रांची: बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने हिंदपीढ़ी मामले को लेकर भी दुख प्रकट किया है. इसके अलावा ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ाने कि घोषणा की. प्रधानमंत्री की इस अपील पर बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि दूरदर्शिता के तहत ही प्रधानमंत्री ने यह निर्णय लिया है, लगातार कोरोना वायरस से जुड़े मामले बढ़ रहे है और इसे लेकर सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही समय पर बेहतर निर्णय लिया है.
हिंदपीढ़ी मामले पर किया दुख प्रकट
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बाबूलाल मरांडी ने हिंदपीढ़ी की घटना पर दुख प्रकट करते हुए कहा है कि झारखंड में रांची का हिंदीपीढ़ी क्षेत्र कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुका है, अबतक इस क्षेत्र में11 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं, जिसमें से एक की मौत भी हो गई है, जिसके बाद शव को दफनाने को लेकर काफी विवाद हुआ और इस विवाद को लेकर कुछ लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन राज्य सरकार उन लोगों पर प्राथमिकी नहीं दर्ज करवा रही है, जिन लोगों ने लगातार हिंदपीढ़ी में बवाल काटा है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोरोना फाइटर के साथ लगातार विवाद किया जा रहा है. नगर निगम कर्मचारियों के अलावे स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है, यह समझ से परे है कि ऐसे लोगों को अबतक राज्य सरकार चिन्हित कर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.
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राज्य सरकार को अपने स्तर पर भी लड़ने की जरूरत
बाबुलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री लगातार संसाधनों का रोना रो रहे हैं, जबकि पीएम खुद इस मामले को लेकर गंभीर हैं और मॉनिटरिंग भी लगातार हो रही है, राज्य सरकार भी अपने स्तर पर कोरोना महामारी से लड़ने को लेकर कई मामलों में सक्षम है और राज्य सरकार को गंभीरता से इस विषय पर सोचना चाहिए.
प्राइवेट स्कूलों में बच्चों से फीस लेने के सवाल पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस विकट परिस्थिति में स्कूल प्रबंधक को सामंजस्य बनाकर चलना होगा. स्कूल प्रबंधकों को इस समय अभिभावकों को राहत देना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऐसे निजी स्कूलों को अपने स्तर पर राहत दे, क्योंकि निजी स्कूलों को भी अपने कर्मचारियों को वेतन भुगतान करना होगा. ऐसे में एक दूसरे के साथ सामंजस्य बनाकर और सहभागिता रखकर ही इस बुरे वक्त से उभरा जा सकता है.