रांची: हजारीबाग जिला के बरही से कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला एक बार फिर चर्चा में हैं. उनसे जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ है. वह एक टोलकर्मी को तमाचा जड़ते दिख रहे (Umashankar Akela Slapped Toll Worker) हैं. वीडियो की पुष्टि के लिए ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने विधायक से फोन पर संपर्क कर उनकी प्रतिक्रिया ली. उमाशंकर अकेला ने घटना को सही बताया है. पूरे घटनाक्रम पर उनसे कई सवाल किए गये. उन्होंने जवाब भी दिया.
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पहला सवाल - क्या वीडियों में तमाचा जड़ता शख्स आप ही है?
जवाब - कल मैं आ रहा था रांची तो एक गेट खाली था. मैं उसी गेट में चला आया. हम हॉर्न मारे. एक दूसरा बूथ से आया. कहता है इधर से क्यों नहीं आया. तो हमने पूछा कि क्या तुम नगवा के हो. नहीं पहचानते हो हमको. तब कहता है जाओ-जाओ. इसी में हुआ है थोड़ा बहुत. उसके बातचीत का तरीका सही नहीं था. थोड़ा बहुत तो रिएक्शन हो ही जाता है ना. मैंने पुलिस को खबर कर दिया है.
दूसरा सवाल - क्या जनप्रतिनिधि को ऐसा व्यवहार करना चाहिए?
जवाब - एक बात सुनिए... जनप्रतिनिधि का प्रतिष्ठा हनन हो जाए और वो चुपचाप खड़ा रहे. बदतमीजी से बात कर रहा हो. तो क्या हम सहन करते रहेंगे. कानून हाथ में नहीं लिए हैं. हाथ काहेला चलावेंगे. हजारों पत्रकार को छुड़ाते हैं. टोल प्लाजा वाला गुंडागर्दी करता है. हमने जेएच-02 नंबर को फ्री करवाया. आधार और पैनकार्ड रहने पर भी स्थानीय को छोड़ना है. फिर भी टोल वाला लड़ाई झगड़ा करता है. छोड़बे नहीं करता है.
तीसरा सवाल - क्या आपने जो किया वो सही है?
जवाब - एक बात बताओ. अगर जनप्रतिनिधि हैं. उसको कोई बेइज्जत करे तो वह चुपचाप खड़ा रहेगा. हमने मैनेजर को कहा. एसपी को कहा कि बदतमीजी से बात किया है. हमारी प्रतिष्ठा ही नहीं रहेगी तो विधायकी का क्या मतलब?
चौथा सवाल - क्या बिना हाथ चलाए बात नहीं बनती?
जवाब - इस सवाल के जवाब में विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि जब हम उसको पूछ रहे है कि पहचानते नहीं हो. तो कहता है जाओ-जाओ. अगर आपको जाओ-जाओ बोलेंगे तो खराब नहीं लगेगा. आपको एक दिन फेस करना पड़ता है. टॉल वाले हर दिन स्थानीय लोगों को तंग करते हैं. उन्होंने कहा कि वीआईपी गेट क्यों नहीं बना है. न ओरमांझी, न हजारीबाग और न बरही में वीआईपी टोल गेट बना है. उन्होंने कहा कि एमएलए का टोल नहीं लगता है. जो पहचानता है, वो गेट खोल देता है. लेकिन इसबार दूसरे केबिन से आकर बदतमीजी करने लगा.
पांचवा सवाल - क्या हाथ चलाने का अफसोस है?
जवाब - इस सवाल के जवाब में शुरू में उमाशंकर अकेला ने कहा कि अरे लड़कन बुतरू गलती मान लिया है. होता ही है थोड़ा बहुत. अफसोस तो होता ही है. बेइज्जती होने पर थोड़ी देर में ही एहसास भी हो जाता है. लेकिन विधायक हो और हमेशा प्रताड़ित होता रहे, यह अच्छा है क्या. उनसे फिर पूछा गया कि इसका मतलब पूरी घटना को लेकर आपको कोई अफसोस नहीं है. तब जाकर उमाशंकर अकेला ने कहा कि आप लिख सकते हैं कि मुझे इस घटना पर अफसोस है.
आपको बता दें कि उमाशंकर अकेला पूर्व में बरही से भाजपा के विधायक थे. लेकिन 2019 में भाजपा ने मनोज यादव को प्रत्याशी बना दिया था. इसकी वजह से वह कांग्रेस में चले गये थे. पिछले दिनों सरकार में पोजिशन को लेकर दबाव बनाने वाले गुट में उमाशंकर अकेला भी सक्रिय भूमिका में रहे हैं. कहा जाता है कि विधायक इरफान अंसारी के साथ उनकी खूब बनती है. फिलहाल, इस मामले में टोल कर्मियों की तरफ से पुलिस में कोई भी शिकायत दर्ज नहीं कराई गयी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक टोल कर्मी डरे हुए हैं.