रांचीः एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शनिवार को राज्य के हजारों सहायक अध्यापक राजधानी की सड़कों पर दिखे. मोरहाबादी मैदान में महाजुटान के बाद ये शिक्षक जैसे ही सीएम आवास का घेराव करने के लिए रवाना हुए पुलिस के द्वारा उन्हें जबरन रोक दिया गया. वेतनमान की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास घेरने पहुंचे राजकीय सहायक अध्यापकों ने सरकार पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए आंदोलन तेज करने की घोषणा की है.
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मोरहाबादी स्थित गुरुजी शिबू सोरेन आवास के निकट पुलिस के द्वारा लगायी गई बैरिकेडिंग के समीप इस चिलचिलाती धूप में खड़े इन सहायक शिक्षकों का हौसला कम होता नहीं दिखा. अपनी मांगों के समर्थन में सड़क पर उतरे इन सहायक शिक्षकों ने इस दौरान सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. ये वही सहायक अध्यापक हैं जो कभी राज्य में पारा शिक्षक हुआ करते थे. सरकार ने जब नियमावली बनाकर इन्हें पारा शिक्षक से सहायक अध्यापक का नामांकरण कर 60 वर्षों का सेवाकाल निर्धारित किया था. उस समय ये शिक्षक भी उत्साहित थे और सरकार भी खुब वाहवाही लूट रही थी. मगर कुछ दिनों के बाद ही ये सहायक शिक्षक मानदेय के वजाय पुरानी मांग वेतनमान को लेकर आंदोलन करने लगे तो सरकार के लिए मुसीबत बन गई है.
सीएमओ से सहायक अध्यापकों की वार्ताः इस आंदोलन के दौरान सहायक शिक्षकों को मुख्यमंत्री कार्यालय से वार्ता के लिए बुलावा आया. जिसके बाद एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष संजय दूबे के नेतृत्व में शिक्षकों का 11 सदस्यीय शिष्टमंडल सीएम के ओएसडी से मिलकर अपनी बात रखी. आंदोलनरत सहायक अध्यापकों ने वेतनमान के अलावा ईपीएफ, अनुकंपा का लाभ, आकलन परीक्षा का आयोजन जल्द से जल्द कर सहायक अध्यापकों को वेतन वृद्धि देने, अप्रशिक्षित को प्रशिक्षित करने के लिए एक मौका और देने, जेटेट सहायक अध्यापकों की तरह सीटेट को भी मान्यता सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली में देकर इसे संशोधित करने की मांग रखी गई है. बता दें कि राज्य भर में 62 हजार 896 सहायक अध्यापक हैं, जो की पूर्व में पारा शिक्षक कहलाते थे. तत्कालीन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के प्रयास से राज्य सरकार के द्वारा बनायी गई सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2021 को पिछले वर्ष लागू किया गया. जिसके बाद राज्य के पारा शिक्षक सहायक अध्यापक कहलाने लगे.
जगह जगह थी पुलिस की बैरिकेडिंगः सहायक अध्यापकों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस प्रशासन की चौकसी बनी रही. जगह जगह बैरिकेडिंग कर पुलिस गश्ती को तेज कर दिया गया था. हालांकि इस दौरान आने वाले किसी भी यात्रियों को कोई परेशानी होता नहीं दिखा. मोरहाबादी मैदान से जैसे ही सहायक अध्यापक सीएम आवास की ओर रवाना होने लगे पुलिस के द्वारा रोके जाने के कारण उन्हें मजबूर होकर रुकना पड़ा. मुख्यमंत्री आवास जाने वाले हर रास्ते पर पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग लगाई गई थी. इन वजहों से सहायक अध्यापक मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाए, मगर आंदोलन के माध्यम से सरकार तक अपनी मांगों को रखने में वे जरूर सफल हो गए.