रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मंत्री आलमगीर आलम को बर्खास्त करने की मांग की है. बाबूलाल ने सीएम को इस मामले में पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि अपने विधायक प्रतिनिधि को हटाइए. इनकी बिना देर किए गिरफ्तारी करवाइए. उन्होंने कहा कि मंत्री का काम कानून का शासन स्थापित करना और सरकारी राजस्व के हितों की रक्षा करना है. न कि सत्ता की ताकत के दम पर ठेका-पट्टा मैनेज कराकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाना. उन्होंने कहा कि मामला सीधे आपसे जुड़ा है तो उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से जांच कराएं, ताकि आपके शासन में जगह-जगह हो रही दलाली, बिचौलियागिरी और ठेका-पट्टा मैनेज के खेल के साथ ही ट्रासंफर-पोस्टिंग को कमाउ उद्योग बनाने के काम में लगे लोगों पर अंकुश लगे. यही नीति का तकाजा है. वहीं, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी ट्टिवर के जरिए कांग्रेस के मंत्री आलमगीर आलम का इस्तीफा लेने की मांग की. उन्होंने लिखा अब तो उनके ट्वीट किए ऑडियो की सत्यता सामने आ गई है, साथ उन्होंने पूछा की भ्रष्टाचारी कांग्रेस के मंत्री का इस्तीफा लीजीए नहीं तो जांच निष्पक्ष कैसे होगी. उन्होंने मामले में सीबाआई जांच की मांग की.
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सीएम हेमंत को लिखा पत्र
बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि यह बेहद ही गंभीर मामला है. इसको लेकर दोनों का एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है. यह राज्य सरकार पर एक दाग है. इस मामले में सरकार के मंत्री और आपके प्रतिनिध ने जिस प्रकार से धौंस दिखाकर खौफ पैदा करने का काम किया है. यह कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने लिखा कि अगर आप पारदर्शी शासन का दम भरते हैं तो मंत्री को अविलंब गिरफ्तार कर जेल में डाला जाए. इस पूरे प्रकरण को देखकर कभी बिहार में स्थापित जंगलराज की यादें ताजा हो रही हैं. मरांडी ने हेमंत को लिखा कि अगर वह सही में निष्पक्ष हैं और इसमें उनकी कोई संलिप्तता नहीं तो 24 घंटे के अंदर मंत्री को गिरफ्तार कराया जाए. क्योंकि यह मामला सीधे उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है.
क्या है मामला
22 जून को पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के बरहरवा नगर पंचायत में एक करोड़ 44 लाख की टोल टैक्स की बंदोबस्ती में भाग लेने गए ठेकेदार शंभूनंदन प्रसाद पर जानलेवा हमला हुआ था. इस मामले में ठेकेदार शंभूनंदन ने अपने ऊपर कराए गए जानलेवा हमले की साजिश रचने और ठेका में भाग लेने पर अंजाम भुगतने का सीधा आरोप राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर लगाया था. वहीं, मंत्री आलमगीर आलम पर भी केस दर्ज हुआ है. जिसके बाद ठेकेदार ने मंत्री और विधायक प्रतिनिधि के साथ हुई मोबाइल पर बातचीत का ऑडियो वायरल किया था. ऑडियो वायरल होने के बाद मंत्री आलमगीर आलम कैमरे के सामने आए और अपनी सफाई दी और अपने ऊपर लगाए गए आरोप का ठीकरा मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा ने दूसरे राजनीतिक दलों पर फोड़ा था, जिस पर पलटवार करते हुए भाजपा नेताओं ने अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं. वहीं, विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा का कहना है कि इस घटना क्रम से उन्हें कोई लेना देना नहीं है. जिस वक्त घटना घटी थी उस वक्त वो अपने आवास में थे. विधायक प्रतिनिधि ने बताया कि बढ़ती राजनीति जनाधार को देखते हुए कुछ राजनीतिक दल मेरी छवि को धूमिल करने के लिए साजिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप की पुलिस निष्पक्ष जांच करे और दोषी पाए जाने पर निश्चित रूप से कार्रवाई करें. हालांकि, डीआईजी संथाल परगना नरेंद्र कुमार सिंह ने नगर पंचायत कार्यालय में हुई मारपीट के बाद साहिबगंज एसपी को इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित करने का आदेश दिया है. चूंकि मामला मंत्री और विधायक प्रतिनिधि से जुड़ा हुआ है इसलिए विपक्ष ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है.