रांची: देशभर में केंद्र सरकार के लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन हो रहे है. पंजाब, हरियाणा समेत सात राज्यों के किसान लगभग दो महीनों से दिल्ली के तीन बॉर्डर पर धरना पर बैठे हैं. वो सरकार से इन दिनों कृषि कानूनों को किसान रहित बताकर इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इस क्रम में किसानों ने 26 जनवरी यानि की गणतंत्र दिवस को किसानों संगठनों की ओर से ट्रैक्टर रैली निकालने की मांग की थी और दिल्ली पुलिस की ओर से उन्हं शांतिपूर्ण रैली निकालने की अनुमति दी थी. लेकिन 26 जनवरी को हुए किसानों की ट्रैक्टर रैली ने दंगे, फसाद का रूप ले लिया. जिसकी सभी ओर निंदा हो रही है. इस पर बीजेपी के नेताओं ने प्रतिक्रिया देते हुए किसान आंदोलन को साजिश करार दिया है.
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झारखंड के बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने इसे दुर्भाग्यपुर्ण बताया है. उन्होंने ट्वीट कर किसानों के ट्रैक्टर रैली को कड़ी निंद की है. ट्वीट कर लिखा- 'ये कैसे किसान हैं? जो विरोध के नाम पर उपद्रव कर रहे हैं. ट्रैक्टर मार्च की जगह टेरर मार्च कर रहे हैं, पुलिसवालों को जान से मारने की कोशिश कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि किसान आंदोलन के नाम पर देशविरोधी ताकतों की यह एक सुनियोजित साजिश है.'
किसान नेताओं को घेरा
इस पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने भी ट्वीट कर किसान आंदोलन और संगठनों को घेरा है. उन्होंने लिखा- 'आज किसान के वेश में देशद्रोही व खालिस्तानी चेहरा बेनकाब हो गया. लोकतंत्र और संसद की गरिमा बचाए रखने के लिए अब इन जमानत जब्त नेतृत्व से भारत सरकार को कोई बात नहीं करनी चाहिए.'
उन्होंने किसान नेताओं पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा- 'किसान नेता योगेन्द्र यादव, राकेश टिकैत, हन्नान मुल्ला जैसे लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करना चाहिए. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस व इन नेताओं में क्या फर्क है. यह लोकतंत्र है, भविष्य के लिए यह सबक है कि वार्ता या समझौता केवल चुने प्रतिनिधि से होना चाहिए, जमानत जब्त हुए नेताओं से नहीं?'
वहीं, राजधानी रांची सांसद संजय सेठ ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- आज की विचलित करने वाली तस्वीरें!! क्या यही दिन देखने के लिए गुरुनानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह और ऊधम सिंह से लेकर भगत सिंह ने अपना सर्वस्व बलिदान किया था? यह सिर्फ और सिर्फ देशद्रोह है देशद्रोह!!
इस दंगे में किसान और पुलिस दोनों ही पक्षों के लोग घायल हुए हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर चढ़कर अपना झंडा फहराया. सोशल मीडिया पर किसान संगठनों और किसान आंदोलन को साजिश करार दिया है.