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अधिकतर अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था सुचारू नहीं, निजी अस्पतालों में हालात खराब

रांची में बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण के व्यवस्था ठीक नहीं है. रांची के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में Biomedical waste disposal arrangement ठीक न होने से जहां तहां मेडिकल वेस्ट फैला रहता है, जबकि निजी अस्पतालों में हालात खराब हैं.

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अधिकतर अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था सुचारू नहीं
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Published : Nov 29, 2021, 10:34 PM IST

रांचीः अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन आवश्यक है, लेकिन न तो सरकारी अस्पतालों के पास इसकी सुचारू व्यवस्था है और न ही धड़ाधड़ खुल रहे निजी क्लीनिक और अस्पताल के पास. Biomedical waste disposal arrangement ठीक न होने के कारण जहां-तहां बायो मेडिकल वेस्ट फैल रहता है, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.

ये भी पढ़ें-लोगों को बीमारी बांट रहा रामगढ़ सदर हॉस्पिटल, ठेंगे पर NGT के निर्देश

सदर अस्पताल में हालात खराब

ईटीवी भारत की टीम ने इसको लेकर रांची के कुछ सरकारी अस्पतालों का जायजा लिया. सदर अस्पताल में जगह-जगह खुले में सिरिंज, ग्लब्स, पट्टी इत्यादि बायो मेडिकल वेस्ट पड़े थे. इससे यहां लोगों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा मौजूद है. वहीं कई निजी अस्पतालों में भी इसके निष्पादन की व्यवस्था ठीक नहीं है.

रिम्स में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने की व्यवस्था

वहीं राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. रिम्स में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए व्यवस्था मौजूद है. रिम्स अस्पताल में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए परिसर में इंसीनेटर लगाया गया है. जहां हाई टेंपरेचर पर अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को जलाकर डिस्पोज कर दिया जाता है.

रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक व प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मिथिलेश का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए कई प्रक्रिया होती है, जैसे सेगरिग्रेशन, स्टोरेज ट्रांसपोर्ट आदि इनके जरिये हॉस्पिटल वेस्ट का निष्पादन किया जाता है. इसके लिए हर तरह के कचरा के लिए अस्पतालों में अलग डस्टबिन रखी होती है, पीले, लाल, ब्लू और उजले कलर की डस्टबिन में अलग तरह का मेडकल कचरा रखा जाता है. बाद में इसे इकट्ठा कर नष्ट कर दिया जाता है.


बायो वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया जटिल

वहीं एक निजी अस्पताल के संचालक और रांची आईएमए के अध्यक्ष डॉ. शंभू प्रसाद ने कहा कि बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया कहीं ना कहीं ज्यादा जटिल है. इसीलिए कई बार निजी अस्पताल नियमों का पालन करने में असमर्थ हो जाते हैं. वहीं कई निजी अस्पतालों में अपशिष्ट पदार्थों के निष्पादन की व्यवस्था बहुत बेहतर नहीं है और उनके द्वारा नियमों का पालन भी नहीं किया जाता है.

हालांकि अधिकतर अस्पतालों में एक ऐसा स्थान ऐसा छोड़ा जाता है, जहां पर मेडिकल वेस्ट को रखा जाता है. उस स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति का आना जाना नहीं होता जो व्यक्ति वहां पर जाते हैं. वह एहतियात और प्रिकॉशन का ध्यान रखते हैं. जमा किए गए बायो मेडिकल वेस्ट को प्रतिदिन नष्ट करने के लिए प्लांट से वाहन आता है और उसे पूरी सुरक्षा के साथ प्लांट तक ले जाया जाता है.

यहां है बायो मेडिकल वेस्ट निष्पादन प्लांट

मिली जानकारी के अनुसार राज्य में लोहरदगा, रामगढ़, धनबाद और जमशेदपुर में मेडिकल प्लांट लगाए गए हैं लेकिन अभी भी राज्य में बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट लगाने की आवश्यकता है. ताकि राज्य के निजी अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन हो सके और वातावरण को स्वच्छ रखा जा सके.

रांचीः अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन आवश्यक है, लेकिन न तो सरकारी अस्पतालों के पास इसकी सुचारू व्यवस्था है और न ही धड़ाधड़ खुल रहे निजी क्लीनिक और अस्पताल के पास. Biomedical waste disposal arrangement ठीक न होने के कारण जहां-तहां बायो मेडिकल वेस्ट फैल रहता है, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.

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सदर अस्पताल में हालात खराब

ईटीवी भारत की टीम ने इसको लेकर रांची के कुछ सरकारी अस्पतालों का जायजा लिया. सदर अस्पताल में जगह-जगह खुले में सिरिंज, ग्लब्स, पट्टी इत्यादि बायो मेडिकल वेस्ट पड़े थे. इससे यहां लोगों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा मौजूद है. वहीं कई निजी अस्पतालों में भी इसके निष्पादन की व्यवस्था ठीक नहीं है.

रिम्स में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने की व्यवस्था

वहीं राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. रिम्स में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए व्यवस्था मौजूद है. रिम्स अस्पताल में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए परिसर में इंसीनेटर लगाया गया है. जहां हाई टेंपरेचर पर अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को जलाकर डिस्पोज कर दिया जाता है.

रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक व प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मिथिलेश का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए कई प्रक्रिया होती है, जैसे सेगरिग्रेशन, स्टोरेज ट्रांसपोर्ट आदि इनके जरिये हॉस्पिटल वेस्ट का निष्पादन किया जाता है. इसके लिए हर तरह के कचरा के लिए अस्पतालों में अलग डस्टबिन रखी होती है, पीले, लाल, ब्लू और उजले कलर की डस्टबिन में अलग तरह का मेडकल कचरा रखा जाता है. बाद में इसे इकट्ठा कर नष्ट कर दिया जाता है.


बायो वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया जटिल

वहीं एक निजी अस्पताल के संचालक और रांची आईएमए के अध्यक्ष डॉ. शंभू प्रसाद ने कहा कि बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया कहीं ना कहीं ज्यादा जटिल है. इसीलिए कई बार निजी अस्पताल नियमों का पालन करने में असमर्थ हो जाते हैं. वहीं कई निजी अस्पतालों में अपशिष्ट पदार्थों के निष्पादन की व्यवस्था बहुत बेहतर नहीं है और उनके द्वारा नियमों का पालन भी नहीं किया जाता है.

हालांकि अधिकतर अस्पतालों में एक ऐसा स्थान ऐसा छोड़ा जाता है, जहां पर मेडिकल वेस्ट को रखा जाता है. उस स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति का आना जाना नहीं होता जो व्यक्ति वहां पर जाते हैं. वह एहतियात और प्रिकॉशन का ध्यान रखते हैं. जमा किए गए बायो मेडिकल वेस्ट को प्रतिदिन नष्ट करने के लिए प्लांट से वाहन आता है और उसे पूरी सुरक्षा के साथ प्लांट तक ले जाया जाता है.

यहां है बायो मेडिकल वेस्ट निष्पादन प्लांट

मिली जानकारी के अनुसार राज्य में लोहरदगा, रामगढ़, धनबाद और जमशेदपुर में मेडिकल प्लांट लगाए गए हैं लेकिन अभी भी राज्य में बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट लगाने की आवश्यकता है. ताकि राज्य के निजी अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन हो सके और वातावरण को स्वच्छ रखा जा सके.

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