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झारखंड में माओवादी संगठन का नेतृत्व कई बाहरी नेताओं के पास, बिहार के नक्सलियों का है दबदबा

झारखंड में भाकपा माओवादी संगठन में दूसरे राज्य के नेताओं का दबदबा है. बाहरी राज्यों के 21 नक्सली झारखंड में एक लाख से एक करोड़ के इनामी हैं. वर्तमान में बिहार के जेलों से छूटने के बाद वहां के बड़े माओवादी नेता थिंक टैंक के तौर पर झारखंड में माओवादी संगठन को मजबूती देने में लगे हैं.

naxalite in jharkhand
झारखंड में दूसरे राज्य के नक्सलियों का दबदबा.
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Published : Jan 30, 2021, 6:47 PM IST

रांची: झारखंड में भाकपा माओवादी संगठन को दूसरे राज्यों से मजबूती मिल रही है. बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के कई माओवादी झारखंड में सक्रिय हैं. खासकर बिहार के नक्सली कमांडर का झारखंड में दबदबा है.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

दूसरे राज्य के 21 नक्सलियों पर एक लाख से लेकर एक करोड़ तक का इनाम

झारखंड में बाहरी राज्यों के नक्सलियों के दबदबे का अंदाजा झारखंड पुलिस के इनामी नक्सलियों की लिस्ट देखकर लगाया जा सकता है. बाहरी राज्यों के 21 नक्सली झारखंड में एक लाख से एक करोड़ के इनामी हैं. वर्तमान में बिहार के जेलों से छूटने के बाद वहां के बड़े माओवादी नेता थिंक टैंक के तौर पर झारखंड में माओवादी संगठन को मजबूती देने में लगे हैं. खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक बिहार-झारखंड में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले प्रमोद मिश्र और छतीसगढ़-गढ़वा की सीमा पर बूढ़ापहाड़ में नक्सली संगठन को विस्तार देने वाले भिखारी उर्फ मेहताजी जेल से छूटने के बाद फिर से राज्य में सक्रिय हो गए हैं. बंगाल का माओवादी थिंक टैंक रंजीत बोस भी चाईबासा के इलाके में लगातार सक्रिय हैं.

कौन कौन हैं महत्वपूर्ण भूमिका में ?

पश्चिम बंगाल के 24 परगना का प्रशांत बोस झारखंड में माओवादी संगठन का महत्वपूर्ण चेहरा है. प्रशांत बोस के साथ छतीसगढ़ के उग्रवादियों का दस्ता प्रोटेक्शन टीम के तौर पर है. वहीं पिछले कुछ सालों में पूर्व मिदनापुर के असीम मंडल और अर्जुन महतो जैसे नक्सलियों की सक्रियता झारखंड के कोल्हान इलाके में बढ़ी है. चाईबासा के इलाके में बड़ी संख्या में छतीसगढ़ के नक्सलियों का दस्ता कैंप कर रहा है. वहीं, नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ापहाड़ पर भी झारखंड के माओवादियों के साथ-साथ छतीसगढ़ के नक्सली कैंप कर रहे हैं.

तेलंगाना-बस्तर से मिली नई तकनीक

हाल के दिनों में झारखंड के भाकपा माओवादियों ने तेलंगाना-बस्तर के उग्रवादियों से नई तकनीक भी सीखी है. बस्तर में उग्रवादी पुलिस पर हमले के लिए एयरो बम की तकनीक का इस्तेमाल करते थे. इस तकनीक का इस्तेमाल चाईबासा में भी उग्रवादी कर रहे हैं. पिछले दिनों पुलिस ने चाईबासा के इलाके में एयरो बम भी बरामद किए थे.

लौट गया टेक विश्वनाथ

माओवादियों का तकनीकी प्रमुख टेक विश्वनाथ 2015 से झारखंड में सक्रिय था. विश्वनाथ ने बूढ़ापहाड़ की घेराबंदी लैंड माइंस से की थी और चाइबासा में भी कैडरों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी. पुलिस को सूचना मिली है कि विश्वनाथ अब अपने राज्य तेलंगाना वापस लौट गया है. विश्वनाथ की वापसी के बाद पुलिस ने उस पर घोषित 25 लाख और उसकी पत्नी पर घोषित 10 लाख का इनाम वापस ले लिया है. दरअसल, एक करोड़ के इनामी सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलिमा के तेलंगाना में आत्मसमर्पण करने के बाद से ही विश्वनाथ घर वापसी की तैयारी कर चुका था.

बिहार के नक्सलियों का दबदबा ज्यादा

झारखंड पुलिस का मानना है कि वर्तमान में बिहार के नक्सलियों का दबदबा ज्यादा है. बिहार के नक्सली नेताओं ने ही झारखंड के ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर नक्सली संगठन में भर्ती करवाया. इसके अलावा बाहर के राज्यों से जो भी नक्सली नेता झारखंड में आते हैं उसके पीछे सबसे बड़ी वजह पैसा है.

संगठन को दोबारा मजबूत बनाने की रणनीति पर काम कर रहे माओवादी

दरअसल, सुधाकरण के आत्मसमर्पण करने के बाद बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कुछ नक्सली नेता लगातार झारखंड में सक्रिय हैं. सुधाकरण के आत्मसमर्पण करने के पीछे सबसे बड़ी वजह बिहारी नक्सल नेताओं के द्वारा उसका विरोध था. वहीं, पुलिसिया अभियान की वजह से हाल के वर्षों में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. यही वजह है कि अब एक बार दोबारा बाहरी राज्यों के नक्सलियों के साथ मिलकर झारखंड में भाकपा माओवादियों की जड़ों को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है.

रांची: झारखंड में भाकपा माओवादी संगठन को दूसरे राज्यों से मजबूती मिल रही है. बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के कई माओवादी झारखंड में सक्रिय हैं. खासकर बिहार के नक्सली कमांडर का झारखंड में दबदबा है.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

दूसरे राज्य के 21 नक्सलियों पर एक लाख से लेकर एक करोड़ तक का इनाम

झारखंड में बाहरी राज्यों के नक्सलियों के दबदबे का अंदाजा झारखंड पुलिस के इनामी नक्सलियों की लिस्ट देखकर लगाया जा सकता है. बाहरी राज्यों के 21 नक्सली झारखंड में एक लाख से एक करोड़ के इनामी हैं. वर्तमान में बिहार के जेलों से छूटने के बाद वहां के बड़े माओवादी नेता थिंक टैंक के तौर पर झारखंड में माओवादी संगठन को मजबूती देने में लगे हैं. खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक बिहार-झारखंड में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले प्रमोद मिश्र और छतीसगढ़-गढ़वा की सीमा पर बूढ़ापहाड़ में नक्सली संगठन को विस्तार देने वाले भिखारी उर्फ मेहताजी जेल से छूटने के बाद फिर से राज्य में सक्रिय हो गए हैं. बंगाल का माओवादी थिंक टैंक रंजीत बोस भी चाईबासा के इलाके में लगातार सक्रिय हैं.

कौन कौन हैं महत्वपूर्ण भूमिका में ?

पश्चिम बंगाल के 24 परगना का प्रशांत बोस झारखंड में माओवादी संगठन का महत्वपूर्ण चेहरा है. प्रशांत बोस के साथ छतीसगढ़ के उग्रवादियों का दस्ता प्रोटेक्शन टीम के तौर पर है. वहीं पिछले कुछ सालों में पूर्व मिदनापुर के असीम मंडल और अर्जुन महतो जैसे नक्सलियों की सक्रियता झारखंड के कोल्हान इलाके में बढ़ी है. चाईबासा के इलाके में बड़ी संख्या में छतीसगढ़ के नक्सलियों का दस्ता कैंप कर रहा है. वहीं, नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ापहाड़ पर भी झारखंड के माओवादियों के साथ-साथ छतीसगढ़ के नक्सली कैंप कर रहे हैं.

तेलंगाना-बस्तर से मिली नई तकनीक

हाल के दिनों में झारखंड के भाकपा माओवादियों ने तेलंगाना-बस्तर के उग्रवादियों से नई तकनीक भी सीखी है. बस्तर में उग्रवादी पुलिस पर हमले के लिए एयरो बम की तकनीक का इस्तेमाल करते थे. इस तकनीक का इस्तेमाल चाईबासा में भी उग्रवादी कर रहे हैं. पिछले दिनों पुलिस ने चाईबासा के इलाके में एयरो बम भी बरामद किए थे.

लौट गया टेक विश्वनाथ

माओवादियों का तकनीकी प्रमुख टेक विश्वनाथ 2015 से झारखंड में सक्रिय था. विश्वनाथ ने बूढ़ापहाड़ की घेराबंदी लैंड माइंस से की थी और चाइबासा में भी कैडरों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी. पुलिस को सूचना मिली है कि विश्वनाथ अब अपने राज्य तेलंगाना वापस लौट गया है. विश्वनाथ की वापसी के बाद पुलिस ने उस पर घोषित 25 लाख और उसकी पत्नी पर घोषित 10 लाख का इनाम वापस ले लिया है. दरअसल, एक करोड़ के इनामी सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलिमा के तेलंगाना में आत्मसमर्पण करने के बाद से ही विश्वनाथ घर वापसी की तैयारी कर चुका था.

बिहार के नक्सलियों का दबदबा ज्यादा

झारखंड पुलिस का मानना है कि वर्तमान में बिहार के नक्सलियों का दबदबा ज्यादा है. बिहार के नक्सली नेताओं ने ही झारखंड के ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर नक्सली संगठन में भर्ती करवाया. इसके अलावा बाहर के राज्यों से जो भी नक्सली नेता झारखंड में आते हैं उसके पीछे सबसे बड़ी वजह पैसा है.

संगठन को दोबारा मजबूत बनाने की रणनीति पर काम कर रहे माओवादी

दरअसल, सुधाकरण के आत्मसमर्पण करने के बाद बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कुछ नक्सली नेता लगातार झारखंड में सक्रिय हैं. सुधाकरण के आत्मसमर्पण करने के पीछे सबसे बड़ी वजह बिहारी नक्सल नेताओं के द्वारा उसका विरोध था. वहीं, पुलिसिया अभियान की वजह से हाल के वर्षों में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. यही वजह है कि अब एक बार दोबारा बाहरी राज्यों के नक्सलियों के साथ मिलकर झारखंड में भाकपा माओवादियों की जड़ों को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है.

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