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सफरनामा 2022: झारखंड में बीजेपी सश्क्त विपक्ष की भूमिका में आयी नजर, पर मांडर उपचुनाव में मिली हार - झारखंड न्यूज

झारखंड में भाजपा वर्ष 2022 में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में नजर आयी. विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरने में भाजपा कामयाब (BJP Condition In Jharkhand In Year 2022) रही. हालांकि उपचुनाव में भाजपा को सफलता नहीं मिली, साथ ही पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी दिखी.

BJP Condition In Jharkhand In Year 2022
Jharkhand BJP Office
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Published : Dec 28, 2022, 4:02 PM IST

Updated : Dec 28, 2022, 6:19 PM IST

रांची: झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के लिए वर्ष 2022 मिलाजुला (Look Back 2022 BJP Jharkhand) रहा. संगठन के अंदर और बाहर पार्टी संघर्ष करती रही. सेवा ही संगठन के संकल्प को जमीन पर उतारने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित की गई. जिसके जरिए भारतीय जनता पार्टी सशक्त विपक्ष की भूमिका में नजर आई. हालांकि जैसी सफलता प्रदेश में भाजपा को वर्ष 2022 में मिलनी चाहिए थी, नहीं मिल पायी.

ये भी पढे़ं-झारखंड भाजपा कोर कमेटी की हुई बैठक, संगठन को मजबूत कर सत्ता में लौटने की बनी रणनीति

आंदोलनों के माध्यम से राज्य सरकार पर हावी रहे भाजपा नेताः भाजपा के नेता और कार्यकर्ता हेमंत सरकार की नीतियों के खिलाफ राज्य भर में भ्रष्टाचार मिटाओ-हेमंत हटाओ कार्यक्रम के माध्यम से प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक में आंदोलन करते रहे. इन आंदोलनों में बड़े नेता भी शामिल हुए. इसके अलावा बीजेपी सदन से लेकर सड़क तक सरकार के विरुद्ध आंदोलनरत नजर( BJP In Strong Role Of Opposition) आई. चाहे वह शराब नीति हो या भाषाई विवाद या अवैध खनन का मामला झारखंड बीजेपी जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करती रही.

उपचुनाव में नहीं मिली सफलताः भारतीय जनता पार्टी को जितनी सफलता पार्टी वर्ष 2022 में राजनीतिक रुप से मिलनी चाहिए, वह नहीं मिली. चुनाव की बात करें तो मांडर विधानसभा उपचुनाव के साथ अन्य उपचुनाव में झारखंड बीजेपी को एक बार फिर असफलता हाथ लगी. जिसके बाद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया.

संगठन में अंदरूनी गुटबाजी हावीः झारखंड बीजेपी के अंदर अंदरूनी गुटबाजी से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालत यह है की प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में चल रहे प्रदेश संगठन में वर्तमान में सभी सातों उपाध्यक्ष निष्क्रिय हैं. संगठन की बैठक और कार्यक्रम में इनकी भूमिका नहीं के बराबर देखी गई. हालांकि प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू को पार्टी ने राज्यसभा भेजकर उनके कार्यों के बदले पुरस्कृत जरूर किया.

रांची मेयर के उपलब्धि भरा रहा वर्षः वहीं रांची मेयर आशा लकड़ा के लिए साल 2022 उपलब्धि भरा रहा. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के करीब माने जाने वाली आशा लकड़ा को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल का सह प्रभारी बनाकर उनका कद बढ़ाया. आशा लकड़ा पहले से संगठन के अंदर राष्ट्रीय सचिव हैं.

झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने मात्र एक बार किया राज्य का दौराः नौ सितंबर को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड सहित देश के 15 राज्यों में फेरबदल करते हुए नए प्रभारी को मनोनीत किया. झारखंड में दिलीप सैकिया की जगह नए प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी को बनाया गया. लक्ष्मीकांत बाजपेयी मेरठ विधानसभा से चार बार विधानसभा सदस्य रहने के अलावे वर्तमान समय में राज्यसभा सदस्य भी हैं. प्रभारी बनने के बाद लक्ष्मीकांत बाजपेयी पहली बार पांच दिवसीय दौरे पर 20 सितंबर को देवघर आए. देवघर के बाद धनबाद, बोकारो और रांची में अभिनंदन समारोह के जरिए बैठकों का दौर जारी रहा. पांच दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद दिल्ली लौटे लक्ष्मीकांत बाजपेयी दूसरी बार झारखंड के दौरे पर नहीं आए हैं. वहीं प्रदेश प्रभारी बदलने से ठीक पहले अगस्त में उत्तर प्रदेश के कर्मवीर को धर्मपाल सिंह के स्थान पर झारखंड बीजेपी संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई.

भाजपा के बड़े नेताओं ने पॉलिटिक्स से बनायी दूरीः इन सब बदलाव के बीच संगठन का कामकाज प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सालों भर चलता रहा. बीजेपी के बड़े नेता खासकर अर्जुन मुंडा, अन्नपूर्णा देवी, जयंत सिन्हा, रविंद्र राय जैसे लोग स्टेट पॉलिटिक्स से दूरी बनाकर रखी. इन नेताओं के इक्का- दुक्का बयान मीडिया के बीच आती रही.

गोड्डा सांसद ट्वीट के माध्यम से साधते रहे सरकार पर निशानाः गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे सालों भर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ट्वीट के माध्यम से निशाना साधने में सफल रहे. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला (Office Of Profit Case) उठाने में सफल रहे. यह मुद्दा अगस्त में सुर्खियों में रही. बीजेपी की शिकायत पर चुनाव आयोग के द्वारा राजभवन को भेजा गया बंद लिफाफा एक तरफ सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करने लगी, वहीं दूसरी ओर बीजेपी के नेता मधुबन में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में इस दौरान मशगुल रहे. सांसद निशिकांत दूबे का ट्यूट ने इस दौरान खूब सुर्खियां बटोरी. बहरहाल साल 2022 में बीजेपी की भूमिका एक सशक्त विपक्ष के रुप में जरूर दिखा, लेकिन सांगठनिक मजबूती का अभाव मांडर विधानसभा उपचुनाव में दिखा. जिस वजह से वोट अधिक लाने के बाबजूद सफलता हाथ नहीं लगी.

रांची: झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के लिए वर्ष 2022 मिलाजुला (Look Back 2022 BJP Jharkhand) रहा. संगठन के अंदर और बाहर पार्टी संघर्ष करती रही. सेवा ही संगठन के संकल्प को जमीन पर उतारने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित की गई. जिसके जरिए भारतीय जनता पार्टी सशक्त विपक्ष की भूमिका में नजर आई. हालांकि जैसी सफलता प्रदेश में भाजपा को वर्ष 2022 में मिलनी चाहिए थी, नहीं मिल पायी.

ये भी पढे़ं-झारखंड भाजपा कोर कमेटी की हुई बैठक, संगठन को मजबूत कर सत्ता में लौटने की बनी रणनीति

आंदोलनों के माध्यम से राज्य सरकार पर हावी रहे भाजपा नेताः भाजपा के नेता और कार्यकर्ता हेमंत सरकार की नीतियों के खिलाफ राज्य भर में भ्रष्टाचार मिटाओ-हेमंत हटाओ कार्यक्रम के माध्यम से प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक में आंदोलन करते रहे. इन आंदोलनों में बड़े नेता भी शामिल हुए. इसके अलावा बीजेपी सदन से लेकर सड़क तक सरकार के विरुद्ध आंदोलनरत नजर( BJP In Strong Role Of Opposition) आई. चाहे वह शराब नीति हो या भाषाई विवाद या अवैध खनन का मामला झारखंड बीजेपी जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करती रही.

उपचुनाव में नहीं मिली सफलताः भारतीय जनता पार्टी को जितनी सफलता पार्टी वर्ष 2022 में राजनीतिक रुप से मिलनी चाहिए, वह नहीं मिली. चुनाव की बात करें तो मांडर विधानसभा उपचुनाव के साथ अन्य उपचुनाव में झारखंड बीजेपी को एक बार फिर असफलता हाथ लगी. जिसके बाद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया.

संगठन में अंदरूनी गुटबाजी हावीः झारखंड बीजेपी के अंदर अंदरूनी गुटबाजी से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालत यह है की प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में चल रहे प्रदेश संगठन में वर्तमान में सभी सातों उपाध्यक्ष निष्क्रिय हैं. संगठन की बैठक और कार्यक्रम में इनकी भूमिका नहीं के बराबर देखी गई. हालांकि प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू को पार्टी ने राज्यसभा भेजकर उनके कार्यों के बदले पुरस्कृत जरूर किया.

रांची मेयर के उपलब्धि भरा रहा वर्षः वहीं रांची मेयर आशा लकड़ा के लिए साल 2022 उपलब्धि भरा रहा. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के करीब माने जाने वाली आशा लकड़ा को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल का सह प्रभारी बनाकर उनका कद बढ़ाया. आशा लकड़ा पहले से संगठन के अंदर राष्ट्रीय सचिव हैं.

झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने मात्र एक बार किया राज्य का दौराः नौ सितंबर को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड सहित देश के 15 राज्यों में फेरबदल करते हुए नए प्रभारी को मनोनीत किया. झारखंड में दिलीप सैकिया की जगह नए प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी को बनाया गया. लक्ष्मीकांत बाजपेयी मेरठ विधानसभा से चार बार विधानसभा सदस्य रहने के अलावे वर्तमान समय में राज्यसभा सदस्य भी हैं. प्रभारी बनने के बाद लक्ष्मीकांत बाजपेयी पहली बार पांच दिवसीय दौरे पर 20 सितंबर को देवघर आए. देवघर के बाद धनबाद, बोकारो और रांची में अभिनंदन समारोह के जरिए बैठकों का दौर जारी रहा. पांच दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद दिल्ली लौटे लक्ष्मीकांत बाजपेयी दूसरी बार झारखंड के दौरे पर नहीं आए हैं. वहीं प्रदेश प्रभारी बदलने से ठीक पहले अगस्त में उत्तर प्रदेश के कर्मवीर को धर्मपाल सिंह के स्थान पर झारखंड बीजेपी संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई.

भाजपा के बड़े नेताओं ने पॉलिटिक्स से बनायी दूरीः इन सब बदलाव के बीच संगठन का कामकाज प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सालों भर चलता रहा. बीजेपी के बड़े नेता खासकर अर्जुन मुंडा, अन्नपूर्णा देवी, जयंत सिन्हा, रविंद्र राय जैसे लोग स्टेट पॉलिटिक्स से दूरी बनाकर रखी. इन नेताओं के इक्का- दुक्का बयान मीडिया के बीच आती रही.

गोड्डा सांसद ट्वीट के माध्यम से साधते रहे सरकार पर निशानाः गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे सालों भर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ट्वीट के माध्यम से निशाना साधने में सफल रहे. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला (Office Of Profit Case) उठाने में सफल रहे. यह मुद्दा अगस्त में सुर्खियों में रही. बीजेपी की शिकायत पर चुनाव आयोग के द्वारा राजभवन को भेजा गया बंद लिफाफा एक तरफ सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करने लगी, वहीं दूसरी ओर बीजेपी के नेता मधुबन में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में इस दौरान मशगुल रहे. सांसद निशिकांत दूबे का ट्यूट ने इस दौरान खूब सुर्खियां बटोरी. बहरहाल साल 2022 में बीजेपी की भूमिका एक सशक्त विपक्ष के रुप में जरूर दिखा, लेकिन सांगठनिक मजबूती का अभाव मांडर विधानसभा उपचुनाव में दिखा. जिस वजह से वोट अधिक लाने के बाबजूद सफलता हाथ नहीं लगी.

Last Updated : Dec 28, 2022, 6:19 PM IST
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