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साक्षी महाराज के होम क्वॉरेंटाइन पर बिफरी बीजेपी, कहा- तेज प्रताप आए और गए, प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई

सत्ता की हनक देखनी हो तो झारखंड आइए, यहां किस तरह सत्ताधारी दल के नेताओं को नियम कानून में ढील दी जाती है, वहीं जब विपक्ष की बात हो तो नेता चाहे कितना भी प्रभावशाली हो उनके लिए कानून और सख्त हो जाता है. उदाहरण के लिए लालू के बेटे तेज प्रताप और बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को ले सकते हैं.

bjp raises question over forcible qurantaine
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Published : Aug 29, 2020, 6:39 PM IST

रांची: गिरिडीह जिले में बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को बलपूर्वक क्वॉरेंटाइन करने पर पार्टी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार इस मामले में दोहरी नीति अपना रही है. उन्होंने कहा कि हैरत की बात यह है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के पुत्र तेजप्रताप बिना किसी परमिशन के 60 गाड़ियों के काफिले के साथ रांची में प्रवेश करते हैं, लेकिन जिला प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है.

बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव
तेजस्वी के खिलाए हुई दर्ज औपचारिक एफआईआरबीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने शनिवार को कहा कि हैरत की बात यह है कि राजद के कथित समर्थकों द्वारा राजधानी के रिम्स परिसर में हंगामा भी किया जाता है. इसपर भी जिला प्रशासन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करती. सबसे बड़ी बात यह है कि 2 दिनों के बाद तेजस्वी वापस लौट जाते हैं. उसके बाद महज एक औपचारिक एफआईआर दर्ज की जाती है. वहीं, दूसरी तरफ साक्षी महाराज को जबरदस्ती होम क्वॉरेंटाइन में डाल दिया जाता है.सरकार अपना रही है दोहरी नीतिशाहदेव ने कहा कि साक्षी महाराज को पुलिस के द्वारा बीच सड़क पर उन्हें जबरदस्ती रोका जाता है और बलपूर्वक क्वॉरेंटाइन किया जाता है, जबकि साक्षी महाराज लगातार इस मुद्दे पर विरोध जाहिर करते आ रहे हैं. इस मामले में राज्य सरकार की दोहरी नीति साफ नजर आती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राजद के सामने घुटने टेक दिए हैं और बीजेपी को टारगेट कर रही है.ये भी पढ़ें- यूपी के सांसद साक्षी महाराज भेजे गए 14 दिन के क्वॉरेंटाइन, कहा- इस तरह से रोकना ठीक नहीं

उमंग सिंघार भी नहीं हुए थे क्वॉरेंटाइन

इससे पहले झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सह प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता उमंग सिंघार भी दौरे पर झारखंड आए थे लेकिन उन्हें भी क्वॉरेंटाइन नहीं किया गया. इतना ही नहीं सिंघार ने पार्टी द्वारा आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम में में हिस्सा लिया और और बैठक करने दूसरे जिले में चले गए. हालांकि जैसे ही मामला मीडिया में आया उसके बाद उन्हें आनन-फानन में झारखंड से वापस दिल्ली भेज दिया गया.

ये भी पढ़ें- 1899 के अकाल में जनता के साथ खड़ी थी कांग्रेस, कोरोना काल में भी वही सिलसिला है जारी: रामेश्वर उरांव

बाबूलाल और दीपक प्रकाश रहे थे होम क्वॉरेटाइन में
दूसरी तरफ बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश दिल्ली से लौटने के बाद 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन में रहे, जबकि दीपक प्रकाश राज्यसभा में सांसद पद की शपथ लेने गए थे. दिल्ली से झारखंड वापस आने के बाद दोनों नेताओं के हाथ में होम क्वॉरेंटाइन का ठप्पा तक लगा दिया गया था.

क्या है इससे जुड़ी सरकार की गाइड लाइन
दरअसल, झारखंड सरकार के गाइडलाइन के अनुसार दूसरे राज्यों से यहां आने वाले लोगों के लिए 14 दिन का होम क्वॉरेंटाइन अनिवार्य है. हालांकि इससे रियायत वैसे लोगों को मिलेगी जो हवाई यात्रा से 72 घंटे के लिए झारखंड आ रहे हैं, साथ ही उन्हें अपने लौटने की टिकट दिखानी होगी. इसके अलावा विधायी और व्यवसायिक कार्यो से झारखंड आने वाले लोगों को भी इससे छूट मिल सकती है, बशर्ते कि संबंधित जिला के उपायुक्त उन्हें इजाजत दें.

रांची: गिरिडीह जिले में बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को बलपूर्वक क्वॉरेंटाइन करने पर पार्टी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार इस मामले में दोहरी नीति अपना रही है. उन्होंने कहा कि हैरत की बात यह है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के पुत्र तेजप्रताप बिना किसी परमिशन के 60 गाड़ियों के काफिले के साथ रांची में प्रवेश करते हैं, लेकिन जिला प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है.

बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव
तेजस्वी के खिलाए हुई दर्ज औपचारिक एफआईआरबीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने शनिवार को कहा कि हैरत की बात यह है कि राजद के कथित समर्थकों द्वारा राजधानी के रिम्स परिसर में हंगामा भी किया जाता है. इसपर भी जिला प्रशासन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करती. सबसे बड़ी बात यह है कि 2 दिनों के बाद तेजस्वी वापस लौट जाते हैं. उसके बाद महज एक औपचारिक एफआईआर दर्ज की जाती है. वहीं, दूसरी तरफ साक्षी महाराज को जबरदस्ती होम क्वॉरेंटाइन में डाल दिया जाता है.सरकार अपना रही है दोहरी नीतिशाहदेव ने कहा कि साक्षी महाराज को पुलिस के द्वारा बीच सड़क पर उन्हें जबरदस्ती रोका जाता है और बलपूर्वक क्वॉरेंटाइन किया जाता है, जबकि साक्षी महाराज लगातार इस मुद्दे पर विरोध जाहिर करते आ रहे हैं. इस मामले में राज्य सरकार की दोहरी नीति साफ नजर आती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राजद के सामने घुटने टेक दिए हैं और बीजेपी को टारगेट कर रही है.ये भी पढ़ें- यूपी के सांसद साक्षी महाराज भेजे गए 14 दिन के क्वॉरेंटाइन, कहा- इस तरह से रोकना ठीक नहीं

उमंग सिंघार भी नहीं हुए थे क्वॉरेंटाइन

इससे पहले झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सह प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता उमंग सिंघार भी दौरे पर झारखंड आए थे लेकिन उन्हें भी क्वॉरेंटाइन नहीं किया गया. इतना ही नहीं सिंघार ने पार्टी द्वारा आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम में में हिस्सा लिया और और बैठक करने दूसरे जिले में चले गए. हालांकि जैसे ही मामला मीडिया में आया उसके बाद उन्हें आनन-फानन में झारखंड से वापस दिल्ली भेज दिया गया.

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बाबूलाल और दीपक प्रकाश रहे थे होम क्वॉरेटाइन में
दूसरी तरफ बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश दिल्ली से लौटने के बाद 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन में रहे, जबकि दीपक प्रकाश राज्यसभा में सांसद पद की शपथ लेने गए थे. दिल्ली से झारखंड वापस आने के बाद दोनों नेताओं के हाथ में होम क्वॉरेंटाइन का ठप्पा तक लगा दिया गया था.

क्या है इससे जुड़ी सरकार की गाइड लाइन
दरअसल, झारखंड सरकार के गाइडलाइन के अनुसार दूसरे राज्यों से यहां आने वाले लोगों के लिए 14 दिन का होम क्वॉरेंटाइन अनिवार्य है. हालांकि इससे रियायत वैसे लोगों को मिलेगी जो हवाई यात्रा से 72 घंटे के लिए झारखंड आ रहे हैं, साथ ही उन्हें अपने लौटने की टिकट दिखानी होगी. इसके अलावा विधायी और व्यवसायिक कार्यो से झारखंड आने वाले लोगों को भी इससे छूट मिल सकती है, बशर्ते कि संबंधित जिला के उपायुक्त उन्हें इजाजत दें.

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