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BJP प्रदेश अध्यक्ष के चयन में दिखेगा 'मरांडी' इफेक्ट, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर जल्द

भाजपा में झाविमो के विलय के बाद पार्टी में बाबूलाल मरांडी के प्रभाव को लेकर चर्चा होने लगी है. मरांडी के आने के बाद एक तरफ जहां पार्टी अपने विधायक दल के नेता का चयन करने जाएगी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर वैसे चेहरे पर मुहर लगने की उम्मीद है जो मरांडी के 'गुड बुक्स' में हो.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के चयन में दिखेगा 'मरांडी' इफेक्ट, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर जल्द
भाजपा नेतागण
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Published : Feb 22, 2020, 6:55 PM IST

रांचीः प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में झारखंड विकास मोर्चा के विलय के बाद अब बाबूलाल मरांडी के प्रभाव को लेकर चर्चा होने लगी है. दरअसल मरांडी के आने के बाद एक तरफ जहां पार्टी अपने विधायक दल के नेता का चयन करने जाएगी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष का भी चयन किया जाएगा. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद तगड़ा 'सेटबैक' झेलने वाली बीजेपी ने अभी तक झारखंड विधानसभा में अपने विधायक दल का नेता नहीं चुना है.

बाबूलाल के करीबी बन सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष

वहीं दूसरी तरफ पार्टी के असंतोषजनक प्रदर्शन को लेकर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने अपना इस्तीफा दे दिया था. हालांकि अभी तक औपचारिक रूप से उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो मरांडी को विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर वैसे चेहरे पर मुहर लगने की उम्मीद है जो मरांडी के 'गुड बुक्स' में हो.

और पढ़ें- झारखंड के 4 प्रमंडलों में 29 फरवरी से कांग्रेस का सदस्यता अभियान

प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में हैं ये नाम

सूत्रों का यकीन करें तो प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र कुमार राय, रांची से सांसद संजय सेठ और पार्टी के प्रदेश महामंत्री और राजमहल विधानसभा से विधायक अनंत ओझा के नाम की चर्चा जोरों पर है. दरअसल राय और दीपक प्रकाश कभी मरांडी के साथ हुआ करते थे और दोनों उनके करीबी माने जाते हैं. राय 2014 में पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं जब प्रदेश में बीजेपी को अभी तक की सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें मिली और लोकसभा में भी पार्टी का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा. प्रकाश पार्टी के पुराने कैडर है और मरांडी के करीबी रहे है. साथ ही कथित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व में भी इनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है, जबकि सांसद संजय सेठ रांची के एमपी तब बने जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य के मुखिया थे. रांची संसदीय सीट पर संजय सेठ की उम्मीदवारी में दास की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं होती हैं. अनंत ओझा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे और संथाल परगना में राजमहल सीट पर अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले विधायक माने जाते हैं. साथ ही वह प्रदेश में चले सदस्यता अभियान का नेतृत्व कर चुके हैं. एक तरफ उन्हें जहां संगठनात्मक अनुभव है वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अपने इलाके में इन्होंने जमकर आवाज उठाई है.

मुरलीधर राव तय करेंगे सदन में मुखिया

पार्टी सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव अगले कुछ दिनों में आएंगे और पार्टी के विधायक दल के नेता का चयन करेंगे. उसके बाद प्रदेश में पार्टी की कमान किसे दी जाए इसको लेकर फैसला होगा.

बता दें, कि 81 इलेक्टेड सदस्य वाली झारखंड विधानसभा में बीजेपी के 25 विधायक 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जीत कर सदन पहुंचे हैं.

रांचीः प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में झारखंड विकास मोर्चा के विलय के बाद अब बाबूलाल मरांडी के प्रभाव को लेकर चर्चा होने लगी है. दरअसल मरांडी के आने के बाद एक तरफ जहां पार्टी अपने विधायक दल के नेता का चयन करने जाएगी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष का भी चयन किया जाएगा. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद तगड़ा 'सेटबैक' झेलने वाली बीजेपी ने अभी तक झारखंड विधानसभा में अपने विधायक दल का नेता नहीं चुना है.

बाबूलाल के करीबी बन सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष

वहीं दूसरी तरफ पार्टी के असंतोषजनक प्रदर्शन को लेकर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने अपना इस्तीफा दे दिया था. हालांकि अभी तक औपचारिक रूप से उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो मरांडी को विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर वैसे चेहरे पर मुहर लगने की उम्मीद है जो मरांडी के 'गुड बुक्स' में हो.

और पढ़ें- झारखंड के 4 प्रमंडलों में 29 फरवरी से कांग्रेस का सदस्यता अभियान

प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में हैं ये नाम

सूत्रों का यकीन करें तो प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र कुमार राय, रांची से सांसद संजय सेठ और पार्टी के प्रदेश महामंत्री और राजमहल विधानसभा से विधायक अनंत ओझा के नाम की चर्चा जोरों पर है. दरअसल राय और दीपक प्रकाश कभी मरांडी के साथ हुआ करते थे और दोनों उनके करीबी माने जाते हैं. राय 2014 में पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं जब प्रदेश में बीजेपी को अभी तक की सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें मिली और लोकसभा में भी पार्टी का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा. प्रकाश पार्टी के पुराने कैडर है और मरांडी के करीबी रहे है. साथ ही कथित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व में भी इनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है, जबकि सांसद संजय सेठ रांची के एमपी तब बने जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य के मुखिया थे. रांची संसदीय सीट पर संजय सेठ की उम्मीदवारी में दास की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं होती हैं. अनंत ओझा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे और संथाल परगना में राजमहल सीट पर अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले विधायक माने जाते हैं. साथ ही वह प्रदेश में चले सदस्यता अभियान का नेतृत्व कर चुके हैं. एक तरफ उन्हें जहां संगठनात्मक अनुभव है वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अपने इलाके में इन्होंने जमकर आवाज उठाई है.

मुरलीधर राव तय करेंगे सदन में मुखिया

पार्टी सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव अगले कुछ दिनों में आएंगे और पार्टी के विधायक दल के नेता का चयन करेंगे. उसके बाद प्रदेश में पार्टी की कमान किसे दी जाए इसको लेकर फैसला होगा.

बता दें, कि 81 इलेक्टेड सदस्य वाली झारखंड विधानसभा में बीजेपी के 25 विधायक 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जीत कर सदन पहुंचे हैं.

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