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हेमंत सरकार है कानून बनाने में माहिर, लेकिन लागू करने के मोर्चे पर हो जाती है फेल! अबतक लटका है मॉब लिंचिंग विधेयक - Jharkhand Value Added Tax Amendment Bill

हेमंत सरकार कानून बनाने में माहिर है (Hemant government first in law making), लेकिन लागू कराने के मोर्चे पर फेल हो जाती है. तीन सालों में अबतक 48 विधेयक हेमंत सरकार ने सदन से पास कराया है, लेकिन इसमें से मॉब लिंचिंग विधेयक समेत कई अबतक अधर में लटका है.

Hemant government first in law making
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Published : Nov 24, 2022, 4:32 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 5:00 PM IST

रांची: रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विदाई के बाद सत्ता में आई हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने कानून बनाने में खूब तेजी दिखाई. तीन वर्षों के शासनकाल में इस सरकार ने कुल 48 विधेयक सदन से पास कराए (Bill Politics in Jharkhand). हालाकि इनमें ज्यादातर संशोधन विधेयक थे. लेकिन सरकार की नजर में जो विधेयक सबसे ज्यादा जरूरी थे, जिनको लेकर खूब राजनीति भी हुई, वो अभी भी अधर में लटके पड़े हैं. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा झारखंड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक, 2021 (Mob Lynching Bill) भी शामिल है. इस विधेयक को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 21 दिसंबर 2021 को सदन में पेश किया था. इसपर चर्चा के दौरान भाजपा ने जमकर हंगामा किया था. वेल में शोर शराबा हुआ था. सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगा था. भाजपा विधायक अमर बाउरी, अमित मंडल और रामचंद्र चंद्रवंशी ने संशोधन प्रस्ताव लाया था. सारे संशोधन प्रस्ताव खारिज होने के साथ यह विधेयक बहुमत से पारित हुआ था. तब सत्ताधारी दल के नेताओं ने इसकी जरूरत पर बड़ी-बड़ी बातें कही थी. लेकिन राजभवन ने विधेयक के कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी. विधेयक के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में भिन्नता को प्वाइंट आउट कर सरकार को वापस कर दिया. लिहाजा, अबतक यह विधेयक लटका पड़ा है. (Hemant government first in law making)

ये भी पढ़ें- राजभवन से मॉब लिंचिंग बिल लौटाए जाने पर राजनीति शुरू, जानिए किसने क्या कहा

इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने 22 मार्च 2021 को सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन प्रदाय और वितरण विनियमन (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया था. इस विधेयक के मुताबिक अब राज्य में पब्लिक प्लेस में सिगरेट पीने पर 1 हजार रुपया जुर्माना का प्रावधान जोड़ा गया. पहले 200 रू जुर्माना लगता था. विधायक लंबोदर महतो ने जुर्माना की राशि 10 हजार करने का संशोधन दिया था. लेकिन तमाम संशोधन खारिज हो गये थे. इस बिल को पास हुए एक साल नौ माह बीच चुके हैं. यह विधेयक राष्ट्रपति के विचारार्थ लटका पड़ा है.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2021 को 24 मार्च 2022 को सदन में पेश किया था. इस विधेयक के जरिए फिर से बाजार समिति की व्यवस्था लागू करने की बात हुई थी. खरीददारों से 2 प्रतिशत कृषि बाजार टैक्स लेने की व्यवस्था की गई थी. कृषि मंत्री ने कहा था कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल की व्यवस्था की जाएगी. भाजपा का आरोप था कि इससे बाजार समितियां लूट का अड्डा बन जाएंगी. कई संशोधन प्रस्ताव के बावजूद यह विधेयक बहुमत से पारित हुआ था. इस विधेयक को भी राजभवन कई त्रुटियों के साथ लौटा चुका है.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में बोले सीएम हेमंत सोरेन, जेल में रहकर भी कर दूंगा सूपड़ा साफ, स्थानीय नीति और OBC आरक्षण बिल पास

इसी साल मॉनसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को मंत्री रामेश्वर उरांव द्वारा पेश झारखंड काराधन अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक, 2022 पारित हुआ था. इसके जरिए बकाया टैक्स की वसूली के लिए मुकदमों को खत्म कर बकाया वसूली का प्रावधान था. इससे सरकार को करीब 500 करोड़ रू. मिलने की उम्मीद थी. लेकिन राजभवन ने कई बिंदुओं पर आपत्ति के साथ विधेयक के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में भिन्नता को दिखाकर लौटा दिया.

झारखंड क्षेत्रिय विकास प्राधिकार (संशोधन) विधेयक, 2021 का भी वही हाल है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस विधेयक को 23 मार्च 2021 को सदन में रखा था. लेकिन बहुमत से पास होने के बाद भी यह संशोधन विधेयक ऱाष्ट्रपति के विचारार्थ रक्षित है. झारखंड वित्त विधेयक, 2021 का भी यही हाल है. मंत्री हफीजुल हसन ने 9 सितंबर 2021 को सभा पटल पर रखा. लेकिन बहुमत से पास होने के बाद जब यह विधेयक राजभवन पहुंचा तो उसमें कई खामियां दिखीं. लिहाजा, राज्यपाल सचिवालय ने आपत्तियों के साथ इसे वापस कर दिया.

ताजा मामला झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक, 2022 से जुड़ा है. यह विधेयक 4 अगस्त 2022 को पारित हुआ था. लेकिन 22 नवंबर को राजभवन ने कई आपत्तियों के साथ पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटा दिया. राजभवन की ओर से कहा गया कि उत्पाद विभाग को उड़नदस्ता, टास्क फोर्स, मोबाइल फोर्स गठित करने की शक्ति पहले से है. फिर धारा-7 की उप धारा-3 जोड़ने की क्या जरूरत है. किसी तरह की अनियमितता पर बिक्री स्थल वाले कर्मचारी को जवाबदेह क्यों बनाना चाहिए. यह जवाबदेही तो एजेंसी की होनी चाहिए. इस तरह वर्तमान सरकार के अबतक के कार्यकाल में कुल सात विधेयक अधर में लटके पड़े हैं. इनमें ज्यादातर वैसे विधेयक हैं जिनपर खूब राजनीति हुई है.

कौन-कौन प्रमुख विधेयक हुए पारित: हेमंत सरकार के तीन वर्षों के कार्यकाल में झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी संशोदन विधेयक, 2020, दंड प्रक्रिया संहिता झारखंड संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड खनिज धारित भूमि पर कोविड-19 महामारी उपकर विधेयक, 2020, झारखंड माल और सेवा कर संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन संशोधन विधेयक, 2020, मोटरवाहन कारारोपण संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड मूल्यवर्द्धित कर संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा फिजियोथेरेपी परिषद विधेयक, 2020, झारखंड हरित ऊर्जा उपकर विधेयक, 2021, झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों को नियोजन विधेयक, 2021, झारखंड राज्य खुला विश्वविद्यालय विधेयक, 2021, कोर्ट फीस झारखंड संशोधन विधेयक, 2021, राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता का विस्तार विधेयक, 2021 के अलावा 11 नवंबर 2022 को विशेष सत्र के दौरान पारित झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसा स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022 और झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 शामिल हैं.

रांची: रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विदाई के बाद सत्ता में आई हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने कानून बनाने में खूब तेजी दिखाई. तीन वर्षों के शासनकाल में इस सरकार ने कुल 48 विधेयक सदन से पास कराए (Bill Politics in Jharkhand). हालाकि इनमें ज्यादातर संशोधन विधेयक थे. लेकिन सरकार की नजर में जो विधेयक सबसे ज्यादा जरूरी थे, जिनको लेकर खूब राजनीति भी हुई, वो अभी भी अधर में लटके पड़े हैं. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा झारखंड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक, 2021 (Mob Lynching Bill) भी शामिल है. इस विधेयक को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 21 दिसंबर 2021 को सदन में पेश किया था. इसपर चर्चा के दौरान भाजपा ने जमकर हंगामा किया था. वेल में शोर शराबा हुआ था. सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगा था. भाजपा विधायक अमर बाउरी, अमित मंडल और रामचंद्र चंद्रवंशी ने संशोधन प्रस्ताव लाया था. सारे संशोधन प्रस्ताव खारिज होने के साथ यह विधेयक बहुमत से पारित हुआ था. तब सत्ताधारी दल के नेताओं ने इसकी जरूरत पर बड़ी-बड़ी बातें कही थी. लेकिन राजभवन ने विधेयक के कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी. विधेयक के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में भिन्नता को प्वाइंट आउट कर सरकार को वापस कर दिया. लिहाजा, अबतक यह विधेयक लटका पड़ा है. (Hemant government first in law making)

ये भी पढ़ें- राजभवन से मॉब लिंचिंग बिल लौटाए जाने पर राजनीति शुरू, जानिए किसने क्या कहा

इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने 22 मार्च 2021 को सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन प्रदाय और वितरण विनियमन (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया था. इस विधेयक के मुताबिक अब राज्य में पब्लिक प्लेस में सिगरेट पीने पर 1 हजार रुपया जुर्माना का प्रावधान जोड़ा गया. पहले 200 रू जुर्माना लगता था. विधायक लंबोदर महतो ने जुर्माना की राशि 10 हजार करने का संशोधन दिया था. लेकिन तमाम संशोधन खारिज हो गये थे. इस बिल को पास हुए एक साल नौ माह बीच चुके हैं. यह विधेयक राष्ट्रपति के विचारार्थ लटका पड़ा है.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2021 को 24 मार्च 2022 को सदन में पेश किया था. इस विधेयक के जरिए फिर से बाजार समिति की व्यवस्था लागू करने की बात हुई थी. खरीददारों से 2 प्रतिशत कृषि बाजार टैक्स लेने की व्यवस्था की गई थी. कृषि मंत्री ने कहा था कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल की व्यवस्था की जाएगी. भाजपा का आरोप था कि इससे बाजार समितियां लूट का अड्डा बन जाएंगी. कई संशोधन प्रस्ताव के बावजूद यह विधेयक बहुमत से पारित हुआ था. इस विधेयक को भी राजभवन कई त्रुटियों के साथ लौटा चुका है.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में बोले सीएम हेमंत सोरेन, जेल में रहकर भी कर दूंगा सूपड़ा साफ, स्थानीय नीति और OBC आरक्षण बिल पास

इसी साल मॉनसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को मंत्री रामेश्वर उरांव द्वारा पेश झारखंड काराधन अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक, 2022 पारित हुआ था. इसके जरिए बकाया टैक्स की वसूली के लिए मुकदमों को खत्म कर बकाया वसूली का प्रावधान था. इससे सरकार को करीब 500 करोड़ रू. मिलने की उम्मीद थी. लेकिन राजभवन ने कई बिंदुओं पर आपत्ति के साथ विधेयक के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में भिन्नता को दिखाकर लौटा दिया.

झारखंड क्षेत्रिय विकास प्राधिकार (संशोधन) विधेयक, 2021 का भी वही हाल है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस विधेयक को 23 मार्च 2021 को सदन में रखा था. लेकिन बहुमत से पास होने के बाद भी यह संशोधन विधेयक ऱाष्ट्रपति के विचारार्थ रक्षित है. झारखंड वित्त विधेयक, 2021 का भी यही हाल है. मंत्री हफीजुल हसन ने 9 सितंबर 2021 को सभा पटल पर रखा. लेकिन बहुमत से पास होने के बाद जब यह विधेयक राजभवन पहुंचा तो उसमें कई खामियां दिखीं. लिहाजा, राज्यपाल सचिवालय ने आपत्तियों के साथ इसे वापस कर दिया.

ताजा मामला झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक, 2022 से जुड़ा है. यह विधेयक 4 अगस्त 2022 को पारित हुआ था. लेकिन 22 नवंबर को राजभवन ने कई आपत्तियों के साथ पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटा दिया. राजभवन की ओर से कहा गया कि उत्पाद विभाग को उड़नदस्ता, टास्क फोर्स, मोबाइल फोर्स गठित करने की शक्ति पहले से है. फिर धारा-7 की उप धारा-3 जोड़ने की क्या जरूरत है. किसी तरह की अनियमितता पर बिक्री स्थल वाले कर्मचारी को जवाबदेह क्यों बनाना चाहिए. यह जवाबदेही तो एजेंसी की होनी चाहिए. इस तरह वर्तमान सरकार के अबतक के कार्यकाल में कुल सात विधेयक अधर में लटके पड़े हैं. इनमें ज्यादातर वैसे विधेयक हैं जिनपर खूब राजनीति हुई है.

कौन-कौन प्रमुख विधेयक हुए पारित: हेमंत सरकार के तीन वर्षों के कार्यकाल में झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी संशोदन विधेयक, 2020, दंड प्रक्रिया संहिता झारखंड संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड खनिज धारित भूमि पर कोविड-19 महामारी उपकर विधेयक, 2020, झारखंड माल और सेवा कर संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन संशोधन विधेयक, 2020, मोटरवाहन कारारोपण संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड मूल्यवर्द्धित कर संशोधन विधेयक, 2020, झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा फिजियोथेरेपी परिषद विधेयक, 2020, झारखंड हरित ऊर्जा उपकर विधेयक, 2021, झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों को नियोजन विधेयक, 2021, झारखंड राज्य खुला विश्वविद्यालय विधेयक, 2021, कोर्ट फीस झारखंड संशोधन विधेयक, 2021, राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता का विस्तार विधेयक, 2021 के अलावा 11 नवंबर 2022 को विशेष सत्र के दौरान पारित झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसा स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022 और झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 शामिल हैं.

Last Updated : Nov 24, 2022, 5:00 PM IST
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