रांची: झारखंड की राजनीति के लिए 11 जनवरी की तारीख बहुत ही अहम है. इस दिन राज्य के दो महान विभूतियों का जन्मदिन(birthday of two legends of jharkhand) है. भले ही दोनों अलग-अलग विचारधारा को मानने वाले हैं लेकिन झारखंड की राजनीति में दोनों का अपना-अपना स्थान है.
शिबू सोरेन का जन्मदिन: जेएमएम सुप्रीमो और दिशोम गुरू शिबू सोरेन का आज जन्मदिन है. जेएमएम कार्यकर्ता बड़े ही उत्साह के साथ उनका जन्मदिन मना रहे हैं. शिबू सोरेन आदिवासियों के बड़े नेता हैं. 11 जनवरी 1944 को उनका जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ. वो दसवीं पास हैं. शिबू सोरेन ने रूपी सोरेन से शादी की, उनके 4 बच्चे हैं. उनके बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं.
शिबू सोरेन का सफर: शिबू सोरेन के पिता सोबरन मांझी की 27 नवंबर 1957 को हत्या कर दी गई थी. इसके बाद से ही शिबू सोरेन ने आदिवासी हितों के लिए आंदोलन किया. उन्होंने धान काटो आंदोलन चलाया. जमींदारों के खिलाफ उन्होंने जबर्दश्त आंदोनलन चलाया. उन्होंने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया. उन्होंने अलग झारखंड आंदोलन चलाया. जब आपातकाल की घोषणा हुई तो इंदिरा गांधी ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था. शिबू सोरेन ने तब सरेंडर कर दिया.
तीन बार बने मुख्यमंत्री: 1977 में शिबू सोरेन ने सियासी रणक्षेत्र में कदम रखा. लेकिन पहली बार वो टुंडी से विधानसभा चुनाव हार गए. फिर उन्होंने संथाल को अपनी कर्मभूमि बनाय. 1980 में दुमका से पहली बार सांसद बने. वो यहां से 8 बार सांसद रह चुके हैं. दो बार वो राज्यसभा सांसद भी रहे हैं. साल 2004 में वो केंद्रीय मंत्री भी बने. वहीं शिबू सोरेन राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री भी बने.
बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन: बीजेपी विधायक दल के नेता और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का जन्म आज की ही तारीख में 1958 को हुआ था. उनका जन्म गिरिडीह के कोदाईबांक गांव में हुआ था. अटल जी की सरकार में बाबूलाल मरांडी मंत्री भी बने. बीच में उन्होंने बीजेपी से अलग हो कर अपनी पार्टी बनाई. बाद में उनकी पार्टी का बीजेपी में विलय हो गया. बाबूलाल मरांडी विश्व हिंदू परिषद के सक्रिय सदस्य भी रह चुके हैं.
बाबूलाल मरांडी का सियासी सफर: बाबूलाल मरांडी का जन्म किसान परिवार में हुआ. पहलने उन्होंने प्राथमिक विद्याय में शिक्षक की नौकरी की. वहीं से उन्होंने सियासत की ओर रूख किया. 1990 में वो बीजेपी के संंथाल परगना के संगठन मंत्री बने. उन्होंने एक बार शिबू सोरेन को लोकसभा चुनाव में हराया. साल 2000 में झारखंड बनने के बाद वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. 2003 में उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा. 2006 में उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा ने चुनाव लड़ा. 2020 उन्होने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया.