रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक बार फिर ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए. ईडी का यह छठा समन था, जिसके तहत 12 दिसंबर को उन्हें ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए उपस्थित होना था. इन सबके बीच इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है. प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा है कि अगर भय नहीं है तो ईडी के समक्ष हाजिर क्यों नहीं होते.
पूर्व स्पीकर और रांची के बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने आलोचना करते हुए कहा है कि अगर एक सामान्य आदमी को यही नोटिस रहता तो दूसरे दिन पुलिस पदाधिकारी कार्रवाई के लिए घर पहुंच जाते. सीएम राज्य के मुखिया हैं, इसी तरह ईडी को भी संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. ऐसे में मुख्यमंत्री को ईडी के समक्ष जरूर जाना चाहिए था. यदि छठी बार भी वो नहीं गए तो अब ईडी को देखना होगा कि वो क्या कर सकती है.
इधर ईडी के समक्ष छठे समन पर भी सीएम के उपस्थित नहीं होने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुप्पी साध ली है. पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि यह मामला लीगल टीम देख रही है और विधि सम्मत स्टेप उठाया जा रहा है.
सीएम की ओर से ईडी को जवाब भेजने की चर्चा: ईडी की नोटिस पर उपस्थित होने के बजाय एक बार फिर सीएम की ओर से ईडी को जवाब भेजने की चर्चा है. सीएम के दुमका जाने के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय के एक कर्मी के द्वारा ईडी को जवाब भेजा गया है. जवाब में समन को त्रुटिपूर्ण बताते हुए इसे स्पष्ट करते हुए अग्रतर कार्रवाई नहीं करने का आग्रह किया गया है.
बहरहाल ईडी समन को लेकर एक बार फिर सियासी तापमान बढ़ा हुआ है. विपक्ष इस बहाने सरकार पर हमला बोलने में जुटी हुई है. वहीं सत्तारूढ़ दल ईडी कार्रवाई के पीछे बीजेपी पर पलटवार करने में लगे हैं.
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