रांचीः 2019 की शुरुआत में ही अपने दो बड़े नक्सली नेताओं सहित दस नक्सली कैडरों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद नक्सली संगठन पीएलएफआई को 'बिहार लिंक' से सपोर्ट मिल रहा है. बिहार के कई शातिर अपराधी जो फरार घोषित हैं वो पीएलएफआई में शामिल होकर पीएलएफआई कैडरों की कमी पूरी कर रहे हैं.
पीएलएफआई झारखंड में दूसरे नंबर के नक्सली संगठन के रूप में जाना जाता है. बिहार से ही संगठन को हथियार की सप्लाई की जा रही है. बता दें कि बीते महीने हुए गुमला के मुठभेड़ में पीएलएफआई का 10 लाख का इनामी कमांडर गुज्जू गोप मारा गया था. जिसके बाद से बिहार लिंक से पीएलएफआई को सहयोग मिल रहा है. इस संबंध में झारखंड पुलिस ने बिहार पुलिस को आवेदन लिखा है.
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नई बहाली पर पुलिस की नजर
पीएलएफआई के बिहार लिंक से सपोर्ट मिलने के बाद पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर है. दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र यानी खूंटी, सिमडेगा, गुमला और रांची के ग्रामीण इलाकों में पीएलएफआई फैला है. इन इलाकों में पुलिस संगठन ने पीएलएफआई में शामिल हो रहे नई कैडरों पर नजर रख रही है.
दक्षिणी छोटानागपुर रेंज के डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकर ने बताया कि पीएलएफआई में पहले भी अपराधियों के शामिल होने की सूचनाएं आई थी लेकिन अब संगठन काफी कमजोर स्थिति में है. ऐसे में एक बार फिर से आपराधिक तत्वों को संगठन में शामिल करने की कोशिश की जा रही है. जिस पर पुलिस की कड़ी नजर है.
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बिहार से मिल रहा विदेशी हथियार
पीएलएफआई नक्सलियों को बिहार के रास्ते एके-47, इंसास समेत कई विदेशी हथियारों की सप्लाई की जा रही है.14 फरवरी को खूंटी के रनिया में पीएलएफआई के साथ मुठभेड़ में पुलिस ने नक्सली सुप्रीमो दिनेश गोप के बॉडीगार्ड विक्रम को मार गिराया था. सर्च के दौरान पुलिस को जर्मन हथियार मिले थे. बीते महीने ही बिहार के पूर्णिया पुलिस ने रांची से हथियार तस्कर गिरोह के एक सदस्य गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार हथियार तस्कर ने पुलिस के सामने यह कबूल किया था कि झारखंड में पीएलएफआई और आरडीपीसी जैसे नक्सली संगठनों को नागालैंड से लाकर उसने बड़े पैमाने पर हथियार सप्लाई किए हैं.
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कैसे मिल रहा विदेशी हथियार
पीएलएफआई नक्सलियों को विदेशी हथियार बीते कई सालों से मिल रहा है. साल 2010 में रांची पुलिस ने मुंगेर से खूंटी भेजे जा रहे अमरीकी ग्रेनेड लांचर को भी जब्त किया था. सिमडेगा, हजारीबाग में भी नक्सलियों और पीएलएफआई के पास से विदेशी हथियार मिले थे. हाल में ही है यह भी खुलासा भी हुआ है कि बिहार के हथियार तस्कर नागा नेताओं की मदद से सेना के इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार की तस्करी कर बिहार झारखंड के नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं.
एनआईए की जांच में आये कई नाम
टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने पीएलएफआई जांच की थी. 21 फरवरी को एनआईए की टीम ने पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के झारखंड और पश्चिम बंगाल के 10 ठिकानों पर छापेमारी की थी. एनआईए की टीम ने रांची गुमला खूंटी और कोलकाता में अपने दबिश डालकर दिनेश गोप के खिलाफ काफी सबूत इकट्ठा किया हैं. एनआईए की जांच में दिनेश गोप से जुड़ी कंपनियों और उनके करीबियों के जानकारी मिली है. दिनेश गोप के खौफ के जरिए कमाई गई करोड़ों रुपए की संपत्ति को कुछ सफेदपोश लोग अपने व्यापार में लगाकर उसे मुनाफा कमा कर दे रहे हैं. बैंक खातों की जांच के दौरान एनआईए ने यह दावा किया है कि लेवी के पैसे को पीएलएफआई ने कई शेल कंपनियों में लगाया है. अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए दिनेश गोप ने रांची के अशोकनगर जैसे वीआईपी इलाके में दफ्तर खोल कर भी रखा था.
नक्सलियों के आईडियोलॉजी खत्म,पैसा बना मुख्य मकसद
झारखंड पुलिस के आईजी अभियान आशीष बत्रा ने बताया कि फिलहाल किसी भी नक्सली संगठन में आईडियोलॉजी नहीं है. सभी सिर्फ पैसे के लिए काम कर रहे हैं. आईजी आशीष बत्रा के अनुसार पीएलएफआई नक्सली संगठन में अब अपराधी किस्म के ही लोग शामिल हो रहे हैं जिन पर पुलिस की नजर बनी हुई है.
पुलिस मुख्यालय अपने मुखबिर और एसपीओ के माध्यम से पीएलएफआई को सपोर्ट करने वाले सफेदपोशो पर भी नजर रखे हुए हैं. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कई सफेदपोश पुलिस के टारगेट में हैं और जल्द ही उनको गिरफ्तार किया जाएगा.