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स्वास्थ्य सुविधाओं से बदहाल झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल, रिम्स में मरीज की बढ़ी परेशानी

झारखंड राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स अपनी बदहाली की मार झेल रहा है. स्वास्थ्य सुविधा ठप पड़ी है, जिससे राज्यवासियों और दूरदराज से आए गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान, रांची
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Published : Dec 28, 2020, 11:38 AM IST

रांची: राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स बदहाली की मार झेलने को मजबूर है. नए निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद की नियुक्ति के बाद कहा जा रहा था कि रिम्स की तकदीर और तस्वीर दोनों ही अब बदलने वाली है, लेकिन हालातों को देखकर बदहाली का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- नियम विरुद्ध पोस्टिंग से IFS एसोसिएशन में सरकार के खिलाफ उबाल, कोर्ट जाने की तैयारी, पढ़ें रिपोर्ट

जांच मशीनें पड़ी बेकार

रिम्स में गरीब मरीजों को जांच के लिए रिम्स से बाहर जाना पड़ रहा है. रिम्स में सीटी स्कैन मशीन पिछले एक साल से खराब है. अभी तक इसे ठीक करवाने को लेकर अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में ईको मशीन कई दिनों से खराब पड़ी है, जिसकी वजह से हृदय की बीमारियों से जुड़े मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है.

गरीब मरीजों को हो रही परेशानी

अस्पताल में मशीनें खराब होने की वजह से गरीब मरीजों को बाहर के जांच घरों के भरोसे रहना पड़ता है, जिससे उन्हें जांच की मोटी रकम चुकानी पड़ती है. एक मरीज ने बताया कि धनबाद के पीएमसीएच से रांची के लिए मरीज को रेफर किया गया और यहां पर डॉक्टर ऑपरेशन से पहले सीटी स्कैन कराने कह रहे हैं, लेकिन सिटी स्कैन मशीन खराब होने के कारण हमें बाहर जाकर जांच करना पड़ रहा है. मरीज के परिजन ने बताया कि अगर अस्पताल का मशीन ठीक रहता तो हम लोग जैसे गरीब लोगों को काफी राहत होती.

नये मशीनों की खरीदारी का निकाला गया टेंडर

इसे लेकर प्रबंधन से जब बात की गई तो कई वरिष्ठ अधिकारी और पीआरओ ने फोन तक नहीं उठाया. सूत्रों की जानकारी के अनुसार पिछले साल से कागजी पेंच में फंसे होने के कारण सीटी स्कैन मशीन ठीक नहीं हो पाई है. दोबारा इन मशीनों को खरीदने के लिए टेंडर निकाला गया है. अगले एक महीने तक इन मशीनों की खरीदारी हो जाएगी. उसके बाद फिर से यह सुविधा मरीजों को मिल पाएगा.

गरीबों का अधिकार है उचित स्वास्थ्य लाभ
रिम्स में राज्य भर से गरीब मरीज बेहतर इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण गरीब मरीजों को उनके हक का इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में प्रबंधन को मामले पर संज्ञान लेने की जरुरत है ताकि व्यवस्था दुरुस्त रहे. ताकि राज्य के गरीब मरीजों को किसी तरह की परेशानियों से न जूझना पड़े और उन्हें उचित स्वास्थ्य लाभ मिलता रहे.

रांची: राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स बदहाली की मार झेलने को मजबूर है. नए निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद की नियुक्ति के बाद कहा जा रहा था कि रिम्स की तकदीर और तस्वीर दोनों ही अब बदलने वाली है, लेकिन हालातों को देखकर बदहाली का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

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जांच मशीनें पड़ी बेकार

रिम्स में गरीब मरीजों को जांच के लिए रिम्स से बाहर जाना पड़ रहा है. रिम्स में सीटी स्कैन मशीन पिछले एक साल से खराब है. अभी तक इसे ठीक करवाने को लेकर अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में ईको मशीन कई दिनों से खराब पड़ी है, जिसकी वजह से हृदय की बीमारियों से जुड़े मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है.

गरीब मरीजों को हो रही परेशानी

अस्पताल में मशीनें खराब होने की वजह से गरीब मरीजों को बाहर के जांच घरों के भरोसे रहना पड़ता है, जिससे उन्हें जांच की मोटी रकम चुकानी पड़ती है. एक मरीज ने बताया कि धनबाद के पीएमसीएच से रांची के लिए मरीज को रेफर किया गया और यहां पर डॉक्टर ऑपरेशन से पहले सीटी स्कैन कराने कह रहे हैं, लेकिन सिटी स्कैन मशीन खराब होने के कारण हमें बाहर जाकर जांच करना पड़ रहा है. मरीज के परिजन ने बताया कि अगर अस्पताल का मशीन ठीक रहता तो हम लोग जैसे गरीब लोगों को काफी राहत होती.

नये मशीनों की खरीदारी का निकाला गया टेंडर

इसे लेकर प्रबंधन से जब बात की गई तो कई वरिष्ठ अधिकारी और पीआरओ ने फोन तक नहीं उठाया. सूत्रों की जानकारी के अनुसार पिछले साल से कागजी पेंच में फंसे होने के कारण सीटी स्कैन मशीन ठीक नहीं हो पाई है. दोबारा इन मशीनों को खरीदने के लिए टेंडर निकाला गया है. अगले एक महीने तक इन मशीनों की खरीदारी हो जाएगी. उसके बाद फिर से यह सुविधा मरीजों को मिल पाएगा.

गरीबों का अधिकार है उचित स्वास्थ्य लाभ
रिम्स में राज्य भर से गरीब मरीज बेहतर इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण गरीब मरीजों को उनके हक का इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में प्रबंधन को मामले पर संज्ञान लेने की जरुरत है ताकि व्यवस्था दुरुस्त रहे. ताकि राज्य के गरीब मरीजों को किसी तरह की परेशानियों से न जूझना पड़े और उन्हें उचित स्वास्थ्य लाभ मिलता रहे.

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