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झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक को लेकर भाजपा ने लगाया सरकार पर बड़ा आरोप, कहा- नियुक्तियां बेचने के लिए लाया गया ये बिल - etv news

झारखंड विधानसभा से पास हुए कदाचार रोकने वाले झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक के को लेकर भाजपा विरोध कर रही है और इस काला कानून बता रही है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर आरोप लगाते हुआ कहा है कि यह विधेयक नियुक्तियां बेचने के लिए लाया गया है.

Jharkhand Competitive Examination Bill
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Published : Aug 4, 2023, 6:24 PM IST

नेताओं के बयान

रांची: 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक-2023' का भारतीय जनता पार्टी लगातार विरोध कर रही है. इस संबंध में बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर इस विधेयक को अपनी सहमति नहीं देने का आग्रह किया है. इसके बाद विधानसभा पहुंचे बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि आनेवाले दिनों में जो 26 हजार नियुक्तियां होने वाली है. उसे बेचने की तैयारी है. इसलिए विरोध के आवाज को दबाने के लिए यह काला कानून बनाया गया है.

यह भी पढ़ें: Video: स्पीकर रबींद्रनाथ महतो से सीपी सिंह ने ली चुटकी, सदन में सभी ठहाके लगाकर हंसने लगे

वहीं, कांग्रेस नेता प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य के युवा चाहते हैं कि वे भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हों और अपना भविष्य बनाए. प्रदीप यादव ने कहा कि बेवजह भाजपा एक अच्छे अधिनियम को खराब बताने पर तूली है.

बता दें कि झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन गुरुवार को हेमंत सोरेन सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक-2023' को दो संशोधनों के साथ विधानसभा से पारित करा लिया था. इसी को लेकर यह पूरा विवाद है.

अधिनियम के इन प्रावधानों पर भाजपा को है आपत्ति: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कदाचार को रोकने के लिए विधानसभा से पारित जिस बिल को सरकार बेहतरीन बता रही है, वह काला कानून है. उन्होंने कहा कि अधिनियम के कंडिका 11.2 में यह प्रावधान है कि प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका को लेकर सवाल खड़े करने वाले अभ्यर्थी और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर उसकी खबर चलाने पर बिना जांच के प्राथमिकी दर्ज कराने और कंडिका 23-1-2 में बिना वरीय पुलिस अधिकारियों के अनुमोदन के गिरफ्तारी का प्रावधान है. यह साफ दर्शाता है कि राज्य में प्रतियोगिता परीक्षा में होनेवाली गड़बड़ी पर भी कोई आवाज ना उठाए, इसकी तैयारी की गई है.

बिना जांच के अभ्यर्थी को गिरफ्तार करने का प्रावधान: बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इसी तरह अधिनियम के कंडिका 13-1 में कदाचार में लिप्त होने के आरोप में बिना जांच के अभ्यर्थी को गिरफ्तार करने और 02 से 10 साल की सजा देने का प्रावधान राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं कंडिका 2.7 में यह प्रावधान किया गया है कि परीक्षा कराने वाले कर्मी, उनके रिश्तेदारों और मित्रों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का प्रावधान है. बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि आने वाले दिनों में 26 हजार नियुक्ति में गड़बड़ी और उस पर उठने वाली आवाज को दबाने की ये तैयारी है.

'अच्छी चीजों को बुरे तरीके से समाज में परोस रही हैं भाजपा': कांग्रेस विधायक दल के उपनेता प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार की मंशा ठीक होने के बावजूद भाजपा भ्रम का माहौल बना रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं की इच्छा कदाचारमुक्त प्रतियोगिता परीक्षा संचालन की है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले दिनों JE की परीक्षा में पेपर लीक हुआ, वह सबने देखा. पेपर लीक होने और कदाचार से समय और पैसे की बर्बादी होती है. इसे रोकने की ये एक कोशिश है.

नेताओं के बयान

रांची: 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक-2023' का भारतीय जनता पार्टी लगातार विरोध कर रही है. इस संबंध में बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर इस विधेयक को अपनी सहमति नहीं देने का आग्रह किया है. इसके बाद विधानसभा पहुंचे बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि आनेवाले दिनों में जो 26 हजार नियुक्तियां होने वाली है. उसे बेचने की तैयारी है. इसलिए विरोध के आवाज को दबाने के लिए यह काला कानून बनाया गया है.

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वहीं, कांग्रेस नेता प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य के युवा चाहते हैं कि वे भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हों और अपना भविष्य बनाए. प्रदीप यादव ने कहा कि बेवजह भाजपा एक अच्छे अधिनियम को खराब बताने पर तूली है.

बता दें कि झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन गुरुवार को हेमंत सोरेन सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक-2023' को दो संशोधनों के साथ विधानसभा से पारित करा लिया था. इसी को लेकर यह पूरा विवाद है.

अधिनियम के इन प्रावधानों पर भाजपा को है आपत्ति: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कदाचार को रोकने के लिए विधानसभा से पारित जिस बिल को सरकार बेहतरीन बता रही है, वह काला कानून है. उन्होंने कहा कि अधिनियम के कंडिका 11.2 में यह प्रावधान है कि प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका को लेकर सवाल खड़े करने वाले अभ्यर्थी और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर उसकी खबर चलाने पर बिना जांच के प्राथमिकी दर्ज कराने और कंडिका 23-1-2 में बिना वरीय पुलिस अधिकारियों के अनुमोदन के गिरफ्तारी का प्रावधान है. यह साफ दर्शाता है कि राज्य में प्रतियोगिता परीक्षा में होनेवाली गड़बड़ी पर भी कोई आवाज ना उठाए, इसकी तैयारी की गई है.

बिना जांच के अभ्यर्थी को गिरफ्तार करने का प्रावधान: बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इसी तरह अधिनियम के कंडिका 13-1 में कदाचार में लिप्त होने के आरोप में बिना जांच के अभ्यर्थी को गिरफ्तार करने और 02 से 10 साल की सजा देने का प्रावधान राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं कंडिका 2.7 में यह प्रावधान किया गया है कि परीक्षा कराने वाले कर्मी, उनके रिश्तेदारों और मित्रों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का प्रावधान है. बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि आने वाले दिनों में 26 हजार नियुक्ति में गड़बड़ी और उस पर उठने वाली आवाज को दबाने की ये तैयारी है.

'अच्छी चीजों को बुरे तरीके से समाज में परोस रही हैं भाजपा': कांग्रेस विधायक दल के उपनेता प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार की मंशा ठीक होने के बावजूद भाजपा भ्रम का माहौल बना रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं की इच्छा कदाचारमुक्त प्रतियोगिता परीक्षा संचालन की है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले दिनों JE की परीक्षा में पेपर लीक हुआ, वह सबने देखा. पेपर लीक होने और कदाचार से समय और पैसे की बर्बादी होती है. इसे रोकने की ये एक कोशिश है.

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