रांचीः झारखंड लोक सेवा आयोग बनने के बाद से ही विवादों के घेरे में है. सिविल सेवा परीक्षाओं को लेकर लगातार सवाल खड़े किए जाते हैं. वहीं दूसरी नियुक्तियों के लिए निकाले गए विज्ञापनों और परीक्षाओं की हालत भी कमोबेश वैसी ही है. नगर विकास विभाग से जुड़ी एक परीक्षा पिछले 3 सालों से अधर में है. स्थिति यह है कि अब तक उत्तर पुस्तिका की जांच नहीं हो सकी है.
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जेपीएससी की लापरवाही का एक और नमूना सामने आया है. जेपीएससी ने नगर विकास एवं आवास विभाग में 57 असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति के लिए वर्ष 2018 में आवेदन लिया. वर्ष 2019 में लिखित परीक्षा भी हुई. लेकिन अब तक कॉपियों की जांच नहीं हो सकी है. इसमें सिविल इंजीनियर के 48 और मैकेनिकल इंजीनियर के 9 पद थे. अभ्यर्थियों से 14 सितंबर से 29 अक्टूबर 2018 तक आवेदन लिया गया. नियुक्ति प्रक्रिया में हो रहे विलंब पर सिंडिकेट सदस्यों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है.
मामले की जांच की जरूरत
सिंडिकेट सदस्य अटल पांडेय ने बताया कि अब तक आयोग की ओर से कॉपियों की जांच नहीं की जा सकी है, तो सहायक अभियंता परीक्षा परिणाम कैसे प्रकाशित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जेपीएससी ना ही समय से परीक्षा आयोजित करवा पाती हैं और ना ही परिणाम घोषित करती है. उन्होंने कहा कि जेपीएससी में सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों को बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया भी विलंब करना अनियमितता है, जिसकी जांच होनी चाहिए.
शीघ्र शुरू की जाएगी कॉपी जांच
जेपीएससी परीक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने बताया कि 25 मई को आंसर शीट जारी करने के बाद 5 जून तक अभ्यर्थियों से आपत्ति ली जाएगी. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देरी हुई है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की मदद से आपत्तियों की समीक्षा की गई और संशोधित मॉडल आंसर जारी कर दिया गया है. अब शीघ्र ही कॉपी जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.