रांची: कहते हैं सियासत करनेवाले मौके की तलाश में हर वक्त रहते हैं. चाहे वो ईद हो या दीपावली इनकी उपस्थिति किसी ना किसी रूप में आपको देखने को मिल जाएगी. इस बार भी ईद के अवसर पर कुछ ऐसा ही दिखा. ईदगाहों के बाहर बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगाई गई थी. साथी ही इस अवसर पर नमाज अदायगी के समय भी कुछ नेता खुद उपस्थित होकर लोगों को ईद की बधाई देते नजर आए. हरमू ईदगाह में राज्यसभा सांसद और झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेत्री महुआ माजी लोगों को ईद की बधाई देती नजर आईं. इसी तरह कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बंधु तिर्की, विधायक शिल्पी नेहा तिर्की की तस्वीर लगी होर्डिंग्स जगह-जगह लगाई गई थी.
भाजपा ने तुष्टिकरण की राजनीति करने का लगाया आरोपः भाजपा ने ईद के अवसर पर एक बार फिर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है. भाजपा नेता ने कहा कि धार्मिक स्थलों को राजनीति का अखाड़ा बनाने से परहेज करना चाहिए. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जिस तरह से इस सरकार ने कोरोना के बहाने मां दुर्गा की मूर्ति को छोटा कर के पूजा करने की बात कही गई थी, जिस तरह से छठ घाटों पर जाने से प्रतिबंध लगाया गया था उसी समय से हम लोग कहते रहे हैं कि यह सरकार हिंदू धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है और तो हद यह हो गई कि ईदगाहों में जाकर यूपीए के नेता सियासत करने लगे. यह सियासत का घिनौना स्वरूप नहीं तो और क्या है, जो धार्मिक स्थलों को राजनीति का अखाड़ा बनाने के लिए बड़े-बड़े पोस्टर, हार्डिंग लगाकर खुद वहां खड़ी हो जाती हैं.
जेएमएम ने भाजपा पर किया पलटवारः इधर, सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बीजेपी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि धार्मिक उन्माद फैलाने का काम सिर्फ और सिर्फ भाजपा करती है. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा है कि हम लोग धार्मिक उन्माद फैलाने के बजाय संविधान में विश्वास रखते हैं, जो हमें सर्वधर्म समभाव की सीख देता है. भारतीय जनता पार्टी को अपने अंदर झांकना चाहिए कि उनके कई नेता जो जम्मू कश्मीर या नार्थ ईस्ट जैसे राज्यों में टोपी पहन कर धार्मिक स्थल में जाते हैं वह क्या सियासत का हिस्सा नहीं है. बहरहाल, लोकतंत्र की इसे खासियत मानें या कुछ और जिस वजह से सियासत करनेवालों को जनता से जुड़कर रहना मजबूरी होती है. ऐसे में ईद, दीपावली, क्रिसमस जैसे पर्व इनके लिए खास होते हैं जिसके माध्यम से ये जनता से जुड़ने का प्रयास करते हैं.