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पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खपत कम, राजधानी में बिक रहा है 600 रुपये जोड़ा केला थंब

दिवाली के मौके पर मिट्टी का दीया जलाने का विशेष महत्व है. इसके साथ-साथ लक्ष्मी-गणेश के पूजा में भी कई पूजा समाग्रियों का विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक केले का थंब भी है. लोग अपने घरों, मकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर केला केले की थंब जरूर लगाते हैं. इसका एक अलग धार्मिक मान्यता है. रांची में इस बार भी केले के थंब की बिक्री खूब हुई.

Banana trees sales on occasion of Deepawali
केले की थंब की ब्रिकी
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Published : Nov 14, 2020, 8:35 PM IST

रांची: कोरोना के बावजूद दिवाली को लेकर शहर में उत्साह देखा जा रहा है. लोग बाजारों में निकल रहे हैं और पूजन सामग्री भी खरीद रहे हैं. वहीं प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी केले की थंब की डिमांड बाजार में दिख रहा है. लोग अपने घरों, मकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर केला केले की थंब जरूर लगाते हैं. इसका एक अलग धार्मिक मान्यता है.

देखें पूरी खबर
मान्यता ऐसी है कि केले की थंब में स्वयं विष्णु भगवान वास करते हैं और माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा आराधना दीपावली के मौके पर एक साथ होता है. ऐसे में घर, मकान और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर केला का थंब लगाना शुभ माना जाता है. पिछले वर्ष की बात करें तो एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 18 से 20 ट्रक से ज्यादा केले की थंब का खपत हुआ था. हालांकि इस वर्ष यह आंकड़ा 5 से 8 ट्रक है. एक ट्रक में 300 थंब लाया जाता है .बिहार के अलावे झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी केला थंब मंगवाया जाता है. व्यवसाय वर्ग कहते हैं कि दीपावली के अवसर पर केला थंब का डिमांड रांची में बढ़ जाता है और इसको मुहैया कराने के लिए बिहार के कुछ जिलों से केले की पेड़ लाया जाता है और बाजारों में इसकी बिक्री होती है. बाजार में 300 से लेकर 600 रुपये जोड़ा केले की थंब बिक रही है और इसके खरीदार भी काफी है. हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष इसका खपत कम है.

इसे भी पढ़ें- तृणमूल के साथ गठबंधन को एआईएमआईएम तैयार, दीदी की बढ़ी टेंशन

ट्रांसपोर्ट में परेशानी आने के कारण इस वर्ष उतनी मात्रा में केला का थंब मंगवाया नहीं जा सका है. हालांकि जरूरतों को पूरा करने के लिए झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी केले की पेड़ बाजार में मंगवाया गया है और लोगों को उपलब्ध हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष इसकी अलग से तैयारी होती है. बाजारों में इसे उतारा जाता है और लोग अपने हिसाब से इसे खरीदते हैं. इस वर्ष भी खरीदारी हो रही है लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में कम है.

रांची: कोरोना के बावजूद दिवाली को लेकर शहर में उत्साह देखा जा रहा है. लोग बाजारों में निकल रहे हैं और पूजन सामग्री भी खरीद रहे हैं. वहीं प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी केले की थंब की डिमांड बाजार में दिख रहा है. लोग अपने घरों, मकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर केला केले की थंब जरूर लगाते हैं. इसका एक अलग धार्मिक मान्यता है.

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मान्यता ऐसी है कि केले की थंब में स्वयं विष्णु भगवान वास करते हैं और माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा आराधना दीपावली के मौके पर एक साथ होता है. ऐसे में घर, मकान और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर केला का थंब लगाना शुभ माना जाता है. पिछले वर्ष की बात करें तो एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 18 से 20 ट्रक से ज्यादा केले की थंब का खपत हुआ था. हालांकि इस वर्ष यह आंकड़ा 5 से 8 ट्रक है. एक ट्रक में 300 थंब लाया जाता है .बिहार के अलावे झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी केला थंब मंगवाया जाता है. व्यवसाय वर्ग कहते हैं कि दीपावली के अवसर पर केला थंब का डिमांड रांची में बढ़ जाता है और इसको मुहैया कराने के लिए बिहार के कुछ जिलों से केले की पेड़ लाया जाता है और बाजारों में इसकी बिक्री होती है. बाजार में 300 से लेकर 600 रुपये जोड़ा केले की थंब बिक रही है और इसके खरीदार भी काफी है. हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष इसका खपत कम है.

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ट्रांसपोर्ट में परेशानी आने के कारण इस वर्ष उतनी मात्रा में केला का थंब मंगवाया नहीं जा सका है. हालांकि जरूरतों को पूरा करने के लिए झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी केले की पेड़ बाजार में मंगवाया गया है और लोगों को उपलब्ध हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष इसकी अलग से तैयारी होती है. बाजारों में इसे उतारा जाता है और लोग अपने हिसाब से इसे खरीदते हैं. इस वर्ष भी खरीदारी हो रही है लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में कम है.

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