रांची: झारखंड में बीजेपी के लिए बाबूलाल मरांडी एक ऐसी राजनीति हैं जो साथ है तो बीजेपी है, अगर बीजेपी के साथ नहीं हैं वह फिर भी बाबूलाल मरांडी के बगैर बीजेपी नहीं रह पाई है. अगर सियासी सफर की बात कर लें तो लालू वाली राजनीति से 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो बाबूलाल मरांडी बीजेपी के सबसे बड़े चेहरा हुआ करते थे और माना जाता था कि झारखंड में बीजेपी को स्थापित करने के लिए बाबूलाल मरांडी की सियासत सबसे मजबूत है. बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने.
बीजेपी की सियासत में बाबूलाल मरांडी का जो कद था वह बाद वाली बीजेपी में भटकना शुरू हुआ तो बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी छोड़ दिया. लेकिन बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को नहीं छोड़ा. रघुवर दास की बनी सरकार में भी बाबूलाल मरांडी के 6 विधायक 5 साल तक बीजेपी की राजनीति में केंद्र बिंदु रहे और जिन की सियासत में रघुवर दास के पूरे 5 साल के कार्यकाल को भी एक सफर दे दिया. बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन बीजेपी दफ्तर में भी मनाया जा रहा है, लेकिन सियासी चश्मे से अगर इसको देखा जाए तो बीजेपी ने बाबूलाल को तोड़ भी और बाबूलाल को जोड़ा भी. बीजेपी की सियासत में बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति में एक ऐसे तिलिस्म में है जिनके बगैर बीजेपी अपनी सियासत की पूरी कहानी लिख नहीं पाती.
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किसान परिवार में जन्मे बाबूलाल मरांडी ने गिरिडीह के देवरी में प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक नौकरी की. फिर विभागीय अधिकारियों से कुछ ऐसी बात हो गई कि शिक्षक बाबूलाल मरांडी ने राजनीति की राह पकड़ ली. संघ में सक्रिय होने के बाद बाबूलाल मरांडी साल 1990 में बीजेपी के संथाल परगना के संगठन मंत्री के रूप में काम किया. दो बार दिशोम गुरु से चुनावी समर में पराजित होने के बाद साल 1998 में उन्होंने शिबू सोरेन को और फिर 1999 में उनकी पत्नी रूपी सोरेन को हराकर अपनी राजनीतिक धाक जमाई. 1999 में अटल जी की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया. झारखंड राज्य अलग होने पर 2000 में बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. 2003 में पार्टी में विरोध के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा. 2006 में उन्होंने बीजेपी छोड़कर अपनी झारखंड विकास मोर्चा नाम से पार्टी बना ली. 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा ने चुनाव लड़ा. 2009 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बाबूलाल की पार्टी जेवीएम ने चुनाल लड़ा. फरवरी 2020 उन्होने अपनी पार्टी जेवीएम का बीजेपी में विलय कर दिया और बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए.
बाबूलाल मरांडी की राजनीति को बीजेपी ने नकारा तो बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया हालांकि बाबूलाल मरांडी फिर बीजेपी में लौट आए हैं और सियासत में बीजेपी को स्थापित करने के लिए झारखंड में पूरा जोर लगा रहे हैं. लेकिन फिर भी एक कसक बाबूलाल मरांडी के दिल में आज भी बनी हुई है. अगर झारखंड में उनकी नीतियों पर बीजेपी चलती तो शायद बीजेपी का जनमत और जनाधार अलग होता. आज बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन है और जो योगदान बीजेपी के लिए बाबूलाल मरांडी का रहा है, वह निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए आगे की राजनीति में काफी अहम साबित होगा और इसे साबित करने में पूरा बीजेपी अपना दमखम भी लगाए हुए है. ईटीवी भारत बाबूलाल मरांडी को उनके जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती है.