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black fungus: चलेगा जागरुकता अभियान, सभी धर्म के धर्म गुरुओं के साथ ऑनलाइन चर्चा

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बढ़ते संक्रमण को देखते हुए, वीमेन डॉक्टर्स विंग, आईएमए (IMA) झारखंड, स्वास्थ्य विभाग और झारखंड सरकार की ओर से एक संयुक्त ऑनलाइन जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया. मुफ्त 24 घंटे संचालित ब्लैक फंगस (black fungus) हेल्प लाइन (help line) 6203709250 का शुभारंभ भी किया गया.

Awareness campaign black fungus in ranchi
ब्लैक फंगस से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान
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Published : Jun 5, 2021, 7:49 AM IST

रांची: कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के दौरान बढ़ते संक्रमण को देखते हुए, वीमेन डॉक्टर्स विंग (women doctors wing), आईएमए झारखंड, स्वास्थ्य विभाग और झारखंड सरकार की ओर से एक संयुक्त ऑनलाइन जागरूकता अभियान का आयोजन नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) के सहयोग से किया गया. कोविड वैक्सीन के प्रजनन स्वास्थ्य पर सुरक्षित प्रभाव, ब्लैक फंगस से जुड़ी भ्रांतियों, बच्चों के मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C), सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए और जागरुकता फैलाने के लिए 2 लाख से अधिक जमीनी स्तर से जुड़े स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया. जिससे कोरोना की तीसरी लहर को बेअसर किया जा सके और बच्चों की सुरक्षा हो सके.

ये भी पढ़ें- रिम्स में ब्लैक फंगस के 2 और मरीजों की इलाज के दौरान मौत

ब्लैक फंगस से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान

इस अभियान से राज्य के सभी सिविल सर्जन के साथ-साथ सभी धर्म गुरुओं खास कर आदिवासी समाज के धर्म गुरु पाहन समुदाय को जोड़ा गया. इस कार्यक्रम का के मुख्य अतिथि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता रहे. विशिष्ट अतिथि अरुण कुमार सिंह, डॉ. जेए जयालाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएमए) और डॉ. जयेश लेले (राष्ट्रीय सचिव, आईएमए) मौजूद रहे.

प्रखंड स्तर पर बच्चों के लिए चाइल्ड फ्रेंडली कोविड वार्ड किए जा रहे तैयार
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार संभावित तीसरी लहर के लिए तैयार है. प्रत्येक जिला अस्पताल से लेकर प्रखंड स्तर पर बच्चों के लिए चाइल्ड फ्रेंडली कोविड वार्ड बनाए जा रहे हैं, जिला स्तर पर ऑक्सीजन बैंक का निर्माण किया जा रहा है. बच्चों के इलाज के लिए आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. रिम्स को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया गया है. जिसके माध्यम से पूरे राज्य में चिकित्सकों और अस्पतालों के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य किया जा सके.

मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि ब्लैक फंगस को लेकर भी सरकार विशेष तैयारी कर रही हैं. प्रत्येक जिला के सदर अस्पताल में ब्लैक फंगस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया जा रहा है. सरकार इसको राज्य आपदा के रूप में लाने के प्रस्ताव पर समीक्षा कर रही हैं. इसके इलाज के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की जा रही हैं.

अवर मुख्य सचिव ने राज्य सरकार के तैयारियों से लोगों को कराया अवगत
टीकाकरण के बारे में उठते गलत धारणाओं के बारे में मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि इसके कोई गलत साइड इफेक्ट नहीं है, सभी राज्यवासियों से अनुरोध है कि वो टीका जरूर लगवाएं, लोगों के बीच जो गलत अफवाह है. उसे दूर करने के लिए समाज के सभी धर्मगुरुओं, समाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों को आगे बढ़ कर जागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता है. सरकार सभी राज्यवासियों को फ्री वैक्सीन देने के लिए संकल्पित हैं. अवर मुख्य सचिव अरुण सिंह ने राज्य सरकार के तैयारियों से लोगों को अवगत करवाया.

वेबिनार में विशेषज्ञों ने वैक्सीन को लेकर भ्रम और लोगों के मन मे उठ रहे सवालों का दिया जवाब
वेबिनार के पहले सत्र में इलेनोईस यूनिवर्सिटी, अमेरिका से फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि कश्यप ने महिलाओं और पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर, गर्भवती और दूध पिलाती माताओं पर वैक्सीन के सुरक्षित प्रभाव पर सभी को जागरूक किया. उन्होंने बच्चों में मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण जिसे अभिवावकों को पहचाना चाहिए, उसके बारे में अभिवावकों को जागरूक किया. क्योंकि यह एक बहुत कम होने वाली पर जानलेवा बीमारी है.

MIS-C के मामलों नवजात शिशुओं से 18 साल के पोस्ट कोविड (post covid) के बच्चों में संक्रमण के 3 से 4 हफ्तों के बाद देखा जाता है. सबसे चिंता की बात यह है कि इस रोग के लक्षण डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों जैसे ही हैं. ऐसे में अगर बच्चों को दो-तीन दिन पेट दर्द, बुखार, उल्टी, दस्त, आंख-मुंह लाल, शरीर पर चकते हों तो सावधान हो जाएं. उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं, समय पर उपचार बच्चे की जान बचा सकता है. रक्तचाप में अचानक गिराव (जिसका लक्षण अत्यधिक थकान है) और सांस का फूलना एडवांस स्टेज के लक्षण होते हैं. MIS-C सबसे ज्यादा हृदय, फेफड़े को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.

तीसरे वेब से बच्चों को बचाने के लिए कई मोर्चो पर करना होगा काम
दूसरे सत्र में टेक्सस यूनिवर्सिटी, अमरिका से बच्चों की ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा कश्यप ने कोरोना के दौरान प्रभावित बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए झारखंड सरकार को पेडियाट्रिक ICU में किस तरह की तैयारी करनी चाहिए, उसके बारे में सुझाब प्रदान किया. उन्होंने कहा की पेडियाट्रिक ICU में हार्ट एवं पेट की अल्ट्रा साउंड मशीन, हेड सीटी स्कैन, वैंटिलेटर की जरुरत है. उन्होंने सुझाव दिया एडल्ट ICU एक्सपर्ट डॉक्टर्स को प्रशिक्षित कर पेडियेट्रिक ICU एक्सपर्ट बना कर मानव संसाधन की कमी को पूरा किया जा सकता है. एडल्ट हार्ट विशेषज्ञों को प्रशिक्षित कर पेडियाट्रिक्स हार्ट स्पेशलिस्ट का काम लिया जा सकता है. डॉ पूजा ने कहा कि हमारे देश में MIS-C के 2 हजार से 3 हजार केस और अमेरिका में करीब 4 हजार मरीज मिलें हैं. ICU में भरती MIS-C के 85 प्रतिशत मरीजों में हार्ट प्रभावित होता है.

वेबिनार का तीसरा सत्र, ब्लैक फंगस की समय रहते पहचान जरूरी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विभूति ने बताया कि ब्लैक फंगस की बीमारी में जैसे एक सत्य यह है की वो शुगर के मरीजों में और अनियंत्रित स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों में पाया जा रहा है. वैसे ही एक सत्य यह भी है की कुछ 10 प्रतिशत मरीज ऐसे भी हैं जिनको सुगर की बीमारी नहीं हुई है. इन मरीजों में इस बीमारी के होने की संभवतः वजहें अत्यधिक भाप लेना, वैक्सीन नहीं लेना, जिंक का सेवन करना और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन से कोरोना वायरस का इन्फेक्शन होना हो सकता है. हालांकि इसकी पुष्टि होने के लिए और रिसर्च होनी जरूरी है. अतः सुरक्षा की दृष्टि से यह ज़रूरी है की कोरोना से उभरे मरीज साफ सफाई का खास ध्यान रखें. साफ-सुथरे मास्क पहने, धूल-मिटटी वाली जगह में ना जाएं, नियमित रूप से स्नान करें और पैरों को पलंग में आने के पूर्व साफ करें, ताकि चादर पर मिटटी या पैरों की गंदगी ना आए.

जिन लोगों को कोरोना नहीं हुआ है, उनमे पिछले 2 महीनो में ब्लैक फंगस की बिमारी नहीं देखने को मिली है. उन्होंने कहा की जहां एक ओर ब्लैक फंगस के बारे में लोगों को अवगत करना जरूरी है, वहीं इस बात का भी ध्यान रखना होगा की लोगों में बेवजह भय न फैले. इस मौसम में आंखों की सामान्य खुजली, पानी की समस्या भी आम दिनों से ज्यादा होती है. ऐसे में 50 प्रतिशत मरीज इस सामान्य खुजली पानी को ब्लैक फंगस समझ भयभीत होते नजर आ रहे हैं. ब्लैक फंगस हेल्प लाइन इसी अनावश्यक भय को घर बैठे दूर करने में सहायक होगा. मरीजों को गैर-जरुरी भय से दूर रखना भी डॉक्टर और सरकार की एक नैतिक जिम्मेदारी है. जिससे कोरोना के मरीजों का मानसिक स्वास्थ्य स्थिर रहे और एक अनावश्यक भय लोगों के दिमाग में घर न करे. क्योंकि वास्तव में म्युकरमाइकोसिस के केसेस में वृद्धि होने के बावजूद इन मरीजों की कुल संख्या झारखंड की आबादी के मुकाबले काफी ज्यादा कम है.


अंतिम सत्र महिलाओं को होने वाली बीमारी सरवाइकल कैंसर पर
चौथे सत्र में डॉ. स्वरुपा मित्रा (चीफ कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञ, राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट & रेसुर्च सेंटर, नई दिल्ली) ने स्वास्थ्य साहियाओं को सर्वाइकल कैंसर और स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचाने का प्रशिक्षण दिया.

इसे भी पढ़ें- झारखंड के हर मेडिकल कॉलेज में होगा कोरोना के जीनोम सीक्वेंस साइट, वायरस के वैरियंट की होगी मॉनिटरिंग


कई सदर अस्पताल में सर्वाइकल कैंसर जांच की मशीन गैस के अभाव में बंद
वीमेन डॉक्टर्स विंग आई.एम.ए. झारखंड की अध्यक्षा डॉ. भारती कश्यप ने स्वास्थ्य मंत्री को जानकारी दी की झारखंड के 23 सदर अस्पतालों में से 11 सदर अस्पतालों में सर्वाइकल प्री-कैंसर के इलाज की मशीन की व्यवस्था स्थानीय विधायक महोदयों के साथ मिलकर हम लोगों ने की थी. जहां, रांची, खूंटी, गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग, साहिबगंज में डिजिटल वीडियो कोल्पोस्कोप के साथ क्रायो मशीन लगाई गई है. वहीं, संथाल परगना के बाकि सदर अस्पतालों में क्रायो मशीन और गैस सिलिंडर की व्यवस्था की गई थी, लेकिन गैस सिलिंडर एक बार खाली होने की वजह से सभी जगह काम रुक गया. इस समस्या की ओर स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया. अगर जिस रफ्तार से सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन अभियान चल रहा था, उस रफ्तार से 1 से 2 सालो में झारखंड से सर्वाइकल कैंसर का खात्मा हो जाता.

स्वास्थ्य मंत्री ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों और पीएम पर किया कटाक्ष
वेबिनार के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता में वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति को लेकर कहा कि जिस तरह शुरू के दिनों में एक वैक्सीन निर्माता कंपनी दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते रहे, और पीएम ने थाली पिटवाया, मोमबत्ती दीया जलवाया उसी समय खुद वैक्सीन ले लेते तो लोगों का विश्वास जगता. वैक्सीन को लेकर आज जैसा माहौल नहीं बनता. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर वैक्सीनेशन की गति में तेजी लाकर ही कोरोना की तीसरी लहर को बेअसर कर बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है.

रांची: कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के दौरान बढ़ते संक्रमण को देखते हुए, वीमेन डॉक्टर्स विंग (women doctors wing), आईएमए झारखंड, स्वास्थ्य विभाग और झारखंड सरकार की ओर से एक संयुक्त ऑनलाइन जागरूकता अभियान का आयोजन नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) के सहयोग से किया गया. कोविड वैक्सीन के प्रजनन स्वास्थ्य पर सुरक्षित प्रभाव, ब्लैक फंगस से जुड़ी भ्रांतियों, बच्चों के मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C), सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए और जागरुकता फैलाने के लिए 2 लाख से अधिक जमीनी स्तर से जुड़े स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया. जिससे कोरोना की तीसरी लहर को बेअसर किया जा सके और बच्चों की सुरक्षा हो सके.

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ब्लैक फंगस से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान

इस अभियान से राज्य के सभी सिविल सर्जन के साथ-साथ सभी धर्म गुरुओं खास कर आदिवासी समाज के धर्म गुरु पाहन समुदाय को जोड़ा गया. इस कार्यक्रम का के मुख्य अतिथि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता रहे. विशिष्ट अतिथि अरुण कुमार सिंह, डॉ. जेए जयालाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएमए) और डॉ. जयेश लेले (राष्ट्रीय सचिव, आईएमए) मौजूद रहे.

प्रखंड स्तर पर बच्चों के लिए चाइल्ड फ्रेंडली कोविड वार्ड किए जा रहे तैयार
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार संभावित तीसरी लहर के लिए तैयार है. प्रत्येक जिला अस्पताल से लेकर प्रखंड स्तर पर बच्चों के लिए चाइल्ड फ्रेंडली कोविड वार्ड बनाए जा रहे हैं, जिला स्तर पर ऑक्सीजन बैंक का निर्माण किया जा रहा है. बच्चों के इलाज के लिए आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. रिम्स को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया गया है. जिसके माध्यम से पूरे राज्य में चिकित्सकों और अस्पतालों के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य किया जा सके.

मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि ब्लैक फंगस को लेकर भी सरकार विशेष तैयारी कर रही हैं. प्रत्येक जिला के सदर अस्पताल में ब्लैक फंगस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया जा रहा है. सरकार इसको राज्य आपदा के रूप में लाने के प्रस्ताव पर समीक्षा कर रही हैं. इसके इलाज के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की जा रही हैं.

अवर मुख्य सचिव ने राज्य सरकार के तैयारियों से लोगों को कराया अवगत
टीकाकरण के बारे में उठते गलत धारणाओं के बारे में मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि इसके कोई गलत साइड इफेक्ट नहीं है, सभी राज्यवासियों से अनुरोध है कि वो टीका जरूर लगवाएं, लोगों के बीच जो गलत अफवाह है. उसे दूर करने के लिए समाज के सभी धर्मगुरुओं, समाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों को आगे बढ़ कर जागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता है. सरकार सभी राज्यवासियों को फ्री वैक्सीन देने के लिए संकल्पित हैं. अवर मुख्य सचिव अरुण सिंह ने राज्य सरकार के तैयारियों से लोगों को अवगत करवाया.

वेबिनार में विशेषज्ञों ने वैक्सीन को लेकर भ्रम और लोगों के मन मे उठ रहे सवालों का दिया जवाब
वेबिनार के पहले सत्र में इलेनोईस यूनिवर्सिटी, अमेरिका से फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि कश्यप ने महिलाओं और पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर, गर्भवती और दूध पिलाती माताओं पर वैक्सीन के सुरक्षित प्रभाव पर सभी को जागरूक किया. उन्होंने बच्चों में मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण जिसे अभिवावकों को पहचाना चाहिए, उसके बारे में अभिवावकों को जागरूक किया. क्योंकि यह एक बहुत कम होने वाली पर जानलेवा बीमारी है.

MIS-C के मामलों नवजात शिशुओं से 18 साल के पोस्ट कोविड (post covid) के बच्चों में संक्रमण के 3 से 4 हफ्तों के बाद देखा जाता है. सबसे चिंता की बात यह है कि इस रोग के लक्षण डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों जैसे ही हैं. ऐसे में अगर बच्चों को दो-तीन दिन पेट दर्द, बुखार, उल्टी, दस्त, आंख-मुंह लाल, शरीर पर चकते हों तो सावधान हो जाएं. उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं, समय पर उपचार बच्चे की जान बचा सकता है. रक्तचाप में अचानक गिराव (जिसका लक्षण अत्यधिक थकान है) और सांस का फूलना एडवांस स्टेज के लक्षण होते हैं. MIS-C सबसे ज्यादा हृदय, फेफड़े को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.

तीसरे वेब से बच्चों को बचाने के लिए कई मोर्चो पर करना होगा काम
दूसरे सत्र में टेक्सस यूनिवर्सिटी, अमरिका से बच्चों की ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा कश्यप ने कोरोना के दौरान प्रभावित बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए झारखंड सरकार को पेडियाट्रिक ICU में किस तरह की तैयारी करनी चाहिए, उसके बारे में सुझाब प्रदान किया. उन्होंने कहा की पेडियाट्रिक ICU में हार्ट एवं पेट की अल्ट्रा साउंड मशीन, हेड सीटी स्कैन, वैंटिलेटर की जरुरत है. उन्होंने सुझाव दिया एडल्ट ICU एक्सपर्ट डॉक्टर्स को प्रशिक्षित कर पेडियेट्रिक ICU एक्सपर्ट बना कर मानव संसाधन की कमी को पूरा किया जा सकता है. एडल्ट हार्ट विशेषज्ञों को प्रशिक्षित कर पेडियाट्रिक्स हार्ट स्पेशलिस्ट का काम लिया जा सकता है. डॉ पूजा ने कहा कि हमारे देश में MIS-C के 2 हजार से 3 हजार केस और अमेरिका में करीब 4 हजार मरीज मिलें हैं. ICU में भरती MIS-C के 85 प्रतिशत मरीजों में हार्ट प्रभावित होता है.

वेबिनार का तीसरा सत्र, ब्लैक फंगस की समय रहते पहचान जरूरी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विभूति ने बताया कि ब्लैक फंगस की बीमारी में जैसे एक सत्य यह है की वो शुगर के मरीजों में और अनियंत्रित स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों में पाया जा रहा है. वैसे ही एक सत्य यह भी है की कुछ 10 प्रतिशत मरीज ऐसे भी हैं जिनको सुगर की बीमारी नहीं हुई है. इन मरीजों में इस बीमारी के होने की संभवतः वजहें अत्यधिक भाप लेना, वैक्सीन नहीं लेना, जिंक का सेवन करना और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन से कोरोना वायरस का इन्फेक्शन होना हो सकता है. हालांकि इसकी पुष्टि होने के लिए और रिसर्च होनी जरूरी है. अतः सुरक्षा की दृष्टि से यह ज़रूरी है की कोरोना से उभरे मरीज साफ सफाई का खास ध्यान रखें. साफ-सुथरे मास्क पहने, धूल-मिटटी वाली जगह में ना जाएं, नियमित रूप से स्नान करें और पैरों को पलंग में आने के पूर्व साफ करें, ताकि चादर पर मिटटी या पैरों की गंदगी ना आए.

जिन लोगों को कोरोना नहीं हुआ है, उनमे पिछले 2 महीनो में ब्लैक फंगस की बिमारी नहीं देखने को मिली है. उन्होंने कहा की जहां एक ओर ब्लैक फंगस के बारे में लोगों को अवगत करना जरूरी है, वहीं इस बात का भी ध्यान रखना होगा की लोगों में बेवजह भय न फैले. इस मौसम में आंखों की सामान्य खुजली, पानी की समस्या भी आम दिनों से ज्यादा होती है. ऐसे में 50 प्रतिशत मरीज इस सामान्य खुजली पानी को ब्लैक फंगस समझ भयभीत होते नजर आ रहे हैं. ब्लैक फंगस हेल्प लाइन इसी अनावश्यक भय को घर बैठे दूर करने में सहायक होगा. मरीजों को गैर-जरुरी भय से दूर रखना भी डॉक्टर और सरकार की एक नैतिक जिम्मेदारी है. जिससे कोरोना के मरीजों का मानसिक स्वास्थ्य स्थिर रहे और एक अनावश्यक भय लोगों के दिमाग में घर न करे. क्योंकि वास्तव में म्युकरमाइकोसिस के केसेस में वृद्धि होने के बावजूद इन मरीजों की कुल संख्या झारखंड की आबादी के मुकाबले काफी ज्यादा कम है.


अंतिम सत्र महिलाओं को होने वाली बीमारी सरवाइकल कैंसर पर
चौथे सत्र में डॉ. स्वरुपा मित्रा (चीफ कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञ, राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट & रेसुर्च सेंटर, नई दिल्ली) ने स्वास्थ्य साहियाओं को सर्वाइकल कैंसर और स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचाने का प्रशिक्षण दिया.

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कई सदर अस्पताल में सर्वाइकल कैंसर जांच की मशीन गैस के अभाव में बंद
वीमेन डॉक्टर्स विंग आई.एम.ए. झारखंड की अध्यक्षा डॉ. भारती कश्यप ने स्वास्थ्य मंत्री को जानकारी दी की झारखंड के 23 सदर अस्पतालों में से 11 सदर अस्पतालों में सर्वाइकल प्री-कैंसर के इलाज की मशीन की व्यवस्था स्थानीय विधायक महोदयों के साथ मिलकर हम लोगों ने की थी. जहां, रांची, खूंटी, गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग, साहिबगंज में डिजिटल वीडियो कोल्पोस्कोप के साथ क्रायो मशीन लगाई गई है. वहीं, संथाल परगना के बाकि सदर अस्पतालों में क्रायो मशीन और गैस सिलिंडर की व्यवस्था की गई थी, लेकिन गैस सिलिंडर एक बार खाली होने की वजह से सभी जगह काम रुक गया. इस समस्या की ओर स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया. अगर जिस रफ्तार से सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन अभियान चल रहा था, उस रफ्तार से 1 से 2 सालो में झारखंड से सर्वाइकल कैंसर का खात्मा हो जाता.

स्वास्थ्य मंत्री ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों और पीएम पर किया कटाक्ष
वेबिनार के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता में वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति को लेकर कहा कि जिस तरह शुरू के दिनों में एक वैक्सीन निर्माता कंपनी दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते रहे, और पीएम ने थाली पिटवाया, मोमबत्ती दीया जलवाया उसी समय खुद वैक्सीन ले लेते तो लोगों का विश्वास जगता. वैक्सीन को लेकर आज जैसा माहौल नहीं बनता. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर वैक्सीनेशन की गति में तेजी लाकर ही कोरोना की तीसरी लहर को बेअसर कर बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है.

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