनेट की आने वाले दिनों में होने वाली बैठक में सरकार पर नियोजन नीति को लेकर फैसला लेने का दबाव बनाने को कहा है. राजेश ठाकुर के इस बयान के पीछे कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है. कांग्रेस भी यह मान रही है कि नियोजन नीति में खामियां होने की वजह से हाईकोर्ट से लेकर जनता के बीच सरकार की फजीहत हो रही है. इसके डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस ने एक सोची समझी चाल के तहत अपना चेहरा साफ रखने की कोशिश में है. इसी बहाने एक तरफ आंदोलनरत युवाओं की हिमायती होने की कोशिश कांग्रेस द्वारा हो रही है. वहीं इसी बहाने जेएमएम पर दबाव बनाने की कोशिश पार्टी द्वारा की गई है.

कांग्रेसी बहुत बड़े ब्लैकमेलर हैंः कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के इस बयान के बाद राज्य में नियोजन नीति को लेकर सियासत शुरू हो गई है. वरिष्ठ भाजपा नेता और रांची के विधायक सीपी सिंह ने कांग्रेस के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि कांग्रेसी बहुत बड़े ब्लैकमेलर हैं. उनका यह बयान भी कहीं ना कहीं सरकार में शामिल जेएमएम पर दबाव बनाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि जब यह नियोजन नीति 2021 में बन रही थी उस समय यह कांग्रेसी कहां थे और आज युवा जब सड़कों पर हैं तो इन्हें सरकार के अंदर दबाव बनाना सूझ रहा है. दरअसल इसके पीछे की वजह यह है कि इसी बहाने ब्लैकमेल कर सत्ता की मलाई खाने का मौका मिले. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियोजन नीति को असंंवैधानिक तरीके से बनाया गया और तुष्टिकरण के तहत उर्दू को बढ़ाकर हिंदी अंग्रेजी के साथ अन्याय किया गया. उस समय कैबिनेट में बैठे कांग्रेसी मंत्री क्यों चुप बैठे थे और आज उन्हें छात्रों की परेशानी सूझ रही है.

अब तक तीन बार बन चुकी है नियोजन नीतिः झारखंड में स्थानीय नीति और नियोजन नीति को लेकर विवाद होता रहा है. राज्य गठन के बाद से अब तक तीन बार नियोजन नीति बन चुकी है. राज्य बनने के बाद सर्वप्रथम बाबूलाल नेतृत्व में बनी सरकार ने स्थानीय और नियोजन नीति बनाकर राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की कोशिश की. स्थानीय और नियोजन नीति में खामियों की वजह से झारखंड हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया.

फिर 2016 में रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य में बनी सरकार ने नियोजन नीति बनाई. जिसके तहत राज्य के 13 जिलों को अधिसूचित क्षेत्र और 11 जिलों को सामान्य श्रेणी में बांटकर जिलास्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई. यह नियोजन नीति भी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार रद्द कर दी गई. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य में बनी यूपीए की सरकार ने रघुवर दास के समय बने नियोजन नीति को खारिज करते हुए 2021 में एक नई नियोजन नीति बनाने का काम किया. जिसके तहत झारखंड से मैट्रिक-इंटर पास की अनिवार्यता के अलावे हिंदी और अंग्रेजी को किनारे करते हुए प्रत्येक जिले में उर्दू एवं क्षेत्रीय भाषाओं की मान्यता दी गई. जिसके खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. हाईकोर्ट से नियोजन नीति रद्द किये जाने के बाद जेएसएससी की विभिन्न परीक्षा लटक गई है. जिससे छात्र आक्रोशित हैं और आंदोलन पर हैं. बहरहाल एक बार फिर राज्य में नियोजन नीति का मुद्दा गरम है और सरकार बीच का रास्ता निकालने में जुटी है.

Last Updated : Jan 3, 2023, 4:38 PM IST
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