रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉकडाउन के कारण पूरे देश भर में आपात की स्थिति बन गई है. रोजी रोजगार के लिए घर से निकले लोग अन्य राज्यों में या फिर दूसरे जगहों में फंसे हुए हैं. रोजगार करने घर से बाहर गए लोगों को खाने-पीने की दिक्कतें उत्पन्न हो गई है, लेकिन इस लॉकडाउन में कई ऐसे सामाजिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो मानवता का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहे हैं. ऐसा ही वाक्य रमजान के पावन महीना में सुकुरहुटू गांव में देखने को मिला है जो सांप्रदायिक सौहार्द्र और गंगा जमुनी तहजीब का मिसाल पेश कर रहा है.
कोरोना महामारी को लेकर किए गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशानी वैसे लोगों को हो रही है, जो अपने घर परिवार से दूर रोजगार या व्यापार के लिए निकले हुए हैं. रांची के सुकुरहुट्टू गांव में लगने वाले डोल मेला में दो पैसा कमाने की उम्मीद को लेकर झूला लगाने वाले कारीगर मोहम्मद एजाज 6 लोगों के साथ पहुंचा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण यहं लगने वाला मेला स्थगित कर दिया गया, जिसके कारण एजाज अपने साथियों के साथ इसी सुकुरहुटू गांव में फंस गया है और यहीं पर झोपड़ी बनाकर गुजारा करने को मजबूर है.
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मोहम्मद एजाज मुख्य रूप से बिहार के दरभंगा जिला के रहने वाला हौ. वो अपने घर से परिवार को छोड़कर दो पैसा कमाने के लिए निकला था, ताकि इस रमजान में अपने परिवार के साथ मिलकर ईद खुशियों से मनाएंगे, लेकिन बीच में हुए लॉकडाउन के कारण एजाज रांची में फंस गया. अब इन्हें चिंता सता रही है कि रमजान का महीना और उनके घर में ईद कैसे मनेगा. एजाज ने कहा कि मुझे यहां खाने-पीने की किसी भी प्रकार का कोई दिक्कत नहीं है, यहां के भले लोग हर तरीके से मदद कर रहे हैं, खाना बनाने के लिए गैस चूल्हा हो या फिर राशन मेरे तंबू तक लोग पहुंचा देते हैं.
कांके प्रखंड के सुकुरहुटू गांव के पूर्व मुखिया प्रभात भूषण महतो ने कहा कि रामनवमी के बाद सुकुरहुटू गांव में ऐतिहासिक डोल मेला का आयोजन किया जाता है, जिसको लेकर एक महीना पहले से ही मेला लगाने वाले कारीगरों का आने का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन मेला लगने से पहले ही पूरे देश भर में इस वैश्विक महामारी के कारण लॉकडाउन लागू हो गया, जिसके कारण मेला को स्थगित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि जो लोग मेला लगाने के लिए यहां पहुंचे थे उन लोगों को हर तरीके से हम लोग मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, यहां फंसे लोगों की जानकारी जिला प्रशासन तक भेज दी गई है, ताकि इन लोगों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके.