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हेमंत सरकार की नियोजन नीति हुई रद्द, राज्य में सियासत हुई गर्म - Ranchi News

हेमंत सरकार की नियोजन नीति को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने रद्द कर दिया है. इसके बाद से ही राज्य में इस पर राजनीति शुरू हो गई है. विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर हो रहा है तो वहीं कांग्रेस सरकार के समर्थन में बोल रही है.

Hemant government planning policy
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Published : Dec 16, 2022, 8:56 PM IST

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रांची: हेमंत सरकार की नियोजन नीति झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) द्वारा रद्द किये जाने पर राजनीति शुरू हो गई है. सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के लिए यह फैसला निराशाजनक रहा है. फैसला आने के बाद जहां बीजेपी आक्रामक है (BJP Reaction on Planning Policy Cancelation). वहीं सत्तारूढ़ दल सरकार के बचाव में उतर आई है.

यह भी पढ़ें: झारखंड हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, उप समाहर्ता प्रतियोगिता परीक्षा नियमावली को सही ठहराया

विधायक लंबोदर महतो ने क्या कहा: आजसू विधायक लंबोदर महतो ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हम लगातार इस नीति के खिलाफ सदन में आवाज उठाते रहें कि राज्य में 10वीं और 12वीं पास को आधार बनाने का फैसला राज्य हित में नहीं है. लेकिन सरकार ने नहीं माना. आज सरकार को हाईकोर्ट में घुटना टेकना पड़ा. यदि सरकार सदन में हमारी बात को मान लेती तो आज उसे लज्जित होना नहीं पड़ता. यह पूरी तरह से असंवैधानिक नीति थी. जिस वजह से सरकार को यह दिन देखना पड़ रहा है.

कांग्रेस समर्थन में बोली: इधर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के बाद इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की बात कही है. कांग्रेस नेता और राज्य सरकार की वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि न्यायालय का फैसला का अध्ययन करने के बाद सरकार इस पर उचित कदम उठाएगी. हम प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाएंगे. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि न्यायालय के द्वारा दिए गए इस फैसले की जानकारी मुझे नहीं है.

माले विधायक का बयान : माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि दिसंबर 2021 में जब सरकार यह नियोजन नीति लाई थी. तो शीतकालीन सत्र के दौरान मैंने सदन में सरकार को सचेत करते हुए कहा था कि यह नियोजन नीति संवैधानिक रुप से गलत है. इसमें अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन हो रहा है. मगर सरकार ने इसे अनसुना करते हुए एक ही रट लगा रही थी कि कैबिनेट से यह पास हो चुका है. कैबिनेट या सरकार नियम से बंधे हैं. कोई भी संविधान से ऊपर नहीं है. यदि उस समय सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज वो दिन देखना नहीं पड़ता. मगर हमारी बातों को सरकार अनसुना करती रही और आज झारखंड हाईकोर्ट से नियोजन नीति रद्द कर दी है.

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रांची: हेमंत सरकार की नियोजन नीति झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) द्वारा रद्द किये जाने पर राजनीति शुरू हो गई है. सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के लिए यह फैसला निराशाजनक रहा है. फैसला आने के बाद जहां बीजेपी आक्रामक है (BJP Reaction on Planning Policy Cancelation). वहीं सत्तारूढ़ दल सरकार के बचाव में उतर आई है.

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विधायक लंबोदर महतो ने क्या कहा: आजसू विधायक लंबोदर महतो ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हम लगातार इस नीति के खिलाफ सदन में आवाज उठाते रहें कि राज्य में 10वीं और 12वीं पास को आधार बनाने का फैसला राज्य हित में नहीं है. लेकिन सरकार ने नहीं माना. आज सरकार को हाईकोर्ट में घुटना टेकना पड़ा. यदि सरकार सदन में हमारी बात को मान लेती तो आज उसे लज्जित होना नहीं पड़ता. यह पूरी तरह से असंवैधानिक नीति थी. जिस वजह से सरकार को यह दिन देखना पड़ रहा है.

कांग्रेस समर्थन में बोली: इधर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के बाद इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की बात कही है. कांग्रेस नेता और राज्य सरकार की वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि न्यायालय का फैसला का अध्ययन करने के बाद सरकार इस पर उचित कदम उठाएगी. हम प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाएंगे. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि न्यायालय के द्वारा दिए गए इस फैसले की जानकारी मुझे नहीं है.

माले विधायक का बयान : माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि दिसंबर 2021 में जब सरकार यह नियोजन नीति लाई थी. तो शीतकालीन सत्र के दौरान मैंने सदन में सरकार को सचेत करते हुए कहा था कि यह नियोजन नीति संवैधानिक रुप से गलत है. इसमें अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन हो रहा है. मगर सरकार ने इसे अनसुना करते हुए एक ही रट लगा रही थी कि कैबिनेट से यह पास हो चुका है. कैबिनेट या सरकार नियम से बंधे हैं. कोई भी संविधान से ऊपर नहीं है. यदि उस समय सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज वो दिन देखना नहीं पड़ता. मगर हमारी बातों को सरकार अनसुना करती रही और आज झारखंड हाईकोर्ट से नियोजन नीति रद्द कर दी है.

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