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अबुआ आवास से उम्मीद-पीएम लाइट हाउस से दूरी! जानिए, झारखंड में आवास योजना का क्या है हाल

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Published : Aug 18, 2023, 8:12 PM IST

झारखंड में गरीबों के आशियाना के नाम पर भले ही राजनीति होती रही है. लेकिन इन आवास को पाने के लिए क्या मशक्कत करनी पड़ती है वो वही जानते हैं जो खुले आसमान के नीचे रहते हैं. इस रिपोर्ट से जानिए, झारखंड में आवास योजना का क्या है हाल.

beneficiaries number decreasing in scheme of PM Light House Project in Ranchi
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देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांचीः एक तरफ झारखंड सरकार अपने बलबूते पर अबुआ आवास योजना शुरू करने की तैयारी में है. वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट लाइट हाउस से लगातार लाभुकों की संख्या कम होती जा रही है.

इसे भी पढ़ें- लाइट हाउस प्रोजेक्ट: जिनके लिए बन रहा आवास वही खींच रहें हैं हाथ, जानिए वजह

बैंकों की मनमानी की वजह से लोन लेने में पिछड़ रहे लोगों की परेशानी से दूर राज्य सरकार ने अबुआ आवास योजना के तहत अगले दो वर्ष में करीब आठ लाख घर बनाने का निर्णय लिया है, जिसपर 15 हजार करोड़ खर्च होगा. मंत्री आलमगीर आलम के अनुसार प्रत्येक ऐसे बेघर जिन्हें अब तक आवास नहीं मिला है, उन्हें तीन कमरों का घर बनाकर सरकार देगी.

पीएम लाइट हाउस प्रोजेक्ट के आवंटियों का आवंटन हो रहा है रद्दः राजधानी रांची के धुर्वा में बन रहे पीएम लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत गरीबों के 1008 फ्लैट के आवंटियों का आवंटन लगातार रद्द हो रहा है. रांची नगर निगम का मानना है कि आवंटन रद्द होने के पीछे का वजह निर्धारित राशि उपलब्ध नहीं कराना है. अब तक 100 से ज्यादा लाभुकों का फ्लैट आवंटन रद्द हो चुका है.

इधर निर्माणाधीन लाइट हाउस के फ्लैट में रहने का सपना पाल रखे लोगों का मानना है कि बैंक के द्वारा लोन नहीं मिलने की वजह से समय पर नगर निगम को फ्लैट के पैसे नहीं मिल रहे हैं. अपनी परेशानी को ईटीवी भारत से साझा करते हुए धुर्वा की राधिका देवी कहती हैं कि नगर निगम के द्वारा पहले यह बताया गया कि बैंक से लोन मुहैया कराना निगम का कार्य है और बाद में वह मुकर गया. इसलिए लोन लेने के लिए बार-बार बैंक में दौड़ लगाने के बावजूद भी अभी तक पैसे नहीं मिल पाया है, जो कुछ भी घर में पैसे थे वह पहली किश्त चुका दिया लेकिन आगे की किश्त का पैसा वो अभी तक नहीं दे पाए हैं. सुलोचना देवी का कहना है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग बेहद ही कमजोर है, जिस वजह से लोग पैसा देने से कतराने लगे हैं. वहीं आवंटी धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि बैंक लोन नहीं दे रही है तो आम लोग कहां से पैसा लायेंगे.

बहरहाल राज्य में कोई बेघर नहीं रहे इसके लिए सरकारें कदम उठा रही है. लेकिन जटिल सरकारी प्रक्रिया की वजह से गरीब इसे पाने में वंचित रह जाते हैं. ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि सहयोगात्मक रुख अपनाकर वैसे लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने की दरकार है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांचीः एक तरफ झारखंड सरकार अपने बलबूते पर अबुआ आवास योजना शुरू करने की तैयारी में है. वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट लाइट हाउस से लगातार लाभुकों की संख्या कम होती जा रही है.

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बैंकों की मनमानी की वजह से लोन लेने में पिछड़ रहे लोगों की परेशानी से दूर राज्य सरकार ने अबुआ आवास योजना के तहत अगले दो वर्ष में करीब आठ लाख घर बनाने का निर्णय लिया है, जिसपर 15 हजार करोड़ खर्च होगा. मंत्री आलमगीर आलम के अनुसार प्रत्येक ऐसे बेघर जिन्हें अब तक आवास नहीं मिला है, उन्हें तीन कमरों का घर बनाकर सरकार देगी.

पीएम लाइट हाउस प्रोजेक्ट के आवंटियों का आवंटन हो रहा है रद्दः राजधानी रांची के धुर्वा में बन रहे पीएम लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत गरीबों के 1008 फ्लैट के आवंटियों का आवंटन लगातार रद्द हो रहा है. रांची नगर निगम का मानना है कि आवंटन रद्द होने के पीछे का वजह निर्धारित राशि उपलब्ध नहीं कराना है. अब तक 100 से ज्यादा लाभुकों का फ्लैट आवंटन रद्द हो चुका है.

इधर निर्माणाधीन लाइट हाउस के फ्लैट में रहने का सपना पाल रखे लोगों का मानना है कि बैंक के द्वारा लोन नहीं मिलने की वजह से समय पर नगर निगम को फ्लैट के पैसे नहीं मिल रहे हैं. अपनी परेशानी को ईटीवी भारत से साझा करते हुए धुर्वा की राधिका देवी कहती हैं कि नगर निगम के द्वारा पहले यह बताया गया कि बैंक से लोन मुहैया कराना निगम का कार्य है और बाद में वह मुकर गया. इसलिए लोन लेने के लिए बार-बार बैंक में दौड़ लगाने के बावजूद भी अभी तक पैसे नहीं मिल पाया है, जो कुछ भी घर में पैसे थे वह पहली किश्त चुका दिया लेकिन आगे की किश्त का पैसा वो अभी तक नहीं दे पाए हैं. सुलोचना देवी का कहना है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग बेहद ही कमजोर है, जिस वजह से लोग पैसा देने से कतराने लगे हैं. वहीं आवंटी धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि बैंक लोन नहीं दे रही है तो आम लोग कहां से पैसा लायेंगे.

बहरहाल राज्य में कोई बेघर नहीं रहे इसके लिए सरकारें कदम उठा रही है. लेकिन जटिल सरकारी प्रक्रिया की वजह से गरीब इसे पाने में वंचित रह जाते हैं. ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि सहयोगात्मक रुख अपनाकर वैसे लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने की दरकार है.

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