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August Kranti Diwas: टाना भगतों ने स्वतंत्रता सेनानियों को दी श्रद्धांजलि

रांची के बेड़ो में टाना भगतों ने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी. स्वतंत्रता सेनानियों के शिलालेख पर पुष्प, जल अर्पित कर उनको याद किया.

August Kranti Diwas Tana Bhagats paid tribute to freedom fighters in Ranchi
August Kranti Diwas Tana Bhagats paid tribute to freedom fighters in Ranchi
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Published : Aug 9, 2021, 4:16 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 4:51 PM IST

बेड़ो,रांचीः बेड़ो मुख्यालय परिसर स्थित स्वतंत्रता सेनानी स्मारक स्थल पर अखिल भारतीय टाना भगत विकास परिषद के तत्वावधान में ब्लॉक के टाना भगतों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ उन्हें याद कर उनको नमन किया.

इसे भी पढ़ें- टाना भगत समुदाय के लोगों को हर साल मिलेंगे दो हजार, राष्ट्रपिता की प्रतिमा के अनावरण के बाद सीएम का ऐलान

9 अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर प्रखंड के शहीद पंद्रह स्वतंत्रता सेनानियों के शिलालेख पर पुष्प और जल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर टाना भगत एकजुट होकर चरखा छाप तिरंगे का ध्वजारोहण कर सामूहिक प्रार्थना किया. मौके पर मंगरा टाना भगत ने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में हमारे पूर्वजों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर अपनी शहादत दे दी.

देखें पूरी खबर

हम उनके वंशज लोग प्रत्येक वर्ष अपने शहीद पूर्वजों को 9 अगस्त को याद करते हैं. स्वतंत्रता सेनानी शहीद पूर्वजों को क्रांति दिवस के दिन पुष्प और जल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रवीण कुमार, परिषद के मंगरा टाना भगत, विनय टाना भगत, सुभाष टाना भगत, तिला टाना भगत, बंधना टाना भगत, बुद्धदेव टाना भगत, कंचन टाना भगत, बलराम टाना भगत, जिंगुवा टाना भगत सहित कई लोग मौजूद रहे.

इसे भी पढ़ें- 9 अगस्त को मनाया जाता है अगस्त क्रांति दिवस, देवघर के 4 स्वतंत्रता सेनानियों को मिला सम्मान

अगस्त क्रांति- घटनाक्रम

अगस्त क्रांति आंदोलन की शुरूआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी. बंबई के जिस पार्क से यह आंदोलन शुरू हुआ, उसे अगस्त क्रांति मैदान नाम दिया गया है. द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया. जिससे ब्रितानिया हुकूमत में दहशत फैल गई.

अगस्त क्रांति दिवस अगस्त क्रांति आंदोलन की शुरूआत 9 अगस्त, 1942 को हुई थी. इसीलिए भारतीय इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था. जिसके चलते ही 8 अगस्त 1942 को बंबई अधिवेशन में प्रस्ताव रखा गया और 9 अगस्त 1942 को आंदोलन प्रारंभ हुआ.

अमूमन 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है. लेकिन ये आंदोलन 8 अगस्‍त 1942 से आरंभ हुआ था. दरअसल, 8 अगस्‍त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया. इसके बाद से ही ये आंदोलन व्‍यापक स्‍तर पर आरंभ किया हुआ. यह भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आन्दोलन था. इस मौके पर महात्मा गाधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को 'करो या मरो' का नारा दिया.

इसे भी पढ़ें- आज ही हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद

महात्मा गांधी ने आंदोलन में अनुशासन बनाए रखने को कहा था परंतु जैसे ही इस आंदोलन की शुरूआत हुई. 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया था. यही नहीं अंग्रेजों ने गांधी जी को अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया. महात्मा गांधी को नजरबंद किया जाने के समाचार ने देशभर में हड़ताल और तोड़फ़ोड़ शुरु हो गई. ऐसा माना जाता है कि इस आंदोलन में करीब 940 लोग मारे गए थे और 1630 घायल हुए थे जबकि 60229 लोगों ने गिरफ्तारी दी.

ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन के प्रति काफी सख्त रुख अपनाया, फिर भी इस विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार को सालभर से ज्यादा समय लग गया. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया था. सभी धर्म औ जाति के लोग एक साथ अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो गए थे. 'भारत छोड़ो आंदोलन' देश का सबसे तीव्र और विशाल आंदोलन था, जिसमें सभी लोगों की भागिदारी थी. इसी के चल‍ते अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था.

बेड़ो,रांचीः बेड़ो मुख्यालय परिसर स्थित स्वतंत्रता सेनानी स्मारक स्थल पर अखिल भारतीय टाना भगत विकास परिषद के तत्वावधान में ब्लॉक के टाना भगतों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ उन्हें याद कर उनको नमन किया.

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9 अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर प्रखंड के शहीद पंद्रह स्वतंत्रता सेनानियों के शिलालेख पर पुष्प और जल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर टाना भगत एकजुट होकर चरखा छाप तिरंगे का ध्वजारोहण कर सामूहिक प्रार्थना किया. मौके पर मंगरा टाना भगत ने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में हमारे पूर्वजों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर अपनी शहादत दे दी.

देखें पूरी खबर

हम उनके वंशज लोग प्रत्येक वर्ष अपने शहीद पूर्वजों को 9 अगस्त को याद करते हैं. स्वतंत्रता सेनानी शहीद पूर्वजों को क्रांति दिवस के दिन पुष्प और जल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रवीण कुमार, परिषद के मंगरा टाना भगत, विनय टाना भगत, सुभाष टाना भगत, तिला टाना भगत, बंधना टाना भगत, बुद्धदेव टाना भगत, कंचन टाना भगत, बलराम टाना भगत, जिंगुवा टाना भगत सहित कई लोग मौजूद रहे.

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अगस्त क्रांति- घटनाक्रम

अगस्त क्रांति आंदोलन की शुरूआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी. बंबई के जिस पार्क से यह आंदोलन शुरू हुआ, उसे अगस्त क्रांति मैदान नाम दिया गया है. द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया. जिससे ब्रितानिया हुकूमत में दहशत फैल गई.

अगस्त क्रांति दिवस अगस्त क्रांति आंदोलन की शुरूआत 9 अगस्त, 1942 को हुई थी. इसीलिए भारतीय इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था. जिसके चलते ही 8 अगस्त 1942 को बंबई अधिवेशन में प्रस्ताव रखा गया और 9 अगस्त 1942 को आंदोलन प्रारंभ हुआ.

अमूमन 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है. लेकिन ये आंदोलन 8 अगस्‍त 1942 से आरंभ हुआ था. दरअसल, 8 अगस्‍त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया. इसके बाद से ही ये आंदोलन व्‍यापक स्‍तर पर आरंभ किया हुआ. यह भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आन्दोलन था. इस मौके पर महात्मा गाधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को 'करो या मरो' का नारा दिया.

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महात्मा गांधी ने आंदोलन में अनुशासन बनाए रखने को कहा था परंतु जैसे ही इस आंदोलन की शुरूआत हुई. 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया था. यही नहीं अंग्रेजों ने गांधी जी को अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया. महात्मा गांधी को नजरबंद किया जाने के समाचार ने देशभर में हड़ताल और तोड़फ़ोड़ शुरु हो गई. ऐसा माना जाता है कि इस आंदोलन में करीब 940 लोग मारे गए थे और 1630 घायल हुए थे जबकि 60229 लोगों ने गिरफ्तारी दी.

ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन के प्रति काफी सख्त रुख अपनाया, फिर भी इस विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार को सालभर से ज्यादा समय लग गया. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया था. सभी धर्म औ जाति के लोग एक साथ अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो गए थे. 'भारत छोड़ो आंदोलन' देश का सबसे तीव्र और विशाल आंदोलन था, जिसमें सभी लोगों की भागिदारी थी. इसी के चल‍ते अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था.

Last Updated : Aug 9, 2021, 4:51 PM IST
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