ETV Bharat / state

'आम की टोकरी' सांसद महेश पोद्दार को नहीं आई रास, खद्दर की कविता को कहा द्विअर्थी

बीजेपी सांसद महेश पोद्दार ने एनसीईआरटी के निदेशक को पत्र लिखा है. उन्होंने एनसीईआरटी के सिलेबस पर आधारित कक्षा एक की हिंदी पुस्तक रिमझिम में शामिल आम की टोकरी शीर्षक कविता के कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई है और उसे सिलेबस से हटाने की मांग की है.

bjp mp mahesh poddar wrote letter to director of  ncert
महेश पोद्दार
author img

By

Published : May 23, 2021, 10:56 PM IST

रांची: बीजेपी के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने एनसीईआरटी के सिलेबस पर आधारित कक्षा एक की हिंदी पुस्तक रिमझिम में शामिल 'आम की टोकरी' शीर्षक कविता के कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे द्विअर्थी और घटिया तुकबंदी करार देते हुए सिलेबस से हटाने की मांग की है. महेश पोद्दार ने इसे लेकर एनसीईआरटी के निदेशक को पत्र लिखा है.

इसे भी पढे़ं: सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षा तिथि पर अब तक फैसला नहीं, शिक्षा मंत्री ने राज्यों से मांगा सुझाव

अपने पत्र में महेश पोद्दार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और भारत सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कुशल मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने कई ऐतिहासिक भूलें सुधारी हैं और समृद्ध भारतीय इतिहास-परंपरा का पाठ्यक्रम में समावेश किया गया है.मेरा मानना है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम निर्धारण और इसकी संतुलित बुनावट के लिए जहां देश के इतिहास, संस्कृति, परंपरा, भूगोल आदि का ध्यान रखा जाना आवश्यक है, वहीं जनभावना और पाठ्यक्रम के बालमन पर संभावित प्रभाव के प्रति सतर्कता बरतना भी जरूरी होता है.

नारी गरिमा पर आघात की आशंका: महेश पोद्दार

महेश पोद्दार ने लिखा है कि कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप कक्षा एक में पढ़ाई जा रही हिंदी की पुस्तक रिमझिम की आम की टोकरी शीर्षक कविता के संबंध में अत्यधिक आपत्ति जतानेवाली टिप्पणियां की जा रही हैं, रिमझिम नाम की इस किताब में शामिल यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर द्वारा रचित है, सोशल मीडिया पर एक बड़ा समूह इस कविता को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग कर रहा है, उनकी शिकायत है कि उक्त कविता के कई शब्द द्विअर्थी हैं, जिससे देश के एक बड़े जनसमूह की भावनाएं आहत होती हैं, नारी गरिमा पर आघात होता है और बालमन पर इसके कुप्रभाव की आशंका है.


इसे भी पढे़ं: निजी नर्सिंग होम पर बड़ी कार्रवाई, 45 दिनों के लिए लाइसेंस सस्पेंड


आपत्ति पर ध्यान देना जरूरी
सांसद पोद्दार ने अपने पत्र में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के लिंक भी साझा किए हैं, जिसमें इस कविता पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई गई है. उन्होंने कहा कि इस कविता को लेकर एनसीईआरटी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार इस कविता का उद्देश्य स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाना है, ताकि बच्चों को सीखना रुचिकर लगे, मेरा और देश के एक बड़े जनसमूह का मानना है कि स्थानीय शब्दावली को रुचिकर ढंग से बच्चों तक पहुंचाने के कई अन्य सरल विकल्प उपलब्ध हैं, यदि देश के एक बड़े जनसमूह को किसी पाठ्य सामग्री पर आपत्ति हो तो उसे पाठ्यक्रम से बाहर किया जाना ही बेहतर है.

रांची: बीजेपी के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने एनसीईआरटी के सिलेबस पर आधारित कक्षा एक की हिंदी पुस्तक रिमझिम में शामिल 'आम की टोकरी' शीर्षक कविता के कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे द्विअर्थी और घटिया तुकबंदी करार देते हुए सिलेबस से हटाने की मांग की है. महेश पोद्दार ने इसे लेकर एनसीईआरटी के निदेशक को पत्र लिखा है.

इसे भी पढे़ं: सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षा तिथि पर अब तक फैसला नहीं, शिक्षा मंत्री ने राज्यों से मांगा सुझाव

अपने पत्र में महेश पोद्दार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और भारत सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कुशल मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने कई ऐतिहासिक भूलें सुधारी हैं और समृद्ध भारतीय इतिहास-परंपरा का पाठ्यक्रम में समावेश किया गया है.मेरा मानना है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम निर्धारण और इसकी संतुलित बुनावट के लिए जहां देश के इतिहास, संस्कृति, परंपरा, भूगोल आदि का ध्यान रखा जाना आवश्यक है, वहीं जनभावना और पाठ्यक्रम के बालमन पर संभावित प्रभाव के प्रति सतर्कता बरतना भी जरूरी होता है.

नारी गरिमा पर आघात की आशंका: महेश पोद्दार

महेश पोद्दार ने लिखा है कि कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप कक्षा एक में पढ़ाई जा रही हिंदी की पुस्तक रिमझिम की आम की टोकरी शीर्षक कविता के संबंध में अत्यधिक आपत्ति जतानेवाली टिप्पणियां की जा रही हैं, रिमझिम नाम की इस किताब में शामिल यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर द्वारा रचित है, सोशल मीडिया पर एक बड़ा समूह इस कविता को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग कर रहा है, उनकी शिकायत है कि उक्त कविता के कई शब्द द्विअर्थी हैं, जिससे देश के एक बड़े जनसमूह की भावनाएं आहत होती हैं, नारी गरिमा पर आघात होता है और बालमन पर इसके कुप्रभाव की आशंका है.


इसे भी पढे़ं: निजी नर्सिंग होम पर बड़ी कार्रवाई, 45 दिनों के लिए लाइसेंस सस्पेंड


आपत्ति पर ध्यान देना जरूरी
सांसद पोद्दार ने अपने पत्र में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के लिंक भी साझा किए हैं, जिसमें इस कविता पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई गई है. उन्होंने कहा कि इस कविता को लेकर एनसीईआरटी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार इस कविता का उद्देश्य स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाना है, ताकि बच्चों को सीखना रुचिकर लगे, मेरा और देश के एक बड़े जनसमूह का मानना है कि स्थानीय शब्दावली को रुचिकर ढंग से बच्चों तक पहुंचाने के कई अन्य सरल विकल्प उपलब्ध हैं, यदि देश के एक बड़े जनसमूह को किसी पाठ्य सामग्री पर आपत्ति हो तो उसे पाठ्यक्रम से बाहर किया जाना ही बेहतर है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.