रांचीः जनता की समस्या को दूर करने के लिए कांग्रेस कोटे के मंत्रियों द्वारा इन दिनों कांग्रेस भवन में प्रत्येक सोमवार को जनसुनवाई की जा रही है. केंद्रीय नेतृत्व के दिशा निर्देश पर चल रही इस जनसुनवाई में अपेक्षा के अनुरूप लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि अब तक जनसुनवाई के दौरान 200 से अधिक आवेदन प्रदेश कार्यालय को मिल चुका है. जिसमें संबंधित विभाग से इसके निष्पादन के लिए पत्र लिखा गया है. अब तक कांग्रेस कोटे के सभी चारों मंत्री जनसुनवाई कर चुके हैं और यह अनवरत जारी रखने को कहा गया है.
जनसुनवाई को मंत्री बता रहे सफलः प्रत्येक सोमवार को हो रही जनसुनवाई को कांग्रेस कोटे के मंत्री सफल बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इस पर तंज कस रहा है. 18 सितंबर को आयोजित जनसुनवाई को सफल बताते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि यहां वैसे लोग आ रहे हैं, जिनको किसी न किसी कारणबस सरकारी कार्यालय में चक्कर लगाने के बावजूद काम नहीं हो पाता या मंत्री से भेंट कार्यव्यस्तता की वजह से नहीं हो पाती थी. सोमवार को जनसुनवाई निर्धारित होने से उन्हें पता चल जाता है कि संबंधित विभाग के मंत्री कांग्रेस भवन में मिलेंगे. यहां आवेदन देकर वह अपनी समस्या से अवगत कराते हैं हालांकि इस दौरान ऐसे-ऐसे आवेदन आते हैं जो न केवल अटपटा रहता है बल्कि सरकारी नियम के विरुद्ध आवेदन रहते हैं जो किसी दृष्टि से उचित नहीं हैं.
कार्यक्रम पर विपक्ष कस रहा तंजः भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कांग्रेस के द्वारा जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि यह सिर्फ और सिर्फ आईवॉश है. उन्होंने कांग्रेस कोटे के मंत्रियों द्वारा झूठा आश्वासन दिए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे पास भी जनता आती है और कांग्रेस जनसुनवाई के बारे में बताती है. इधर सोमवार को जनसुनवाई में अपनी जमीन बचाने पहुंचे डुमरी निवासी खलील अंसारी कहते हैं कि उनकी जमीन पर दलालों ने जबरन कब्जा कर लिया है और फर्जी रसीद बनाकर हमें बेदखल कर दिया है ऐसे में कृषि मंत्री बादल से गुहार लगाने मैं पहुंचा हूं उन्होंने उपायुक्त को इस संबंध में जांच करने को कहा है. इससे पहले मैं उपायुक्त और डीसी कार्यालय का चक्कर कई बार लगा चुका हूं एक बार फिर मुझे वही जाना पड़ेगा.
बहरहाल कांग्रेस नेतृत्व के निर्देश पर शुरू की गई जनसुनवाई से पार्टी को काफी उम्मीदें हैं. इसके जरिए जनता से सीधे जुड़ने के साथ साथ उनके दिलों में कांग्रेस के प्रति भाव जगाए रखना मकसद है मगर जनसुनवाई में फरियादियों की कम उपस्थिति और उसमें भी यथोचित लाभ नहीं मिलने से कहीं ना कहीं इस जनसुनवाई पर सवाल खड़ा करने लगा है.