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नवनियुक्त कुलपति के प्रयासों से BAU को मिली पहचान, कृषि विश्वविद्यालयों के रैंकिंग में मिला स्थान

रांची में नवनियुक्त कुलपति के प्रयासों से बीएयू को पहचान मिल रही है. कृषि विश्वविद्यालयों के रैंकिंग में बीएयू को स्थान मिला है. रैंकिंग के लिए कुलपति ने इस सफलता के लिए सभी विश्वविद्यालय कर्मियों को बधाई दी है.

birsa agriculture university
कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग
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Published : Dec 7, 2020, 12:48 PM IST

रांची: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर), नई दिल्ली की तरफ से चार वर्षों से कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार के मानकों पर आधारित आखिल भारतीय स्तर पर कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग जारी की जा रही है. पिछले वर्ष तकनीकी वजह से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) इस स्पर्धा में शामिल नहीं हो सका.

नवनियुक्त कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने प्रभार लेते ही इस दिशा में गंभीर प्रयास किए. आखिरकार कुलपति के प्रयासों ने बीएयू को राष्ट्रीय पटल पर नई पहचान दिलाई. आईसीएआर ने वर्ष 2019 के लिए कृषि विश्वविद्यालयों की आखिल भारतीय स्तर पर रैंकिंग जारी की है. इस रैंकिंग में पहलीबार झारखंड राज्य के में एकमात्र कृषि शिक्षा संस्थान बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को 60वां रैंक दिया गया है.

विश्ववद्यालय कर्मियों में देखी जा रही खुशी
पूरे देश में उच्च कृषि शिक्षा के क्षेत्र में 64 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय तथा 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय कार्यरत है. विश्वविद्यालय सूत्रों ने अनेकों कठिनाइयों से जूझ रहे विश्वविद्यालय के लिए इस रैंकिंग को संजीवनी बताया है. बीएयू को रैंकिंग मिलने पर विश्ववद्यालय कर्मियों में काफी खुशी देखी जा रही है. बीएयू कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि स्वीकृत पदों के विरूद्ध नियमित रूप से कार्यरत 15 प्रतिशत प्राध्यापक और वैज्ञानिक और 10 प्रतिशत कर्मचारियों के बावजूद 60वां रैंक का मिलना विश्वविद्यालय के लिए बड़ी सफलता है. विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में नियमित प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं कर्मचारी का होना पहली प्राथमिकता है. सरकार के सहयोग से इस दिशा में प्रयास किए जा रहे है.

विश्वविद्यालय को मिल पाया बढ़िया रैंकिंग
कुलपति ने कहा कि नियमित प्राध्यापक एवं वैज्ञानिकों की कमी की वजह से विश्वविद्यालय को बढ़िया रैंकिंग नहीं मिल पाया. प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक पर अत्यधिक कार्यभार से गुणवत्ता को बनाए रखना बड़ी चुनौती साबित हो रही है. विश्वविद्यालय में एक को छोड़ सभी डीन, डायरेक्टर, एसोसिएट डीन आदि वरीय अधिकारियों के पद प्रभार में चल रहे है. अनुबंध पर नियुक्त प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक से इस समस्या का समाधान संभव नहीं है.

इसे भी पढ़ें-यात्रीगण कृपया ध्यान दें- स्पेशल ट्रेनों के समय सारणी में बदलाव, ठहराव में भी परिवर्तन

रैंक सुधार के लिए रणनीति पर अमल करने का प्रयास
बेहतर रैंकिंग के लिए नियमित नियुक्ति, संकाय सदस्यों की पीएचडी अहर्ता, इंटरनेशनल जर्नल में शोध पत्रों का प्रकाशन, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन, नेशनल अवार्ड, तकनीकों का पेटेंट, छात्रों का राष्ट्रीय स्तर पर जेआरएफ, एसआरएफ एवं एआरएस एग्जाम में सफलता, छात्रों का प्लेसमेंट, विदेशी छात्रों का नामांकन, राष्ट्रीय खेलकूद में सफलता के लिए प्रयास शुरू किये जा रहे है. आने वाले वर्षो में 20 रैंक सुधार के लिए रणनीति पर अमल करने का प्रयास होगा.

विश्वविद्यालय कर्मियों को दी बधाई
रैंकिंग के लिए संकलन एवं प्रेषण में तीनों संकाय के डीन, डायरेक्टर , कुलसचिव के आलावा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एमएस मल्लिक, डॉ बीके अग्रवाल व डॉ पीके सिंह का विशेष सहयोग रहा है. कुलपति ने इस सफलता के लिए सभी विश्वविद्यालय कर्मियों को बधाई दी है.

रांची: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर), नई दिल्ली की तरफ से चार वर्षों से कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार के मानकों पर आधारित आखिल भारतीय स्तर पर कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग जारी की जा रही है. पिछले वर्ष तकनीकी वजह से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) इस स्पर्धा में शामिल नहीं हो सका.

नवनियुक्त कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने प्रभार लेते ही इस दिशा में गंभीर प्रयास किए. आखिरकार कुलपति के प्रयासों ने बीएयू को राष्ट्रीय पटल पर नई पहचान दिलाई. आईसीएआर ने वर्ष 2019 के लिए कृषि विश्वविद्यालयों की आखिल भारतीय स्तर पर रैंकिंग जारी की है. इस रैंकिंग में पहलीबार झारखंड राज्य के में एकमात्र कृषि शिक्षा संस्थान बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को 60वां रैंक दिया गया है.

विश्ववद्यालय कर्मियों में देखी जा रही खुशी
पूरे देश में उच्च कृषि शिक्षा के क्षेत्र में 64 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय तथा 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय कार्यरत है. विश्वविद्यालय सूत्रों ने अनेकों कठिनाइयों से जूझ रहे विश्वविद्यालय के लिए इस रैंकिंग को संजीवनी बताया है. बीएयू को रैंकिंग मिलने पर विश्ववद्यालय कर्मियों में काफी खुशी देखी जा रही है. बीएयू कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि स्वीकृत पदों के विरूद्ध नियमित रूप से कार्यरत 15 प्रतिशत प्राध्यापक और वैज्ञानिक और 10 प्रतिशत कर्मचारियों के बावजूद 60वां रैंक का मिलना विश्वविद्यालय के लिए बड़ी सफलता है. विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में नियमित प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं कर्मचारी का होना पहली प्राथमिकता है. सरकार के सहयोग से इस दिशा में प्रयास किए जा रहे है.

विश्वविद्यालय को मिल पाया बढ़िया रैंकिंग
कुलपति ने कहा कि नियमित प्राध्यापक एवं वैज्ञानिकों की कमी की वजह से विश्वविद्यालय को बढ़िया रैंकिंग नहीं मिल पाया. प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक पर अत्यधिक कार्यभार से गुणवत्ता को बनाए रखना बड़ी चुनौती साबित हो रही है. विश्वविद्यालय में एक को छोड़ सभी डीन, डायरेक्टर, एसोसिएट डीन आदि वरीय अधिकारियों के पद प्रभार में चल रहे है. अनुबंध पर नियुक्त प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक से इस समस्या का समाधान संभव नहीं है.

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रैंक सुधार के लिए रणनीति पर अमल करने का प्रयास
बेहतर रैंकिंग के लिए नियमित नियुक्ति, संकाय सदस्यों की पीएचडी अहर्ता, इंटरनेशनल जर्नल में शोध पत्रों का प्रकाशन, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन, नेशनल अवार्ड, तकनीकों का पेटेंट, छात्रों का राष्ट्रीय स्तर पर जेआरएफ, एसआरएफ एवं एआरएस एग्जाम में सफलता, छात्रों का प्लेसमेंट, विदेशी छात्रों का नामांकन, राष्ट्रीय खेलकूद में सफलता के लिए प्रयास शुरू किये जा रहे है. आने वाले वर्षो में 20 रैंक सुधार के लिए रणनीति पर अमल करने का प्रयास होगा.

विश्वविद्यालय कर्मियों को दी बधाई
रैंकिंग के लिए संकलन एवं प्रेषण में तीनों संकाय के डीन, डायरेक्टर , कुलसचिव के आलावा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एमएस मल्लिक, डॉ बीके अग्रवाल व डॉ पीके सिंह का विशेष सहयोग रहा है. कुलपति ने इस सफलता के लिए सभी विश्वविद्यालय कर्मियों को बधाई दी है.

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