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सीएम रघुवर दास की सर्वमान्य स्वीकार्यता की जुगत में लगी बीजेपी, विपक्ष का दावा बरकरार रहेगी आइडेंटिटी क्राइसिस - बीजेपी के पास आइडेंटिटी क्राइसिस

झारखंड में विधानसभा चुनाव 2019 को लेकर सभी दलों ने पूरी तरह कमर कस ली है. बीजेपी अपने 65 प्लस के लक्ष्य को पूरा करने में दिन-रात मेहनत कर रही है. प्रदेश में इसे लेकर पीएम मोदी के अलावा कई दिग्गज लगातार दौरा कर रहे हैं. वहीं, विपक्ष भी बीजेपी के रथ को रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.

रघुवर दास की लोकप्रियता बढ़ाने में जुटी बीजेपी
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Published : Sep 27, 2019, 11:09 PM IST

रांची: प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में 65 प्लस के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है. पार्टी पूरे प्रदेश में अपने एक सर्वमान्य चेहरा के रूप में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रोजेक्ट करने की जुगत में है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य गठन के 19 वर्षों के बाद बीजेपी रघुवर दास समेत तीन चेहरों पर मुख्यमंत्री का दांव खेल चुकी है.

देखें पूरी खबर

राज्य में बीजेपी के जितने भी मुख्यमंत्री हुए उनमें सबसे सफल मौजूदा सीएम का टेन्योर रहा. सीएम रघुवर दास एक तरफ कथित रूप से बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व करते रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका भी मिल गया.

इसे भी पढ़ें:- RJD 12 सीटों पर लड़ेगा चुनाव, जानिए किन सीटों पर है उसकी नजर

5 बार बीजेपी के सीएम, 3 नेताओं को मिला मौका
राज्य गठन से अब तक मुख्यमंत्री के नामों की चर्चा करें तो सबसे पहले बाबूलाल मरांडी को राज्य की कमान दी गई. 15 नवंबर 2000 को वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. राजनीतिक उठापटक के दौरान 18 मार्च 2003 को पार्टी ने एक नए चेहरे के रूप में अर्जुन मुंडा पर भरोसा किया और मरांडी के ट्राइबल विकल्प के रूप में उन्हें आजमाया. मुंडा इस एक्सपेरिमेंट में काफी सफल भी हुए. हालांकि, 2005 में मुंडा को दोबारा सीएम बनने का मौका मिला और चौथे मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने 12 मार्च 2005 को शपथ ली. इसके बाद मुंडा ने राज्य के 8 वें चीफ मिनिस्टर के रूप में एक 11 सितंबर 2010 को शपथ ली.

इसे भी पढ़ें:- मंत्री सरयू राय ने माना और जिले हो सकते हैं सूखा प्रभावित, कांग्रेस की मांग पूरा राज्य हो सूखाग्रस्त घोषित

पहले गैर आदिवासी सीएम बने रघुवर दास
2014 में हुए चुनाव के बाद रघुवर दास झारखंड के पहले नन ट्राइबल चीफ मिनिस्टर बने. हालांकि, उनके पदभार ग्रहण करने के बाद से कई बार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हवा उड़ी, लेकिन उन्हें कोई डिगा नहीं सका. 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 65 प्लस सीट हासिल करने का लक्ष्य रखा है, इसलिए रघुवर दास की पूरे राज्य में स्वीकार्यता बढ़े इसे लेकर पार्टी प्रयास कर रही है. यही वजह है कि पहली बार बीजेपी ने क्लियर किया कि आगामी विधानसभा चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री के चेहरे पर लड़ा जाएगा.

बीजेपी का दावा विकास कार्यों का मिलेगा लाभ
बीजेपी का कंसेप्ट एकदम क्लियर है. पार्टी की मानें तो पिछले 5 साल से विकास कार्यों का श्रेय मौजूदा मुख्यमंत्री को ही मिलेगा. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री हैं और निश्चित रूप से 5 सालों में उन्होंने जो काम किया है इसलिए वह लोगों से चुनाव के पहले मिलने जा रहे हैं. साहू ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बढ़त बनाएगी और विपक्ष दूर-दूर तक कहीं नहीं रहेगा.

विपक्ष का दावा, बीजेपी के पास सर्वमान्य चेहरा नहीं
वहीं, विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि पिछले 5 साल में किए गए वादे जमीन पर नहीं उतरे. यही वजह है कि मुख्यमंत्री घर-घर और गली-गली घूम रहे हैं. झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि अगर सरकार ने काम किया होता तो इस तरह सड़क पर उतर कर बताने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के पास चेहरे की क्राइसिस है और यह अभी तक बनी हुई है. विनोद पांडे ने कहा कि लंबे समय तक बीजेपी कभी कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं स्थापित कर पाएगी. वहीं, झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के कैबिनेट मंत्री और विधायक खुद उनके सर्वमान्य स्वीकार्यता को लेकर पोल खोल रहे हैं.

रांची: प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में 65 प्लस के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है. पार्टी पूरे प्रदेश में अपने एक सर्वमान्य चेहरा के रूप में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रोजेक्ट करने की जुगत में है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य गठन के 19 वर्षों के बाद बीजेपी रघुवर दास समेत तीन चेहरों पर मुख्यमंत्री का दांव खेल चुकी है.

देखें पूरी खबर

राज्य में बीजेपी के जितने भी मुख्यमंत्री हुए उनमें सबसे सफल मौजूदा सीएम का टेन्योर रहा. सीएम रघुवर दास एक तरफ कथित रूप से बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व करते रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका भी मिल गया.

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5 बार बीजेपी के सीएम, 3 नेताओं को मिला मौका
राज्य गठन से अब तक मुख्यमंत्री के नामों की चर्चा करें तो सबसे पहले बाबूलाल मरांडी को राज्य की कमान दी गई. 15 नवंबर 2000 को वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. राजनीतिक उठापटक के दौरान 18 मार्च 2003 को पार्टी ने एक नए चेहरे के रूप में अर्जुन मुंडा पर भरोसा किया और मरांडी के ट्राइबल विकल्प के रूप में उन्हें आजमाया. मुंडा इस एक्सपेरिमेंट में काफी सफल भी हुए. हालांकि, 2005 में मुंडा को दोबारा सीएम बनने का मौका मिला और चौथे मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने 12 मार्च 2005 को शपथ ली. इसके बाद मुंडा ने राज्य के 8 वें चीफ मिनिस्टर के रूप में एक 11 सितंबर 2010 को शपथ ली.

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पहले गैर आदिवासी सीएम बने रघुवर दास
2014 में हुए चुनाव के बाद रघुवर दास झारखंड के पहले नन ट्राइबल चीफ मिनिस्टर बने. हालांकि, उनके पदभार ग्रहण करने के बाद से कई बार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हवा उड़ी, लेकिन उन्हें कोई डिगा नहीं सका. 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 65 प्लस सीट हासिल करने का लक्ष्य रखा है, इसलिए रघुवर दास की पूरे राज्य में स्वीकार्यता बढ़े इसे लेकर पार्टी प्रयास कर रही है. यही वजह है कि पहली बार बीजेपी ने क्लियर किया कि आगामी विधानसभा चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री के चेहरे पर लड़ा जाएगा.

बीजेपी का दावा विकास कार्यों का मिलेगा लाभ
बीजेपी का कंसेप्ट एकदम क्लियर है. पार्टी की मानें तो पिछले 5 साल से विकास कार्यों का श्रेय मौजूदा मुख्यमंत्री को ही मिलेगा. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री हैं और निश्चित रूप से 5 सालों में उन्होंने जो काम किया है इसलिए वह लोगों से चुनाव के पहले मिलने जा रहे हैं. साहू ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बढ़त बनाएगी और विपक्ष दूर-दूर तक कहीं नहीं रहेगा.

विपक्ष का दावा, बीजेपी के पास सर्वमान्य चेहरा नहीं
वहीं, विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि पिछले 5 साल में किए गए वादे जमीन पर नहीं उतरे. यही वजह है कि मुख्यमंत्री घर-घर और गली-गली घूम रहे हैं. झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि अगर सरकार ने काम किया होता तो इस तरह सड़क पर उतर कर बताने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के पास चेहरे की क्राइसिस है और यह अभी तक बनी हुई है. विनोद पांडे ने कहा कि लंबे समय तक बीजेपी कभी कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं स्थापित कर पाएगी. वहीं, झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के कैबिनेट मंत्री और विधायक खुद उनके सर्वमान्य स्वीकार्यता को लेकर पोल खोल रहे हैं.

Intro:इससे जुड़ा कुछ फ़ोटो और वीडियो रैप से गया है।

बाइट 1 आदित्य साहू, प्रदेश उपाध्यक्ष बीजेपी
बाइट 2 विनोद पांडे केंद्रीय महासचिव झामुमो
बाइट 3 मनोज पांडे प्रवक्ता झामुमो

रांची। प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी आगामी विधानसभा चुनावों में 65 प्लस के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है। साथ ही पार्टी पूरे प्रदेश में अपने एक सर्वमान्य चेहरा के रूप में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रोजेक्ट करने की जुगत में है। दरअसल इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य गठन के 19 वर्षों के बाद बीजेपी दास समेत तीन चेहरों पर मुख्यमंत्री का दांव खेल चुकी है। इसमें सबसे सफल मौजूदा सीएम का टेन्योर रहा। मौजूदा सीएम रघुवर दास ने एक तरफ कथित रूप से बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व करते रहे। वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका भी मिला।

5 बार बीजेपी के सीएम,3 नेताओं को मिला मौका
राज्य गठन से अब तक मुख्यमंत्री के नामों की चर्चा करें तो सबसे पहले बाबूलाल मरांडी को राज्य की कमान दी गई और 15 नवंबर 2000 को वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। राजनीतिक उठापटक के दौरान 18 मार्च 2003 को पार्टी ने एक नए चेहरे अर्जुन मुंडा पर भरोसा किया और मरांडी के ट्राइबल विकल्प के रूप में उन्हें आजमाया गया। मुंडा इस एक्सपेरिमेंट में काफी सफल भी हुए। हालांकि 2005 में मुंडा को दोबारा सीएम बनने का मौका मिला और चौथे मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने 12 मार्च 2005 को शपथ ली। इसके बाद मुंडा ने राज्य के 8 वें चीफ मिनिस्टर के रूप में एक 11 सितंबर 2010 को शपथ ली।






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पहले नन ट्राइबल सीएम बने रघुवर दास
2014 में हुए चुनाव के बाद रघुवर दास को राज्य की कमान दी गई। मुख्यमंत्री दास पहले नन ट्राइबल चीफ मिनिस्टर बने। हालांकि उनके पदभार ग्रहण करने के बाद से कई बार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हवा उड़ी लेकिन उन्हें कोई डिगा नहीं सका। चूंकि 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 65 प्लस सीट हासिल करने का लक्ष्य रखा है, इसलिए दास की पूरे राज्य में स्वीकार्यता बड़े इसको लेकर पार्टी प्रयास कर रही है। यही वजह है कि पहली बार बीजेपी ने क्लियर किया कि आगामी विधानसभा चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री के चेहरे पर लड़ा जाएगा।

बीजेपी का दावा विकास कार्यों का मिलेगा लाभ
हालांकि बीजेपी का कंसेप्ट एकदम क्लियर है। पार्टी की मानें तो पिछले 5 साल से विकास कार्यों का रिजल्ट मौजूदा मुख्यमंत्री को मिलेगा। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू कहते हैं कि मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री हैं और निश्चित रूप से 5 सालों में उन्होंने जो काम किया है इसलिए वह लोगों से चुनाव के पहले मिलने जा रहे हैं। साहू ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बढ़त बनाएगी और विपक्ष दूर-दूर तक कहीं नहीं रहेगा।


Conclusion:विपक्ष का दावा, बीजेपी के पास सर्वमान्य चेहरा नहीं
वहीं विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि पिछले 5 साल में किए गए वादे जमीन पर नहीं उतरे। यही वजह है कि मुख्यमंत्री घर-घर और गली-गली घूम रहे हैं। झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि अगर सरकार ने काम किया होता तो इस तरह सड़क पर उतर कर बताने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के पास चेहरे की क्राइसिस है और यह अभी तक बनी हुई है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक बीजेपी कभी कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं स्थापित कर पाएगी। वहीं झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के कैबिनेट मंत्री और विधायक खुद उनके सर्वमान्य स्वीकार्यता को लेकर पोल खोल रहे हैं।
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