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अस्त्र से अब तक 134 करोड़ मोबाइल नंबरों की पड़ताल, झारखंड के प्रतिबिंब एप के जरिए साइबर अपराधियों पर कसेगा शिकंजा - Jharkhand news

साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए झारखंड का प्रतिबंब एप महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इससे फर्जी नंबरों का लोकेशन पता कर उसे लॉक किया जाएगा. वहीं, साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए दूरसंचार विभाग का आंतरिक एप अस्त्र भी काफी महत्वपूर्ण है. इससे अबतक 134 करोड़ मोबाइल नंबरों की जांच की गई है. Astra and pratibimb app will crack down cyber criminals

Bihar Chief Minister Nitish Kumar statement
Bihar Chief Minister Nitish Kumar statement
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 8, 2023, 9:39 PM IST

Updated : Nov 9, 2023, 12:52 PM IST

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता का बयान

रांची: देश में साइबर क्राइम पर लगाम लगाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा साइबर दोस्त और हेल्पलाइन 1903 महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इस कड़ी को और बेहतर और मजबूत बनाते हुए अब झारखंड के प्रतिबिंब एप के जरिए भी साइबर अपराधियों पर नकेस कसा जाएगा. बुधवार को प्रतिबंध को विधिवत लॉन्च कर दिया गया.

ये भी पढ़ें: ज्वाइंट साइबर कॉर्डिनेशन कांफ्रेंस में बना साइबर क्राइम के खिलाफ संयुक्त एजेंडा, 6 राज्यों की पुलिस साथ करेगी काम

देश भर में साइबर अपराध पर लगाम कसने की दिशा में दूरसंचार विभाग का आंतरिक एप अस्त्र काफी अहम साबित हो रहा. अब देशभर में झारखंड के प्रतिबिंब एप के जरिए भी साइबर अपराधियों पर नकेल कसी जाएगी. प्रतिबिंब के जरिए साइबर अपराध के लिए इस्तेमाल नंबरों की लोकेशन का पता लगाकर लॉक कराया जाएगा, साथ ही मैपिंग भी की जाएगी.

कैसे काम करेगा प्रतिबिंब एप: सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि देशभर में रोजाना आम लोगों को साइबर ठगी के फोन आते हैं. सभी राज्यों की पुलिस में जिन-जिन नंबरों के खिलाफ शिकायत आती है, उसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के आई4सी को दी जाती है. आई4सी के द्वारा झारखंड पुलिस इन नंबरों को हासिल कर रही है, साथ ही अपना डाटा बेस तैयार किया जा रहा है. जिन नंबरों का इस्तेमाल झारखंड में हो रहा है, उन नंबरों को संबंधित जिले के एसपी और सर्विस प्रोवाइडर को भेजा जा रहा, ताकि इन नंबरों का इस्तेमाल फिर से नही हो सके. प्रतिबिंब में इन्हीं सिम कार्डों का डाटा उपलब्ध रहेगी.

अस्त्र से अबतक 134 करोड़ मोबाइल नंबर की जांच: साइबर कोऑर्डिनेशन के पहले रीजनल कॉन्फ्रेंस में मौजूद दूरसंचार मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि उनके एप अस्त्र के जरिए सभी सिम कार्ड का सत्यापन किया जाता है. प्रत्येक सिम कार्ड जारी करवाने के लिए जो तस्वीर एप्लीकेशन में दी जाती है, उसका मिलान अस्त्र के जरिए किया जाता है. अगर एक ही व्यक्ति ने अपनी अलग-अलग तस्वीरों से कई सारे सिम लिए हैं जो वह अस्त्र की पकड़ में आता है.

डेमो के तौर पर बैठक के दौरान एक व्यक्ति का उदाहरण दिया गया, जिसमें अपनी अलग अलग तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी कागजातों के सहारे 76 सिमकार्ड लिए थे. अस्त्र के द्वारा अब तक 134 करोड़ मोबाइल नंबरों की पड़ताल की गई है. पड़ताल के बाद संदेहास्पद 66.98 लाख मोबाइल नंबर चिन्हित किए गए, जिसमें से 55.52 लाख मोबाइल नंबर को री वेरिफिकेशन के बाद बंद कर दिया गया है. वहीं, 70313 सिम कार्ड प्रोवाइडर कंपनियों के एजेंट को ब्लैकलिस्ट किया गया है. देशभर में 365 एफआईआर भी रजिस्टर किए गए हैं.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता का बयान

रांची: देश में साइबर क्राइम पर लगाम लगाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा साइबर दोस्त और हेल्पलाइन 1903 महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इस कड़ी को और बेहतर और मजबूत बनाते हुए अब झारखंड के प्रतिबिंब एप के जरिए भी साइबर अपराधियों पर नकेस कसा जाएगा. बुधवार को प्रतिबंध को विधिवत लॉन्च कर दिया गया.

ये भी पढ़ें: ज्वाइंट साइबर कॉर्डिनेशन कांफ्रेंस में बना साइबर क्राइम के खिलाफ संयुक्त एजेंडा, 6 राज्यों की पुलिस साथ करेगी काम

देश भर में साइबर अपराध पर लगाम कसने की दिशा में दूरसंचार विभाग का आंतरिक एप अस्त्र काफी अहम साबित हो रहा. अब देशभर में झारखंड के प्रतिबिंब एप के जरिए भी साइबर अपराधियों पर नकेल कसी जाएगी. प्रतिबिंब के जरिए साइबर अपराध के लिए इस्तेमाल नंबरों की लोकेशन का पता लगाकर लॉक कराया जाएगा, साथ ही मैपिंग भी की जाएगी.

कैसे काम करेगा प्रतिबिंब एप: सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि देशभर में रोजाना आम लोगों को साइबर ठगी के फोन आते हैं. सभी राज्यों की पुलिस में जिन-जिन नंबरों के खिलाफ शिकायत आती है, उसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के आई4सी को दी जाती है. आई4सी के द्वारा झारखंड पुलिस इन नंबरों को हासिल कर रही है, साथ ही अपना डाटा बेस तैयार किया जा रहा है. जिन नंबरों का इस्तेमाल झारखंड में हो रहा है, उन नंबरों को संबंधित जिले के एसपी और सर्विस प्रोवाइडर को भेजा जा रहा, ताकि इन नंबरों का इस्तेमाल फिर से नही हो सके. प्रतिबिंब में इन्हीं सिम कार्डों का डाटा उपलब्ध रहेगी.

अस्त्र से अबतक 134 करोड़ मोबाइल नंबर की जांच: साइबर कोऑर्डिनेशन के पहले रीजनल कॉन्फ्रेंस में मौजूद दूरसंचार मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि उनके एप अस्त्र के जरिए सभी सिम कार्ड का सत्यापन किया जाता है. प्रत्येक सिम कार्ड जारी करवाने के लिए जो तस्वीर एप्लीकेशन में दी जाती है, उसका मिलान अस्त्र के जरिए किया जाता है. अगर एक ही व्यक्ति ने अपनी अलग-अलग तस्वीरों से कई सारे सिम लिए हैं जो वह अस्त्र की पकड़ में आता है.

डेमो के तौर पर बैठक के दौरान एक व्यक्ति का उदाहरण दिया गया, जिसमें अपनी अलग अलग तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी कागजातों के सहारे 76 सिमकार्ड लिए थे. अस्त्र के द्वारा अब तक 134 करोड़ मोबाइल नंबरों की पड़ताल की गई है. पड़ताल के बाद संदेहास्पद 66.98 लाख मोबाइल नंबर चिन्हित किए गए, जिसमें से 55.52 लाख मोबाइल नंबर को री वेरिफिकेशन के बाद बंद कर दिया गया है. वहीं, 70313 सिम कार्ड प्रोवाइडर कंपनियों के एजेंट को ब्लैकलिस्ट किया गया है. देशभर में 365 एफआईआर भी रजिस्टर किए गए हैं.

Last Updated : Nov 9, 2023, 12:52 PM IST
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