रांची: प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण में सत्तारूढ़ बीजेपी दल-बदलूओं के भरोसे है. दरअसल पहले चरण की 13 विधानसभा सीटों में से आधे से अधिक सीटें ऐसी हैं जिनमें बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर दांव खेला है, साथ ही इस चरण में 2 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं. आंकड़ों को गौर करें तो 13 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जो चुनाव के ठीक पहले पार्टी में शामिल हुए हैं.
इनके ऊपर हैं गंभीर आरोप
भवनाथपुर विधानसभा सीट से विधायक भानु प्रताप शाही ने हाल ही में बीजेपी का दामन थामा है. शाही बहुचर्चित दवा घोटाले के आरोपी हैं. सूत्रों की मानें तो इस मामले में न्यायालय में कार्रवाई काफी आगे तक पहुंच चुकी है. बावजूद इसके पार्टी ने भवनाथपुर से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, दूसरी तरफ पांकी से बीजेपी के उम्मीदवार शशि भूषण मेहता के ऊपर उनके स्कूल की एक शिक्षिका की हत्या का आरोप है. दरअसल मेहता प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक हैं और उसी की एक शाखा में तैनात सुचित्रा मिश्रा नाम की महिला की हत्या का आरोप उनके ऊपर लगा है.
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लगातार बैठते रहे अपोजिशन बेंच पर
वहीं, लोहरदगा से कांग्रेस के टिकट पर 2014 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले सुखदेव भगत झारखंड विधानसभा की अपोजिशन बेंच पर लगातार बैठते रहे. चुनावों के ऐन वक्त पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और पार्टी ने वहां से उन्हें टिकट भी दे दिया. उसी तरह जेवीएम के प्रकाश राम है जो लातेहार से फिलहाल विधायक हैं और मुख्यमंत्री रघुवर दास की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.
पुराने कार्यकर्ता को दिया समर्थन
जेवीएम छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले मनोज कुमार भुइयां की पत्नी पुष्पा देवी को भी उम्मीदवार बनाया गया है. बीजेपी ने अपने सिटिंग विधायक राधा कृष्ण किशोर का टिकट काटकर पुष्पा देवी को छतरपुर से उम्मीदवार बनाया है, जबकि डाल्टेनगंज से आलोक चौरसिया ने 2014 का विधानसभा चुनाव झाविमो के टिकट से जीता था, लेकिन 2015 में बीजेपी में शामिल हो गए. उसी तरह हुसैनाबाद से बीजेपी ने एक पुराने कार्यकर्ता को समर्थन दिया है. वहां से विनोद कुमार सिंह ने निर्दलीय पर्चा भरा और बाद में पार्टी ने उन्हें समर्थन दिया है.
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विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा
इस बाबत झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव साफ तौर पर कहते हैं कि दरअसल बीजेपी आयातित नेताओं के भरोसे चुनाव लड़ रही है. उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी के पास चुनाव लड़ने के लिए चेहरे तक नहीं है. यही वजह है कि दूसरे दलों से आए नेताओं को उसने मैदान में उतार दिया है. वहीं, बीजेपी के मीडिया पैनलिस्ट ललित ओझा ने कहा कि पार्टी पूरी तरह से तैयार है और पहले चरण में अच्छे नतीजे सामने आएंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी में जो भी उम्मीदवार बनाए गए हैं, वह बहुत सोच समझकर के शीर्ष नेतृत्व ने तय किया है.
प्रदेश की इन 13 सीटों के लिए 30 नवंबर को मतदान होना है. इस चरण में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की किस्मत का भी फैसला होना है, जो विश्रामपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार है.