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कार्य मंत्रणा की बैठक का नहीं रहा कोई औचित्य, सीपी सिंह ने आसन पर उठाए सवाल, सदन में हंगामा - ईटीवी भारत न्यूज

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में बीजेपी का हंगामा जारी है. सत्र के तीसरे दिन भाजपा विधायकों ने राज्य में सूखाड़, लचर विधि व्यवस्था और नियोजन नीति पर चर्चा की मांग की. इसको लेकर उन्होंने वेल में आकर हंगामा किया.

BJP MLAs create ruckus in house during Jharkhand assembly monsoon session
झारखंड विधानसभा
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Published : Aug 1, 2023, 1:42 PM IST

रांचीः मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही भी भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच शुरू हुई. प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा विधायक राज्य में सूखाड़, लचर विधि व्यवस्था और नियोजन नीति पर चर्चा की मांग करने लगे. वेल में हो रहे हंगामे के बीच स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने प्रश्नकाल चलाने की पूरी कोशिश की.

इसे भी पढ़ें- मानसून सत्र का तीसरा दिनः सदन के बाहर बीजेपी विधायकों का प्रदर्शन, राज्य को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग

इसी बीच भाजपा विधायक सीपी सिंह ने व्यवस्था के तहत आसन पर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि कल भी सदन बाधित था, आज भी बाधित है. आखिर यह नौबत क्यों आई, क्यों विपक्ष को वेल में आकर हंगामा करना पड़ रहा है. उन्होंने स्पीकर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि मानसून सत्र के पहले दिन शुक्रवार शोक प्रकाश के बाद कार्य मंत्रणा की बैठक हुई थी. उसमें इस बात पर चर्चा हुई थी कि नियोजन, स्थानीयता और विधि व्यवस्था पर सदन में बहस होगी. स्पीकर ने इसको लेकर आश्वस्त भी कराया था. लेकिन सोमवार को भी बैठक नहीं हुई. यह अबतक तय नहीं हो पाया कि आखिर इन मुद्दों पर विशेष चर्चा कब होगी. ऐसे में हम लोगों को सदन में आने का क्या मतलब है, ऊपर से मंत्री भी सही जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप कार्य मंत्रणा की चर्चा को अमली जामा पहना देते तो वेल में आकर हंगामे की नौबत आती ही नहीं.

इससे पहले हंगामे के बीच भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि राज्य में विधि व्यवस्था चौपट हो गई है, इस पर चर्चा होनी चाहिए, झारखंड में सुखाड़ के हालात बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि आसन को आम जनता का शाप लगेगा. इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पिछले साल सुखाड़ पर राज्य सरकार ने केंद्र को रिपोर्ट भेजा लेकिन केंद्र से पैसा नहीं मिला. भाजपा के विधायकों को चाहिए कि केंद्र सरकार पर इसके लिए दबाव डाले. ऐसा करने के बजाय वेल में हंगामा करने का कोई मतलब नहीं है.

रांचीः मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही भी भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच शुरू हुई. प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा विधायक राज्य में सूखाड़, लचर विधि व्यवस्था और नियोजन नीति पर चर्चा की मांग करने लगे. वेल में हो रहे हंगामे के बीच स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने प्रश्नकाल चलाने की पूरी कोशिश की.

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इसी बीच भाजपा विधायक सीपी सिंह ने व्यवस्था के तहत आसन पर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि कल भी सदन बाधित था, आज भी बाधित है. आखिर यह नौबत क्यों आई, क्यों विपक्ष को वेल में आकर हंगामा करना पड़ रहा है. उन्होंने स्पीकर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि मानसून सत्र के पहले दिन शुक्रवार शोक प्रकाश के बाद कार्य मंत्रणा की बैठक हुई थी. उसमें इस बात पर चर्चा हुई थी कि नियोजन, स्थानीयता और विधि व्यवस्था पर सदन में बहस होगी. स्पीकर ने इसको लेकर आश्वस्त भी कराया था. लेकिन सोमवार को भी बैठक नहीं हुई. यह अबतक तय नहीं हो पाया कि आखिर इन मुद्दों पर विशेष चर्चा कब होगी. ऐसे में हम लोगों को सदन में आने का क्या मतलब है, ऊपर से मंत्री भी सही जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप कार्य मंत्रणा की चर्चा को अमली जामा पहना देते तो वेल में आकर हंगामे की नौबत आती ही नहीं.

इससे पहले हंगामे के बीच भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि राज्य में विधि व्यवस्था चौपट हो गई है, इस पर चर्चा होनी चाहिए, झारखंड में सुखाड़ के हालात बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि आसन को आम जनता का शाप लगेगा. इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पिछले साल सुखाड़ पर राज्य सरकार ने केंद्र को रिपोर्ट भेजा लेकिन केंद्र से पैसा नहीं मिला. भाजपा के विधायकों को चाहिए कि केंद्र सरकार पर इसके लिए दबाव डाले. ऐसा करने के बजाय वेल में हंगामा करने का कोई मतलब नहीं है.

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