रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने सहायक अभियंता पीटी परीक्षा में आरक्षण दिए जाने के मामले में बुधवार को सभी पक्षों को सुनने के उपरांत अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दी है. कोर्ट ने यह माना कि झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक अभियंता नियुक्ति पीटी परीक्षा के रिजल्ट में कोई गड़बड़ी नहीं की है.
अदालत ने एकल पीठ के आदेश पर अपनी मुहर लगा दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा है कि झारखंड नियुक्ति नियमावली 2016 के अनुसार यह सही है. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि जो मेधावी अभ्यर्थी थे उसे मार्क्स के आधार पर अनरिजर्व में लिया गया. इसमें जेपीएससी की कोई गलती प्रतीत नहीं होती है. अप्वाइंटमेंट रूल 2016 के तहत यह सही है. इसलिए एकल पीठ के आदेश में दखल नहीं दिया जा सकता है. एकल पीठ का आदेश सही है.
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प्रार्थी पक्ष ने पीटी की परीक्षा परिणाम को रद्द करने की मांग की थीः वहीं मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को यह बताया कि सहायक अभियंता नियुक्ति के लिए जो पीटी परीक्षा ली गई है, उसमें जो परिणाम जारी किया गया है वह उचित नहीं है. वह असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि परीक्षा के परिणाम में आरक्षण कोटि के उम्मीदवार को सामान्य श्रेणी में रखा गया है. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए.
आयोग ने याचिक खारिज करने की मांग कीः वहीं प्रार्थी के अधिवक्ता की दलील का विरोध करते हुए आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि पीटी का जो रिजल्ट निकाला गया है, वह संवैधानिक है. नियम के अनुकूल है. एकल पीठ का आदेश सही है. इसलिए इस याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सामान्य श्रेणी सभी अभ्यर्थियों के लिए है. सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के बराबर अंक लाने वाले आरक्षण श्रेणी के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह सही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि पीटी परीक्षा के बाद मुख्य परीक्षा ली गई. उसकी भी रिजल्ट प्रकाशित कर दी गई है. सभी की नियुक्ति हो गई है. इसलिए इस याचिका पर अब सुनवाई नहीं किया जाना चाहिए. इस याचिका को रद्द कर दिया जाना चाहिए.
भास्कर ने दायर की थी हाई कोर्ट में याचिकाः गौरतलब हो कि भास्कर ने इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि आरक्षण कोटि के उम्मीदवार को सामान्य श्रेणी में रखा जाना एक तरह से पीटी में आरक्षण देना है. जबकि पीटी परीक्षा में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए यह असंवैधानिक है.