रांचीः झारखंड में सिंगल विंडो के तहत उद्यमियों और व्यापारियों को एक ही छत के नीचे सभी विभाग की सेवा देने की व्यवस्था की गई, ताकि उद्यमियों को भाग दौड़ नहीं करना पड़े. लेकिन विभागों के कॉर्डिनेशन के अभाव के कारण उद्योग विभाग का सिंगल विंडो सिस्टम उद्यमियों की परेशानी दूर करने में फेल हो रहा है.
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राज्य सरकार ने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई है. इसमें व्यवसायियों की समस्या दूर करने के उद्देश्य से सिंगल विंडो सिस्टम को मजबूत कर औद्योगिक वातावरण बनाने की बात कही गई है. लेकिन सच्चाई कुछ और है. जिससे व्यवसायी परेशान हैं.
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने सरकार की सिंगल विंडो सिस्टम पूरी तरह फिर बताते हुए कहा है कि पंजाब की तर्ज पर झारखंड में भी बड़े अधिकारियों के जिम्मे सिंगल विंडो सिस्टम दिया जाए, ताकि निर्धारित समय सीमा में कार्यों का निष्पादन हो सके. वर्तमान समय में स्थिति यह है कि उद्यमियों को खुद विभागों का चक्कर लगाना पड़ता है.
सीए प्रभात शरण ने सिंगल विंडो सिस्टम की सराहना करते हुए कहा है की सरकार की मंशा अच्छी है. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही या फिर टेक्निकल कारणों से सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि सिंगल विंडो सिस्टम के तहत कोई कार्य निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं होता है. इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं, जिसमें सुधार की जरूरत है.
सिंगल विंडो सिस्टम से एक ही जगह उद्यमियों को हर विभाग से वगैर भागदौड़ के कागजी प्रक्रिया पूरी हो जाती थी. पिछली सरकार में सिंगल विंडो सिस्टम के कामकाज की जिम्मेवारी अर्नेस्ट एंड यंग नामक एजेंसी को दिया गया था. लेकिन विभागीय कॉर्डिनेशन के अभाव और तकनीकी कारणों से इसका लाभ उद्यमियों को नहीं मिल सका. इसके बाद एजेंसी को कार्यमुक्त करते हुए सरकार इसे खुद चलाने लगी. इसके बाबजूद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिला.
विभाग के आंकड़ों पर नजर देंगे तो आज की तारीख में सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए 1,22,774 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें 1181 लंबित है. वहीं 1779 आवेदन प्रोग्रेस में है और 1,05,503 आवेदन एप्रुव हो चूके हैं. इसके साथ ही 14311 आवेदन को रिजेक्ट कर दिए गए हैं. प्रभारी उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने भी पिछले महीने व्यवसायियों की परेशानी सुनने के बाद इसपर पहल करने का आश्वासन दिया था. सिंगल विंडो सिस्टम के महाप्रबंधक ने कहा कि उद्यमी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि डक्यूमेंट आवेदन के साथ नहीं रहने पर सर्टिफिकेट जारी करना मुश्किल है.