रांचीः ईडी के शपथ पत्र के बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है. पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने झारखंड की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की(Babulal Marandi demanded President rule) है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाग लेने पहुंचे बाबूलाल मरांडी ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार ने केस को मैनेज करने की कोशिश की, इससे साफ लगता है कि राज्य में कैसी स्थिति है.
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केस मैनेज करने की हो रही कोशिशः उन्होंने कहा कि पहले ठेका को मैनेज करने की कोशिश होती है और अब उनके प्रेस सलाहकार केस को मैनेज करने का प्रयास करते हैं. लगता है कि राज्य में गुंडों का शासन है. गौरतलब है कि बरहरवा टोल प्लाजा विवाद मामले में ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को क्लीन चिट देने के मामले में हाई कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया है. शपथ पत्र में कई सनसनीखेज बातों का उल्लेख किया गया है जानकारी के मुताबिक ईडी के शपथ पत्र में पंकज मिश्रा, अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ पिंटू एवं महाधिवक्ता सहित अन्य लोगों के बीच मोबाइल फोन से हुई बातचीत का भी जिक्र किया गया है जिसके बाद से सियासत तेज हो गई है.
सीएम का बिहार यूपी संबंधी बयान हास्यास्पदः बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा बिहार यूपी के लोगों पर की गई टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में जिस तरह से मुख्यमंत्री ने बिहार यूपी के लोगों पर साजिश के तहत झारखंडी हित में बनी नीतियों को न्यायालय में ले जाने की बात कही है वह हास्यास्पद है. उन्होंने कहा कि न्यायालय में जाने के लिए लोग स्वतंत्र हैं और अपने हक अधिकार के लिए न्यायालय में गुहार लगा सकते हैं, लेकिन इस तरह एक राज्य के मुख्यमंत्री का सदन में बोलना कहीं से भी शोभा नहीं देता है. अपनी कमी को छिपाने के लिए इस तरह के बातें की जाती हैं.
उन्होंने कहा कि हिंदी और अंग्रेजी को जिस तरह से इस सरकार ने हटाकर उर्दू को नियोजन नीति में प्राथमिकता दी, उसके बाद से ही इसका विरोध होने लगा था. भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मामले में सरकार को सचेत करती रही थी इसके बावजूद अपनी हठधर्मिता के वजह से यह सरकार इसे नजरअंदाज कर लागू कराने की कोशिश में जुटी रही. न्यायालय ने जब इसमें फैसला सुनाया है तो सरकार को बड़ा झटका लगा है और इस तरह की बातों को बोली जा रही है.